देहरादून। अलविदा ज़ुमे पर शहरभर की मस्जिदों में नमाज अता कर अमन-चैन की दुआ मांगी गई। रोजेदारों को जकात और फितरे की अहमियत समझाई गई। लोहियानगर की रजा मस्जिद में नायब सुन्नी काजी सैयद अशरफ हुसैन ने बताया कि हर मुसलमान को परिवार के प्रति सदस्य के हिसाब से 45 ग्राम गेहूं या 27 रुपये दान देकर खुदा की रजा हासिल करनी चाहिए। मुफ्ती शहज़ाद हुसैन बरकाती ने कहा कि इस्लाम शांति और प्रेम का संदेश देता है। मौलाना असलम कादरी ने कहा कि रमज़ान संयम और सब्र का पैगाम देता है। अलविदा ज़ुमे पर पल्टन बाजार, इनामुल्ला बिल्डिंग, गांधी ग्राम, शहीद भगत सिंह कालोनी, चोर खाला, दिलाराम बाजार आदि स्थानों पर नमाज अता की गई।
अब ईद का इंतजार
सजे बाजार, तैयारियां शुरू
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। अलविदा जुमे के साथ ही ईद की तैयारियां शहरभर में शुरू हो गई हैं। रमजान के महीने में खुद पर काबू रखने के बाद खुशियां मनाने का मौका ईद से मिलता है। इस दौरान नए कपड़े सिलाए जा रहे हैं। इनामुल्ला बिल्डिंग में कई दुकानें सज गई हैं। मुरादाबाद से आकर इनामुल्ला बिल्डिंग में कपड़े की दुकान लगाने वाले मोहम्मद इमरान ने बताया कि उनका मुख्य व्यवसाय पीतल के सामान का है। लेकिन रमजान के महीने में वह दून में कपड़े की दुकान लगाते हैं। अलविदा जुमे के बाद वे ईद के लिए घर लौट जाते हैं।
पहली बार रेडीमेड नकाब
इस बार पहली दफा महिलाओं, बच्चियों के लिए रेडीमेड नकाब भी बाजार में हैं। काले, सफेद समेत कई रंगों में सऊदी अरब में निर्मित ये नकाब लोगों को लुभा रहे हैं। हालांकि, सफेद रंग के वस्त्र ही अधिक बिकते हैं। माना जाता है कि सफेद रंग पैगंबर मोहम्मद साहब का प्रिय है। इसलिए ईद के मौके पर सफेद लिबास को ही तवज्जो दी जाती है। हालांकि, क्वालिटी की बात करें तो काटन, चिकन और टेरीकोट के कपड़े खूब लुभा रहे हैं।
लुभा रहे ईरानी खजूर
रमजान के मौके पर खजूर की खासी अहमियत होती है। इन दिनों राजधानी में ईरानी खजूर खूब लुभा रहा है। पहली बार दून में बिक रहे खजूर की खासियत यह है कि यह बेहद मुलायम होता है। बहुत छोटे बीज वाला यह खजूर मुंह में घुल जाता है। इसकी कीमत चार सौ रुपये प्रति किलो है। इसके अलावा सऊदी अरब का खजूर भी खूब बिक रहा है। इसकी कीमत तीन सौ रुपये किलो है।
इस्लाम से रूबरू कराती है ‘मोहम्मद के शहर में’
शहर में हर बार रमजान के दौरान कई धार्मिक सीडी बाजार में आती हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ‘मोहम्मद के शहर में’ सीडी छाई हुई है। अतिका आडियो-वीडियो गैलरी के मोहम्मद शमशाद बताते हैं कि डा. जाकिर नेक की इस सीडी में इस्लाम धर्म से रूबरू कराया गया है। सीडी में डा. नेक और हिंदू, ईसाई धर्मगुरुओं से बातचीत है। इसमें हिंदू, ईसाई धर्मगुरु डा. नेक से इस्लाम को लेकर कई सवाल करते हैं, जिनका नेक विस्तार से जवाब देते हैं। शमशाद कहते हैं कि कई वर्षों से इस सीडी की रिकार्ड बिक्री होती है। वह कहते हैं कि इस्लाम को जानने के इच्छुक या कोई सवाल रखने वाले लोग जरूर इस सीडी को लें।
सच्चे मोती की तसबीह भी
