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देहरादून। मस्तिष्क को केवल बाहरी दबाव ही नहीं, बल्कि मौसम भी बीमारी दे रहा है। इसे सुसाइड वेदर पुकारा जाता है। मनोचिकित्सकों की मानें तो इसकी वजह से लोग अवसाद के शिकार हो रहे हैं। अकेले दून की बात करें तो यहां एक मनोचिकित्सक एक दिन में 20 से ज्यादा मरीज जांच रहा है, जिसमें लगभग सात मरीज हर रोज नए जुड़ जाते हैं। मौसम की इस मार से निपटने के लिए मरीजों के इलाज में लाइट थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. नंदकिशोर की मानें तो विटामिन डी का रोल सैद्धांतिक रूप से अवसाद के निर्मित होेने में सामने आया है। जिन स्थानों पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां लोग अवसाद के अधिक शिकार होते हैं। इससे बाडी क्लाक के प्रभावित होने की बात उन्होंने कही। विद्यार्थियों के इससे सीधे प्रभावित होने के कई कारण हैं, इनमें एक पढ़ाई और परीक्षा का दबाव है तो दूसरों से तुलना करने पर उभरने वाला तनाव। कुछ संवेदनशील भी बहुत होते हैं। ठंड का मौसम इसमें वृद्धि करता है। उनके मुताबिक रुटीन थेरेपी में 20-30 ट्यूब लाइटों का प्रयोग कर रोशनी के प्रभाव से उनकी चिकित्सा की जाती है।
मिलेटोनिन का रोल अहम
सूर्य की किरणों यानी तापमान में बढ़ोत्तरी की वजह से मिलेटोनिन के प्रभावित होने की बात सामने आई है, जो बायोलाजिकल क्लाक को सेट रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें एगोमिलेटोनिन नाम दवा दी जाती है, जो अवसाद से दूर रखती है, लेकिन इसके जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण अलग-अलग होने के चलते एक ही दवा सबको तजवीज करना संभव नहीं।
देहरादून। मस्तिष्क को केवल बाहरी दबाव ही नहीं, बल्कि मौसम भी बीमारी दे रहा है। इसे सुसाइड वेदर पुकारा जाता है। मनोचिकित्सकों की मानें तो इसकी वजह से लोग अवसाद के शिकार हो रहे हैं। अकेले दून की बात करें तो यहां एक मनोचिकित्सक एक दिन में 20 से ज्यादा मरीज जांच रहा है, जिसमें लगभग सात मरीज हर रोज नए जुड़ जाते हैं। मौसम की इस मार से निपटने के लिए मरीजों के इलाज में लाइट थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. नंदकिशोर की मानें तो विटामिन डी का रोल सैद्धांतिक रूप से अवसाद के निर्मित होेने में सामने आया है। जिन स्थानों पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां लोग अवसाद के अधिक शिकार होते हैं। इससे बाडी क्लाक के प्रभावित होने की बात उन्होंने कही। विद्यार्थियों के इससे सीधे प्रभावित होने के कई कारण हैं, इनमें एक पढ़ाई और परीक्षा का दबाव है तो दूसरों से तुलना करने पर उभरने वाला तनाव। कुछ संवेदनशील भी बहुत होते हैं। ठंड का मौसम इसमें वृद्धि करता है। उनके मुताबिक रुटीन थेरेपी में 20-30 ट्यूब लाइटों का प्रयोग कर रोशनी के प्रभाव से उनकी चिकित्सा की जाती है।
मिलेटोनिन का रोल अहम
सूर्य की किरणों यानी तापमान में बढ़ोत्तरी की वजह से मिलेटोनिन के प्रभावित होने की बात सामने आई है, जो बायोलाजिकल क्लाक को सेट रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें एगोमिलेटोनिन नाम दवा दी जाती है, जो अवसाद से दूर रखती है, लेकिन इसके जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण अलग-अलग होने के चलते एक ही दवा सबको तजवीज करना संभव नहीं।