देहरादून। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की जनजातियों पर अध्ययन की तैयारी है। भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद (आईसीएसएसएआर) ने अनुसूचित जनजातियों की शैक्षणिक स्थिति पर विशेष शोध परियोजना के तहत दून यूनिवर्सिटी को यह जिम्मेदारी सौंपी है। अध्ययन के लिए दो साल की समयावधि नियत की गई है। दून यूनिवर्सिटी के सेंटर फार पब्लिक पालिसी में बृहस्पतिवार को इस संबंध में बैठक भी हुई।
दून यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार डा. मंगल सिंह मंद्रवाल के अनुसार इस अध्ययन का मकसद उत्तराखंड और हिमाचल में अनुसूचित जनजातियों की शैक्षणिक स्थितियों से संबंधित नीतियों, योजनाओं, प्रबंधन, क्रियान्वयन, उपलब्धियों और चुनौतियों का ब्योरा जुटाना है। दोनों राज्यों के बीच रणनीतिक स्तर पर शासन, निदेशालय, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा विभाग का इस संबंध में सहयोग रहेगा।
यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर भी इस शोध से संबंधित एक लिंक अपलोड किया जाएगा। इसके साथ ही परियोजना से जुड़े बिंदुओं पर लघु शोध प्रबंध संचालित किए जाएंगे। बैठक में परियोजना निदेशक डा. आरएस टोलिया, प्रो. नवीन चंद्र ढौंडियाल, डा. बीएम हरबोला आदि उपस्थित रहे।
देहरादून। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की जनजातियों पर अध्ययन की तैयारी है। भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद (आईसीएसएसएआर) ने अनुसूचित जनजातियों की शैक्षणिक स्थिति पर विशेष शोध परियोजना के तहत दून यूनिवर्सिटी को यह जिम्मेदारी सौंपी है। अध्ययन के लिए दो साल की समयावधि नियत की गई है। दून यूनिवर्सिटी के सेंटर फार पब्लिक पालिसी में बृहस्पतिवार को इस संबंध में बैठक भी हुई।
दून यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार डा. मंगल सिंह मंद्रवाल के अनुसार इस अध्ययन का मकसद उत्तराखंड और हिमाचल में अनुसूचित जनजातियों की शैक्षणिक स्थितियों से संबंधित नीतियों, योजनाओं, प्रबंधन, क्रियान्वयन, उपलब्धियों और चुनौतियों का ब्योरा जुटाना है। दोनों राज्यों के बीच रणनीतिक स्तर पर शासन, निदेशालय, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा विभाग का इस संबंध में सहयोग रहेगा।
यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर भी इस शोध से संबंधित एक लिंक अपलोड किया जाएगा। इसके साथ ही परियोजना से जुड़े बिंदुओं पर लघु शोध प्रबंध संचालित किए जाएंगे। बैठक में परियोजना निदेशक डा. आरएस टोलिया, प्रो. नवीन चंद्र ढौंडियाल, डा. बीएम हरबोला आदि उपस्थित रहे।