इस बार बाजार में सच्चे मोती और स्फटिक की तसबीह भी है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। धार्मिक किताबों में फ़जाइले आमाल, जन्नत की कुंजी, मरने के बाद क्या होगा, दवा-ए-दिल आदि पसंद की जा रही हैं। खास बात यह है कि ये किताबें हिंदी में हैं। सऊदी, दिल्ली, मुंबई की जेनमाज (नमाज पढ़ने वाली कालीन) खरीदी जा रही है। टोपियाें में मोती वर्क सहित लकड़ी की टोपी भी बाजार में है। इत्र में गुलाब और चमेली पसंद किया जा रहा है। इनामुल्ला बिल्डिंग में दुकान लगाने वाले वाजिद ने बताया कि रमजान के दौरान ही इन सब सामग्रियों की बिक्री होती है।
बेसन की फेनी
अब मैदे और सूजी के साथ ही बेसन की फेनी भी बनने लगी है। लोग भी इसकी खूब खरीदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही शीरमाल, सेवइयां और खजला इन दिनों बाजार में खूब दिखाई दे रहा है। व्यापारी मोहम्मद एहसान ने बताया कि रमजान और ईद के दौरान लोग मीठे पकवानों के साथ ही फीकी फेनी भी ले जाते हैं। अधिकतर खरीदारी ईद से एक दिन पहले ही होती है।
शुक्राना है ईद
नायब सुन्नी शहर काजी सैयद अशरफ हुसैन कादरी ने बताया कि मुस्लिम पूरे महीने रोजे रखते हैं। इसके शुक्राने के तौर पर ईद मनाई जाती है। कुरान में हुक्म दिया गया है कि जो मुस्लिम पूरे तौर तरीके से रोजे रखते हैं। बुराइयों से दूर रहते हैं, वही ईद मनाने के हकदार हैं। उन्होंने बताया ईद का अर्थ है ऐसी खुशी जो बार-बार लौटकर आती है।
रोजा इफ्तार किया
स्टूडेंट एलाइंस फॉर एरिया रिफार्म संगठन की ओर से लच्छीवाला गेस्ट हाउस में रोजा इफ्तार किया गया। ग्रामसभा बालावाला, नथुवाला, नकरौंदा, तेलीवाला, मारखमग्रांट, दूधली आदि के लोग उपस्थित रहे। एसपी सिंह ने संगठन को इस आयोजन के लिए बधाई दी। संगठन अध्यक्ष अब्दुल कादिर, उपाध्यक्ष अशोक जोशी, नागेंद्र सिंह लोधी, गौरव चौधरी आदि उपस्थित रहे।
देहरादून। अलविदा ज़ुमे पर शहरभर की मस्जिदों में नमाज अता कर अमन-चैन की दुआ मांगी गई। रोजेदारों को जकात और फितरे की अहमियत समझाई गई। लोहियानगर की रजा मस्जिद में नायब सुन्नी काजी सैयद अशरफ हुसैन ने बताया कि हर मुसलमान को परिवार के प्रति सदस्य के हिसाब से 45 ग्राम गेहूं या 27 रुपये दान देकर खुदा की रजा हासिल करनी चाहिए। मुफ्ती शहज़ाद हुसैन बरकाती ने कहा कि इस्लाम शांति और प्रेम का संदेश देता है। मौलाना असलम कादरी ने कहा कि रमज़ान संयम और सब्र का पैगाम देता है। अलविदा ज़ुमे पर पल्टन बाजार, इनामुल्ला बिल्डिंग, गांधी ग्राम, शहीद भगत सिंह कालोनी, चोर खाला, दिलाराम बाजार आदि स्थानों पर नमाज अता की गई।
अब ईद का इंतजार
सजे बाजार, तैयारियां शुरू
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। अलविदा जुमे के साथ ही ईद की तैयारियां शहरभर में शुरू हो गई हैं। रमजान के महीने में खुद पर काबू रखने के बाद खुशियां मनाने का मौका ईद से मिलता है। इस दौरान नए कपड़े सिलाए जा रहे हैं। इनामुल्ला बिल्डिंग में कई दुकानें सज गई हैं। मुरादाबाद से आकर इनामुल्ला बिल्डिंग में कपड़े की दुकान लगाने वाले मोहम्मद इमरान ने बताया कि उनका मुख्य व्यवसाय पीतल के सामान का है। लेकिन रमजान के महीने में वह दून में कपड़े की दुकान लगाते हैं। अलविदा जुमे के बाद वे ईद के लिए घर लौट जाते हैं।
पहली बार रेडीमेड नकाब
इस बार पहली दफा महिलाओं, बच्चियों के लिए रेडीमेड नकाब भी बाजार में हैं। काले, सफेद समेत कई रंगों में सऊदी अरब में निर्मित ये नकाब लोगों को लुभा रहे हैं। हालांकि, सफेद रंग के वस्त्र ही अधिक बिकते हैं। माना जाता है कि सफेद रंग पैगंबर मोहम्मद साहब का प्रिय है। इसलिए ईद के मौके पर सफेद लिबास को ही तवज्जो दी जाती है। हालांकि, क्वालिटी की बात करें तो काटन, चिकन और टेरीकोट के कपड़े खूब लुभा रहे हैं।
