आज संजय मांजरेकर का जन्मदिन है। क्रिकेट उन्हें विरासत में मिला। पिता विजय मांजरेकर उस दौर के बल्लेबाज थे, जब भारतीय क्रिकेट अपने पैर जमाने में लगा था। सीनियर मांजरेकर का जब निधन हुआ तब संजय महज 18 साल के थे। उस वक्त तक उनका रणजी डेब्यू भी नहीं हुआ था। हालांकि पिता को भरोसा था कि बेटा एक दिन टीम इंडिया के लिए खेलेगा।
12 जुलाई 1965 को जन्में संजय मांजरेकर को कभी सुनील गावस्कर का उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन वह अपने करियर में वह बुलंदी हासिल नहीं कर पाए, जितना उनसे उम्मीद की गई थी। खुद संजय मांजरेकर ने अपनी आत्मकथा में खुलासा किया था कि राहुल द्रविड़ औऱ सौरव गांगुली की वजह से उनका करियर जल्दी खत्म हो गया।
संन्यास लेने के बाद बतौर कमेंटेटर अपनी अलग पहचान बनाने वाले संजय मांजरेकर ने 2018 में लॉन्च की अपनी आत्मकथा 'इंपर्फेंक्ट' में लिखा कि जब उन्होंने खेल को अलविदा कहा तब वह टीम के महत्वपूर्ण बल्लेबाज थे और आउट ऑफ फॉर्म तो बिलकुल नहीं थे, लेकिन सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के खेल को देखकर समझ चुके थे कि अब उनका 'समय पूरा' हो चुका है।
मांजरेकर ने लिखा कि 1996 इंग्लैंड दौरे पर द्रविड़ से तो लोगों को उम्मीद थी कि वे बढ़िया प्रदर्शन करेंगे, लेकिन सौरव गांगुली सबके लिए सरप्राइज रहे। संजय ने आगे कहा कि द्रविड़ तो लगता था कि टीम इंडिया के लिए ही बने हैं, लेकिन जब मैंने उन्हें खेलते देखा और जिस तरह से उन्होंने बैटिंग की, तभी मुझे अंदाजा हो गया था कि अब मेरा 'समय पूरा' हो गया है।
मांजरेकर जब तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेले उनकी पहचान एक तकनीकी रूप से सक्षम खिलाड़ी के तौर पर रही। खासतौर पर उनका रिकॉर्ड विदेशी पिचों पर शानदार रहा। उनको उनकी तकनीक के लिए साथी खिलाड़ी उन्हें कई बार मि. परफेक्ट कहा करते थे, लेकिन सचिन तो उन्हें मि. डिफरेंट नाम दिया।