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Shweta Sehrawat: चार साल तक लड़कों के साथ खेलीं, बस छूटी तो लक्ष्मण ने की मदद, जानें श्वेता सेहरावत की कहानी
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Mon, 30 Jan 2023 04:55 PM IST
सार
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कोच ने श्वेता को बल्लेबाजी करने के लिए कहा। गेंद एक 14 साल के लड़के के हाथ में थी, लेकिन अपने से दोगुनी उम्र के लड़के की गेंद पर श्वेता ने शानदार शॉट लगाया और उनके पिता ने अगले दिन ही पूरी क्रिकेट किट उन्हें लाकर दे दी। यहीं से श्वेता के क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई।
भारत को महिला अंडर-19 विश्व कप चैंपियन बनाने में श्वेता सेहरावत का बड़ा योगदान रहा है। वह इस टूर्नामेंट में सात मैचों में 99 की औसत से 297 रन बना पाईं। सात पारियों में तीन अर्धशतक लगाने वाली श्वेता सिर्फ तीन बार आउट हुईं। उनका स्ट्राइक रेट 140 से ज्यादा का रहा। श्वेता भारतीय टीम की उपकप्तान हैं, लेकिन बल्ले से देश को मैच जिताने के मामले में वह कप्तान शेफाली वर्मा से बहुत आगे हैं।
विश्व कप में कैसा रहा प्रदर्शन
महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप में भारत के पहले मैच में श्वेता ने नाबाद 92 रन बनाए थे और टीम इंडिया को जीत दिलाई थी। दूसरे मैच में उन्होंने यूएई के खिलाफ नाबाद 74 रन बनाए और भारत ने मैच 112 रन से जीता। स्कॉटलैंड के खिलाफ श्वेता ने पारी की शुरुआत करने की बजाय फिनिशर की भमिका निभाई और तूफानी अंदाज में नाबाद 31 रन जड़ दिए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में उनका बल्ला नहीं चला और वह 21 रन पर आउट हो गईं, लेकिन सेमीफाइनल में फिर उन्होंने बेहतरीन अर्धशतक लगाया और 61 रन की पारी खेल टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचा दिया। हालांकि, फाइनल में श्वेता सिर्फ पांच रन बना सकीं।
बड़ी बहन को देखकर क्रिकेट खेलना सीखा
श्वेता सेहरावत 18 साल की उम्र में भारत के लिए कमाल कर रही हैं और उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य माना जा रहा है, लेकिन श्वेता के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है। उन्हें शुरुआत से ही क्रिकेट पसंद था और खेलने की जिद भी करती थीं, लेकिन उनके घर वाले बड़ी बहन को क्रिकेटर बनाना चाहते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्वेता ने बड़ी बहन को देखकर क्रिकेट सीखा और लंबे समय तक लड़कों के साथ खेलती रहीं।
श्वेता के पिता हमेशा ही उनकी क्रिकेट खेलने की बात को टाल देते थे। जब श्वेता सात साल की थीं, जब उनकी बहन ने नई क्रिकेट एकेडमी में दाखिला लिया। यहां लड़कों की भी एकेडमी थी और कोच ने श्वेता को बल्लेबाजी करने के लिए कहा। गेंद एक 14 साल के लड़के के हाथ में थी, लेकिन अपने से दोगुनी उम्र के लड़के की गेंद पर श्वेता ने शानदार शॉट लगाया और उनके पिता ने अगले दिन ही पूरी क्रिकेट किट उन्हें लाकर दे दी। यहीं से श्वेता के क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई।
श्वेता चार साल तक लड़कों के साथ खेलती रहीं। इससे उनका डर खत्म हो गया और निडर होकर रन बनाने लगीं। इसके बाद जब वह लड़कियों की टीम में खेलीं तो उनके खेल का स्तर बाकी लोगों से कहीं अलग था। उन्होंने घरेलू टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और अंडर-19 टीम की कप्तान भी रहीं। अंडर-19 टी20 विश्व कप में शेफाली वर्मा और ऋचा घोष सीनियर टीम से जूनियर टीम में आईं तो श्वेता को उपकप्तान बना दिया गया। हालांकि, बल्ले के साथ उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया और आगे बढ़कर टीम को जीत दिलाई। अब भारत की मुख्य टीम में भी श्वेता जल्द ही दिख सकती हैं। वहीं, महिला आईपीएल की नीलामी में उन पर बड़ी बोली लगना तय है।
वीवीएस लक्ष्मण ने की मदद
12वीं परीक्षा के चलते श्वेता अंडर-19 टीम के कैंप में समय रहते नहीं जुड़ पाई थीं। इस पर उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण को पत्र लिखकर जानकारी दी थी। ऐसे में लक्ष्मण ने कहा कि कैंप में कुछ दिन के लिए जरूर आएं। श्वेता 15 मई से नौ जून तक चलने वाले कैंप में तीन जून को जुड़ीं और कुछ मैच खेलीं। आखिरी मैच में उन्होंने शतक लगाया और एनसीए की टीम में आ गईं। यहां उन्होंने छह मैच खेले और दो शतक जड़ दिए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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