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देहरादून। विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। इस परियोजना से उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश और दिल्ली को भी बिजली मिलेगी। तीनों प्रदेश की जनता के लिए यह राहत देने वाली खबर है। जानकारों का कहना है कि आगे कोई अड़चन नहीं आई तो 2017 के आखिर तक अलकनंदा नदी पर बनने वाली 444 मेगावाट की इस परियोजना से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।
टिहरी जल विद्युत निगम लिमिटेड की इस परियोजना को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से फेज-1 के लिए पर्यावरण स्वीकृति 2007 में मिल गई थी। फेज -2 की पर्यावरण स्वीकृति मार्च या अप्रैल 2013 तक मिलने की उम्मीद है। यानी अप्रैल के आखिर या मई के शुरू से परियोजना का सिविल वर्क शुरू हो जाएगा। अभी तक जमीनी स्तर पर केवल पांच से आठ फीसदी के बीच में ही काम हो पाया था। इसी बीच इसको लेकर जनहित याचिका दाखिल कर दी गई थी। इसके कारण मामला लटक गया। सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद किसी स्तर पर बाधा आने की संभावना नहीं है। ऐसे में यह परियोजना चार से पांच साल के बीच में पूरी होने की बात कही जा रही है।
सिविल और इलेक्ट्रो-मेकेनिकल वर्क का कार्य साढ़े चार साल में पूरा हो जाएगा। अप्रैल के पहले सप्ताह तक फेज-2 के लिए पर्यावरण स्वीकृति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलने की उम्मीद है। --पीपीएस मान, महाप्रबंधक प्रोजेक्ट, टीएचडीसी
परियोजना के मुख्य बिंदु
- 648 मिलियन यूएस डालर ऋण इंटरनेशनल बैंक फार रिकांस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से लिया गया।
- परियोजना को कमीशन (शुरू) करने के लिए 2017-18 के बीच की अवधि तय की गई है।
- परियोजना से 1674 मिलियन यूनिट बिजली वार्षिक उत्पादन का अनुमान
- परियोजना शुरू करने से 80.507 हेक्टेयर वन भूमि का परिवर्तन करना पड़ेगा
उत्तराखंड में ये परियोजना भी लंबित
पाला मनेरी : उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की यह परियोजना 480 मेगावाट की है। इस परियोजना पर 125 करोड़ रुपये खर्च हो चुका हैं, लेकिन 2010 में इसे बंद कर दिया गया था। इससे सैकड़ों लोगों का रोजगार छिन गया था। साथ ही प्रदेश को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है।
भैरोघाटी : उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की यह परियोजना 381 मेगावाट की है। इस परियोजना पर 25 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। यह परियोजना भी उत्तराखंड के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण थी, लेकिन दबाव में इसे बंद कर दिया गया।
लोहारी नागपाला : एनटीपीसी की लोहारी नागपाला परियोजना 600 मेगावाट की है। इस पर लगभग 2700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस योजना का भविष्य फिलहाल अंधेरे में है।
उत्तराखंड में बंद पड़ी योजनाओं को जल्द शुरू किया जाना चाहिए। इसको लेकर मुख्यमंत्री को पहल करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पूरी तसवीर साफ हो गई है। -- अवधेश कौशल, अध्यक्ष रूलक
देहरादून। विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। इस परियोजना से उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश और दिल्ली को भी बिजली मिलेगी। तीनों प्रदेश की जनता के लिए यह राहत देने वाली खबर है। जानकारों का कहना है कि आगे कोई अड़चन नहीं आई तो 2017 के आखिर तक अलकनंदा नदी पर बनने वाली 444 मेगावाट की इस परियोजना से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।
टिहरी जल विद्युत निगम लिमिटेड की इस परियोजना को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से फेज-1 के लिए पर्यावरण स्वीकृति 2007 में मिल गई थी। फेज -2 की पर्यावरण स्वीकृति मार्च या अप्रैल 2013 तक मिलने की उम्मीद है। यानी अप्रैल के आखिर या मई के शुरू से परियोजना का सिविल वर्क शुरू हो जाएगा। अभी तक जमीनी स्तर पर केवल पांच से आठ फीसदी के बीच में ही काम हो पाया था। इसी बीच इसको लेकर जनहित याचिका दाखिल कर दी गई थी। इसके कारण मामला लटक गया। सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद किसी स्तर पर बाधा आने की संभावना नहीं है। ऐसे में यह परियोजना चार से पांच साल के बीच में पूरी होने की बात कही जा रही है।
सिविल और इलेक्ट्रो-मेकेनिकल वर्क का कार्य साढ़े चार साल में पूरा हो जाएगा। अप्रैल के पहले सप्ताह तक फेज-2 के लिए पर्यावरण स्वीकृति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलने की उम्मीद है। --पीपीएस मान, महाप्रबंधक प्रोजेक्ट, टीएचडीसी
परियोजना के मुख्य बिंदु
- 648 मिलियन यूएस डालर ऋण इंटरनेशनल बैंक फार रिकांस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से लिया गया।
- परियोजना को कमीशन (शुरू) करने के लिए 2017-18 के बीच की अवधि तय की गई है।
- परियोजना से 1674 मिलियन यूनिट बिजली वार्षिक उत्पादन का अनुमान
- परियोजना शुरू करने से 80.507 हेक्टेयर वन भूमि का परिवर्तन करना पड़ेगा
उत्तराखंड में ये परियोजना भी लंबित
पाला मनेरी : उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की यह परियोजना 480 मेगावाट की है। इस परियोजना पर 125 करोड़ रुपये खर्च हो चुका हैं, लेकिन 2010 में इसे बंद कर दिया गया था। इससे सैकड़ों लोगों का रोजगार छिन गया था। साथ ही प्रदेश को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है।
भैरोघाटी : उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की यह परियोजना 381 मेगावाट की है। इस परियोजना पर 25 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। यह परियोजना भी उत्तराखंड के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण थी, लेकिन दबाव में इसे बंद कर दिया गया।
लोहारी नागपाला : एनटीपीसी की लोहारी नागपाला परियोजना 600 मेगावाट की है। इस पर लगभग 2700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस योजना का भविष्य फिलहाल अंधेरे में है।
उत्तराखंड में बंद पड़ी योजनाओं को जल्द शुरू किया जाना चाहिए। इसको लेकर मुख्यमंत्री को पहल करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पूरी तसवीर साफ हो गई है। -- अवधेश कौशल, अध्यक्ष रूलक