दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज भारतीय टीम 3-0 से हार गई। भारत ने दक्षिण अफ्रीका में कुल छह वनडे सीरीज खेली हैं और चार बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। सीरीज हारने के बाद टीम इंडिया को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर टीम की गेंदबाजी दक्षिण अफ्रीका में बिलकुल साधारण रही है।
टीम इंडिया के तेज गेंदबाज पावरप्ले यानी पहले 10 ओवर में अच्छी गेंदबाजी नहीं कर सके हैं। जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार पहले दो मैचों के शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ एक ही विकेट निकाल सके। वहीं, आखिरी वनडे में भुवनेश्वर नहीं खेल रहे थे। उनकी जगह आए टीम में आए दीपक चाहर ने जरूर एक विकेट लिया, लेकिन यह काफी नहीं था। 2019 वनडे विश्व कप के बाद से पावरप्ले में टीम इंडिया की गेंदबाजी बेहद खराब रही है।
जसप्रीत बुमराह का प्रदर्शन नहीं रहा कुछ खास
बुमराह टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में विश्व के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में नई गेंद से उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। 2019 विश्व कप के बाद उन्होंने वनडे में 12 पारियों में पावरप्ले में 53 ओवर गेंदबाजी की है। इसमें वह सिर्फ एक ही विकेट चटका सके हैं। हालांकि, डेथ ओवर में उनकी गेंदबाजी बेहतरीन रही है।
भुवनेश्वर पावरप्ले में विकेट लेना भूल चुके
वहीं, बात करें भुवनेश्वर की तो उन्होंने 2019 विश्व कप के बाद पावरप्ले में 41 ओवर गेंदबाजी की है और उसमें सिर्फ तीन विकेट चटका सके हैं। यही कारण है कि भारत का रिकॉर्ड विश्व कप के बाद पावरप्ले में सबसे खराब रहा है। भारतीय गेंदबाजों ने इस दौरान 24 वनडे मैचों में शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ 11 विकेट चटकाए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे मैच में एक विकेट रनआउट से भी मिला।
जिम्बाब्वे का रिकॉर्ड भी भारत से बेहतर
इस दौरान भारतीय गेंदबाजों ने करीब 5.7 की इकोनॉमी से रन लुटाए हैं, जो कि वनडे खेलने वाले बाकी देशों में सबसे ज्यादा है। 2019 विश्व कप के बाद पावरप्ले में टीम इंडिया का गेंदबाजी औसत 132.00 (सबसे खराब) रही है। यह दूसरे स्थान पर मौजूद जिम्बाब्वे से काफी ज्यादा है। जिम्बाब्वे की टीम का पावरप्ले में गेंदबाजी औसत 63.45 का रहा है।
2019 विश्व कप के बाद भारत के खिलाफ खेलने वाली टीमों का रिकॉर्ड भी उससे बेहतर रहा है। 23 पारियों में विपक्षी टीमों ने करीब 53 की औसत से 25 विकेट चटकाए हैं। यानी विपक्षी टीमों ने शुरुआती 10 ओवर में भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया है। इस दौरान विपक्षी टीमों का इकोनॉमी रेट करीब 5.7 का रहा।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उभर कर आई कमजोरी
यही कमजोरी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीनों वनडे में भी देखने को मिली। पहले वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने यानेमन मलान को पावरप्ले में भले ही पवेलियन भेजा हो, लेकिन दूसरे वनडे में शुरुआती 10 ओवर में एक भी विकेट नहीं ले सके। इस मैच में 288 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका ने पहले 10 ओवर में बिना विकेट गंवाए 66 रन बनाए थे। तीसरे वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने मलान का विकेट लिया और बावुमा रनआउट हुए।
पहले या बाद में बल्लेबाजी, दोनों में फेल रहे
पार्ल के बोलैंड पार्क की विकेट पर ऐसा माना जा रहा था कि बाद में बल्लेबाजी करना मुश्किल होगा, क्योंकि विकेट स्लो हो जाती है। पहले वनडे में भी जब भारतीय टीम का लक्ष्य का पीछा कर रही थी, तो ऐसा ही हुआ था और भारत का हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, दूसरे वनडे में दक्षिण अफ्रीका ने पार्ल पर सबसे बड़ा लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल कर लिया।