लुभा रहे ईरानी खजूर
रमजान के मौके पर खजूर की खासी अहमियत होती है। इन दिनों राजधानी में ईरानी खजूर खूब लुभा रहा है। पहली बार दून में बिक रहे खजूर की खासियत यह है कि यह बेहद मुलायम होता है। बहुत छोटे बीज वाला यह खजूर मुंह में घुल जाता है। इसकी कीमत चार सौ रुपये प्रति किलो है। इसके अलावा सऊदी अरब का खजूर भी खूब बिक रहा है। इसकी कीमत तीन सौ रुपये किलो है।
इस्लाम से रूबरू कराती है ‘मोहम्मद के शहर में’
शहर में हर बार रमजान के दौरान कई धार्मिक सीडी बाजार में आती हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ‘मोहम्मद के शहर में’ सीडी छाई हुई है। अतिका आडियो-वीडियो गैलरी के मोहम्मद शमशाद बताते हैं कि डा. जाकिर नेक की इस सीडी में इस्लाम धर्म से रूबरू कराया गया है। सीडी में डा. नेक और हिंदू, ईसाई धर्मगुरुओं से बातचीत है। इसमें हिंदू, ईसाई धर्मगुरु डा. नेक से इस्लाम को लेकर कई सवाल करते हैं, जिनका नेक विस्तार से जवाब देते हैं। शमशाद कहते हैं कि कई वर्षों से इस सीडी की रिकार्ड बिक्री होती है। वह कहते हैं कि इस्लाम को जानने के इच्छुक या कोई सवाल रखने वाले लोग जरूर इस सीडी को लें।
सच्चे मोती की तसबीह भी
इस बार बाजार में सच्चे मोती और स्फटिक की तसबीह भी है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। धार्मिक किताबों में फ़जाइले आमाल, जन्नत की कुंजी, मरने के बाद क्या होगा, दवा-ए-दिल आदि पसंद की जा रही हैं। खास बात यह है कि ये किताबें हिंदी में हैं। सऊदी, दिल्ली, मुंबई की जेनमाज (नमाज पढ़ने वाली कालीन) खरीदी जा रही है। टोपियाें में मोती वर्क सहित लकड़ी की टोपी भी बाजार में है। इत्र में गुलाब और चमेली पसंद किया जा रहा है। इनामुल्ला बिल्डिंग में दुकान लगाने वाले वाजिद ने बताया कि रमजान के दौरान ही इन सब सामग्रियों की बिक्री होती है।
बेसन की फेनी
अब मैदे और सूजी के साथ ही बेसन की फेनी भी बनने लगी है। लोग भी इसकी खूब खरीदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही शीरमाल, सेवइयां और खजला इन दिनों बाजार में खूब दिखाई दे रहा है। व्यापारी मोहम्मद एहसान ने बताया कि रमजान और ईद के दौरान लोग मीठे पकवानों के साथ ही फीकी फेनी भी ले जाते हैं। अधिकतर खरीदारी ईद से एक दिन पहले ही होती है।
शुक्राना है ईद
नायब सुन्नी शहर काजी सैयद अशरफ हुसैन कादरी ने बताया कि मुस्लिम पूरे महीने रोजे रखते हैं। इसके शुक्राने के तौर पर ईद मनाई जाती है। कुरान में हुक्म दिया गया है कि जो मुस्लिम पूरे तौर तरीके से रोजे रखते हैं। बुराइयों से दूर रहते हैं, वही ईद मनाने के हकदार हैं। उन्होंने बताया ईद का अर्थ है ऐसी खुशी जो बार-बार लौटकर आती है।
रोजा इफ्तार किया
स्टूडेंट एलाइंस फॉर एरिया रिफार्म संगठन की ओर से लच्छीवाला गेस्ट हाउस में रोजा इफ्तार किया गया। ग्रामसभा बालावाला, नथुवाला, नकरौंदा, तेलीवाला, मारखमग्रांट, दूधली आदि के लोग उपस्थित रहे। एसपी सिंह ने संगठन को इस आयोजन के लिए बधाई दी। संगठन अध्यक्ष अब्दुल कादिर, उपाध्यक्ष अशोक जोशी, नागेंद्र सिंह लोधी, गौरव चौधरी आदि उपस्थित रहे।