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MS Dhoni trust on players big reason for CSK Win in IPL 2023 played Unchanged XII in 11 Match
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IPL 2023: खिलाड़ियों पर धोनी के भरोसे ने चेन्नई को चैंपियन बनाया, आखिरी सात मैच में नहीं बदली टीम, छह जीते
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Tue, 30 May 2023 09:25 PM IST
आईपीएल 2023 में इंपैक्ट प्लेयर का नियम आने के बाद सभी टीमों ने जमकर खिलाड़ी बदले। आरसीबी ने तो अपने कप्तान प्लेसिस को ही इंपैक्ट प्लेयर के रूप में इस्तेमाल किया। वहीं, चेन्नई ने कुल 16 मैच खेले और 11 में टीम नहीं बदली। यहीं चेन्नई की जीत की सबसे बड़ी वजह रही।
आईपीएल के 11 मुकाबलों में चेन्नई की टीम बिना किसी बदलाव के मैदान में उतरी
- फोटो : अमर उजाला
चेन्नई सुपर किंग्स ने गुजरात टाइटंस को हराकर रिकॉर्ड पांचवीं बार आईपीएल ट्रॉफी जीती है। चेन्नई की इस जीत के पीछे कई वजहें हैं, लेकिन धोनी की कप्तानी चेन्नई के जीतने की सबसे बड़ी वजह है। इस टीम में रवींद्र जडेजा, डेवोन कॉनवे, मोईन अली और महीष तीक्ष्णा को छोड़कर कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है, जो अपने देश की टीम के अहम खिलाड़ियों में शामिल हो, लेकिन यह टीम खिताब जीतने में सफल रही है। इन चार अहम खिलाड़ियों की बात करें तो इनमें से सिर्फ जडेजा और कॉनवे ने ही टीम की जीत में लगातार योगदान दिया। मोईन अली और तीक्ष्णा बहुत अच्छी लय में नहीं थे। इसके बावजूद युवा और अन्य टीमों से बाहर निकाले गए खिलाड़ियों ने धोनी की टीम को चैंपियन बना दिया।
साल 2015 में चेन्नई को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद इस टीम में दो साल का बैन लगा था। 2018 में जब यह टीम वापस आई तो इसमें अनुभवी खिलाड़ियों की भरमार थी। इनमें अधिकतर खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्हें दूसरी टीमों ने बाहर कर दिया था और ऐसा माना जा रहा था कि इनका करियर खत्म होने की कगार पर है। इन्हीं खिलाड़ियों ने चेन्नई के लिए कमाल किया और 2018 में यह टीम चैंपियन बनी। इसके बाद से चेन्नई ऐसी टीम बन गई, जिसमें हर खिलाड़ी का डूबता करियर संवर गया।
अंबाती रायुडू से लेकर फाफ डुप्लेसिस और शेन वॉटसन जैसे खिलाड़ी अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर इस टीम के साथ जुड़े और सभी का करियर कुछ साल के लिए बढ़ गया। आईपीएल 2023 में भी अजिंक्य रहाणे और शिवम दुबे ने चेन्नई के लिए खेलते हुए अपनी नई पहचान बनाई। तुषार देशपांडे ने भी अच्छा प्रदर्शन किया और यह टीम चैंपियन बन गई।
धोनी का भरोसा बना खिलाड़ियों की ऊर्जा
चेन्नई सुपर किंग्स के लिए कमाल करने के बाद सभी खिलाड़ियों ने कहा कि धोनी ने उन्हें जिम्मेदारी दी और उन पर भरोसा जताया। ये खिलाड़ी फेल हुए और कुछ मुकाबलों में टीम को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन धोनी ने उन पर यकीन बनाए रखा और आगे चलकर इन्हीं खिलाड़ियों ने टीम को जीत दिलाई। रहाणे को टेस्ट का खिलाड़ी माना जाता था। आईपीएल में सभी टीमों ने उनका इस्तेमाल एक ऐसे सलामी बल्लेबाज के रूप में किया था, जो एक छोर पर विकेट संभालकर खेले और दूसरे छोर पर बाकी खिलाड़ी रन बनाते रहे हैं। वहीं, चेन्नई में उन्हें मध्यक्रम में तेजी से रन बनाने की जिम्मेदारी मिली। कप्तान और कोच ने कहा कि आप बड़े शॉट खेलते हुए आउट होंगे, लेकिन यह चिंता की बात नहीं है। इसके बाद रहाणे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई मैच जिताऊ पारियां खेलीं।
रहाणे के अलावा शिवम दुबे, तुषार देशपांडे, मथीशा पाथिराना और अंबाती रायुडू की यही कहानी रही। रायुडू ने तो पूरे सीजन कोई खास पारी नहीं खेली थी, लेकिन वह टीम में बने रहे और फाइनल में उन्होंने सिर्फ तीन गेंद में मैच पलट दिया। वहीं, तुषार शुरुआत में बहुत महंगे साबित हुए, लेकिन सीजन खत्म होने तक वह टीम के सबसे सफल गेंदबाज बन गए। मथीशा पाथिराना ने भी वाइड गेंदों में जमकर रन दिए, लेकिन अहम मौकों पर उन्होंने डेथ ओवर में कमाल किया।
इस सीजन 11 मैच में धोनी ने नहीं बदली टीम
चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी टीम में ज्यादा बदलाव करने में यकीन नहीं करते हैं और यही उनकी सफलता का राज है। इस सीजन चेन्नई ने कुल 16 मैच खेले और 11 मुकाबलों में धोनी ने टॉस के बाद कहा कि टीम में कोई बदलाव नहीं है। टूर्नामेंट की नौ टीमों में किसी ने भी अपने खिलाड़ियों पर इतना भरोसा नहीं जताया। पांच टीमें तो ऐसी रहीं, जिन्होंने हर मुकाबले में टीम बदली। चेन्नई के बाद गुजरात ऐसी टीम रही, जिसने पांच मुकाबलों में पिछला मैच खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को मौका दिया और यह टीम भी फाइनल में पहुंची। कोलकाता और पंजाब ने तीन और बैंगलोर ने दो मुकाबलों में अपनी टीम नहीं बदली।
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धोनी ने जिन पांच मुकाबलों में टीम बदली उनमें से अधिकतर मैचों में खिलाड़ियों की चोट के चलते वह बदलाव के लिए मजबूर थे। सीजन की शुरुआत में धोनी को टीम में बदलाव करना पड़ा, लेकिन एक बार यह टीम लय में आई तो आखिरी सात मैच में चेन्नई की टीम में कोई बदलाव नहीं हुआ। इस दौरान चेन्नई ने छह मैच जीते। एकमात्र हार कोलकाता के खिलाफ मिली, जिसमें हार की वजह भारी ओस थी।
धोनी का यही विश्वास खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भर देता है और सभी खिलाड़ी उनके साथ खेलने के बाद लय में आ जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर या आईपीएल में खेलने वाले खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं होती है। सभी खिलाड़ी जूनियर स्तर पर कमाल करने के बाद ही आईपीएल में खेलते हैं। ऐसे में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाहर लाने के लिए उन्हें मानसिक रूप से फिट रखना जरूरी है और धोनी यही काम बखूबी करते हैं। इसी वजह से वह संन्यास लेने से पहले ही हार्दिक पांड्या सहित कई खिलाड़ियों के लिए मेंटॉर बन चुके हैं।
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