तीसरे स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज की कमी खली
भारतीय टीम को पिछले कुछ सालों में तीसरे तेज गेंदबाज और एक ऑलराउंडर की कमी बहुत खली है। हार्दिक पांड्या कुछ खास फॉर्म में नहीं थे, इसलिए उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया। वहीं, रवींद्र जडेजा अनफिट थे और वाशिंगटन सुंदर कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में वेंकटेश अय्यर और शार्दुल ठाकुर दोनों को मौका देना पड़ा।
इसकी वजह से मोहम्मद सिराज जैसे स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज की जगह टीम में नहीं बन पाई। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो मैचों में टीम इंडिया को एक ऐसे गेंदबाजी की जरूरत थी, जो बुमराह और भुवनेश्वर के नहीं चल पाने पर गेंदबाजी कर सके। शार्दुल गेंदबाजी में यह भूमिका निभाने में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने बल्ले से कमाल जरूर किया।
तीसरे वनडे में तीनोंं तेज गेंदबाज का अच्छा प्रदर्शन
तीसरे वनडे में टीम इंडिया ने शार्दुल और वेंकटेश दोनों को बाहर किया और एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा को खिलाया। इसका फायदा टीम इंडिया को हुआ और तीनों तेज गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया। दीपक चाहर और बुमराह ने दो-दो विकेट लिए। वहीं, प्रसिद्ध कृष्णा को तीन विकेट मिले।
भारतीय स्पिनर्स पूरी तरह फ्लॉप रहे
एक और चीज जिसने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में हैरान किया, वह ये है कि भारतीय स्पिनर्स पूरी तरह से फ्लॉप रहे। वहीं, अफ्रीकी स्पिनरों ने बेहतरीन गेंदबाजी की। 2017-18 में जब भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई थी, तब कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने कहर बरपाया था। दोनों छह मैचों की सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में टॉप दो में रहे थे।
कुलदीप और चहल की जोड़ी रही थी हिट
कुलदीप और चहल ने मिलकर 33 विकेट चटकाए थे। इस दौरान उनका विकेट लेने का औसत 15.09 रहा था। भारत ने तब छह मैचों की वनडे सीरीज 5-1 से जीती थी। अब जब कुलदीप टीम में नहीं हैं, तो चहल भी कुछ खास फॉर्म में नजर नहीं आ रहे हैं। भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बीच के ओवरों में विकेट निकालने में परेशानी हुई।
दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर्स ने बेहतर प्रदर्शन किया
अश्विन 2017 के बाद पहली बार वनडे सीरीज खेल रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे में चहल और अश्विन की जोड़ी ने 20 ओवर में 106 रन देकर एक विकेट झटका। वहीं, अफ्रीका के एडेन मार्करम, केशव महाराज और तबरेज शम्सी की स्पिन तिकड़ी ने पहले वनडे में 26 ओवर में 124 रन देकर चार विकेट निकाले।
तीसरे वनडे में अश्विन को बाहर किया गया
दूसरे वनडे में अश्विन और चहल की जोड़ी ने 20 ओवर में 115 रन दिए और एक विकेट लिया। वहीं, महाराज, मार्करम और शम्सी की तिकड़ी ने 26 ओवर में 143 रन देकर फिर से चार विकेट झटके। यह दिखाता है कि भारतीय स्पिनरों के बीच के ओवरो में विकेट न निकाल पाने के कारण बाकी गेंदबाजों पर भी दबाव बढ़ा और सीरीज गंवानी पड़ी। तीसरे वनडे में हालांकि, अश्विन को बाहर किया गया और जयंत यादव को मौका मिला। इस मैच में चहल ने एक विकेट लिया।
विदेशी जमीन पर तीसरी सीरीज में मिली हार
2019 विश्व कप के बाद भारतीय टीम आठ वनडे सीरीज खेल चुकी है। इसमें से टीम ने पांच सीरीज जीती है, वहीं तीन में हार का सामना करना पड़ा है। यह तीनों सीरीज विदेशी जमीन पर खेली गई। भारत ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अब दक्षिण अफ्रीका में वनडे सीरीज गंवाई है।
विस्तार
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज भारतीय टीम 3-0 से हार गई। भारत ने दक्षिण अफ्रीका में कुल छह वनडे सीरीज खेली हैं और चार बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। सीरीज हारने के बाद टीम इंडिया को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर टीम की गेंदबाजी दक्षिण अफ्रीका में बिलकुल साधारण रही है।
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टीम इंडिया के तेज गेंदबाज पावरप्ले यानी पहले 10 ओवर में अच्छी गेंदबाजी नहीं कर सके हैं। जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार पहले दो मैचों के शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ एक ही विकेट निकाल सके। वहीं, आखिरी वनडे में भुवनेश्वर नहीं खेल रहे थे। उनकी जगह आए टीम में आए दीपक चाहर ने जरूर एक विकेट लिया, लेकिन यह काफी नहीं था। 2019 वनडे विश्व कप के बाद से पावरप्ले में टीम इंडिया की गेंदबाजी बेहद खराब रही है।
जसप्रीत बुमराह का प्रदर्शन नहीं रहा कुछ खास
बुमराह टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में विश्व के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में नई गेंद से उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। 2019 विश्व कप के बाद उन्होंने वनडे में 12 पारियों में पावरप्ले में 53 ओवर गेंदबाजी की है। इसमें वह सिर्फ एक ही विकेट चटका सके हैं। हालांकि, डेथ ओवर में उनकी गेंदबाजी बेहतरीन रही है।
भुवनेश्वर पावरप्ले में विकेट लेना भूल चुके
वहीं, बात करें भुवनेश्वर की तो उन्होंने 2019 विश्व कप के बाद पावरप्ले में 41 ओवर गेंदबाजी की है और उसमें सिर्फ तीन विकेट चटका सके हैं। यही कारण है कि भारत का रिकॉर्ड विश्व कप के बाद पावरप्ले में सबसे खराब रहा है। भारतीय गेंदबाजों ने इस दौरान 24 वनडे मैचों में शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ 11 विकेट चटकाए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे मैच में एक विकेट रनआउट से भी मिला।
जिम्बाब्वे का रिकॉर्ड भी भारत से बेहतर
इस दौरान भारतीय गेंदबाजों ने करीब 5.7 की इकोनॉमी से रन लुटाए हैं, जो कि वनडे खेलने वाले बाकी देशों में सबसे ज्यादा है। 2019 विश्व कप के बाद पावरप्ले में टीम इंडिया का गेंदबाजी औसत 132.00 (सबसे खराब) रही है। यह दूसरे स्थान पर मौजूद जिम्बाब्वे से काफी ज्यादा है। जिम्बाब्वे की टीम का पावरप्ले में गेंदबाजी औसत 63.45 का रहा है।
2019 विश्व कप के बाद भारत के खिलाफ खेलने वाली टीमों का रिकॉर्ड भी उससे बेहतर रहा है। 23 पारियों में विपक्षी टीमों ने करीब 53 की औसत से 25 विकेट चटकाए हैं। यानी विपक्षी टीमों ने शुरुआती 10 ओवर में भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया है। इस दौरान विपक्षी टीमों का इकोनॉमी रेट करीब 5.7 का रहा।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उभर कर आई कमजोरी
यही कमजोरी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीनों वनडे में भी देखने को मिली। पहले वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने यानेमन मलान को पावरप्ले में भले ही पवेलियन भेजा हो, लेकिन दूसरे वनडे में शुरुआती 10 ओवर में एक भी विकेट नहीं ले सके। इस मैच में 288 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका ने पहले 10 ओवर में बिना विकेट गंवाए 66 रन बनाए थे। तीसरे वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने मलान का विकेट लिया और बावुमा रनआउट हुए।
पहले या बाद में बल्लेबाजी, दोनों में फेल रहे
पार्ल के बोलैंड पार्क की विकेट पर ऐसा माना जा रहा था कि बाद में बल्लेबाजी करना मुश्किल होगा, क्योंकि विकेट स्लो हो जाती है। पहले वनडे में भी जब भारतीय टीम का लक्ष्य का पीछा कर रही थी, तो ऐसा ही हुआ था और भारत का हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, दूसरे वनडे में दक्षिण अफ्रीका ने पार्ल पर सबसे बड़ा लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल कर लिया।
तीसरे स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज की कमी खली
भारतीय टीम को पिछले कुछ सालों में तीसरे तेज गेंदबाज और एक ऑलराउंडर की कमी बहुत खली है। हार्दिक पांड्या कुछ खास फॉर्म में नहीं थे, इसलिए उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया। वहीं, रवींद्र जडेजा अनफिट थे और वाशिंगटन सुंदर कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में वेंकटेश अय्यर और शार्दुल ठाकुर दोनों को मौका देना पड़ा।
इसकी वजह से मोहम्मद सिराज जैसे स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज की जगह टीम में नहीं बन पाई। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो मैचों में टीम इंडिया को एक ऐसे गेंदबाजी की जरूरत थी, जो बुमराह और भुवनेश्वर के नहीं चल पाने पर गेंदबाजी कर सके। शार्दुल गेंदबाजी में यह भूमिका निभाने में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने बल्ले से कमाल जरूर किया।
तीसरे वनडे में तीनोंं तेज गेंदबाज का अच्छा प्रदर्शन
तीसरे वनडे में टीम इंडिया ने शार्दुल और वेंकटेश दोनों को बाहर किया और एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा को खिलाया। इसका फायदा टीम इंडिया को हुआ और तीनों तेज गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया। दीपक चाहर और बुमराह ने दो-दो विकेट लिए। वहीं, प्रसिद्ध कृष्णा को तीन विकेट मिले।
भारतीय स्पिनर्स पूरी तरह फ्लॉप रहे
एक और चीज जिसने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में हैरान किया, वह ये है कि भारतीय स्पिनर्स पूरी तरह से फ्लॉप रहे। वहीं, अफ्रीकी स्पिनरों ने बेहतरीन गेंदबाजी की। 2017-18 में जब भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई थी, तब कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने कहर बरपाया था। दोनों छह मैचों की सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में टॉप दो में रहे थे।
कुलदीप और चहल की जोड़ी रही थी हिट
कुलदीप और चहल ने मिलकर 33 विकेट चटकाए थे। इस दौरान उनका विकेट लेने का औसत 15.09 रहा था। भारत ने तब छह मैचों की वनडे सीरीज 5-1 से जीती थी। अब जब कुलदीप टीम में नहीं हैं, तो चहल भी कुछ खास फॉर्म में नजर नहीं आ रहे हैं। भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बीच के ओवरों में विकेट निकालने में परेशानी हुई।
दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर्स ने बेहतर प्रदर्शन किया
अश्विन 2017 के बाद पहली बार वनडे सीरीज खेल रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे में चहल और अश्विन की जोड़ी ने 20 ओवर में 106 रन देकर एक विकेट झटका। वहीं, अफ्रीका के एडेन मार्करम, केशव महाराज और तबरेज शम्सी की स्पिन तिकड़ी ने पहले वनडे में 26 ओवर में 124 रन देकर चार विकेट निकाले।
तीसरे वनडे में अश्विन को बाहर किया गया
दूसरे वनडे में अश्विन और चहल की जोड़ी ने 20 ओवर में 115 रन दिए और एक विकेट लिया। वहीं, महाराज, मार्करम और शम्सी की तिकड़ी ने 26 ओवर में 143 रन देकर फिर से चार विकेट झटके। यह दिखाता है कि भारतीय स्पिनरों के बीच के ओवरो में विकेट न निकाल पाने के कारण बाकी गेंदबाजों पर भी दबाव बढ़ा और सीरीज गंवानी पड़ी। तीसरे वनडे में हालांकि, अश्विन को बाहर किया गया और जयंत यादव को मौका मिला। इस मैच में चहल ने एक विकेट लिया।
विदेशी जमीन पर तीसरी सीरीज में मिली हार
2019 विश्व कप के बाद भारतीय टीम आठ वनडे सीरीज खेल चुकी है। इसमें से टीम ने पांच सीरीज जीती है, वहीं तीन में हार का सामना करना पड़ा है। यह तीनों सीरीज विदेशी जमीन पर खेली गई। भारत ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अब दक्षिण अफ्रीका में वनडे सीरीज गंवाई है।