विज्ञापन
Hindi News ›   Columns ›   Opinion ›   Sweet voice say mind control

मीठी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय

Yashwant Vyas Updated Fri, 01 Jun 2012 12:00 PM IST
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कटु वचन बोलने से संचित पुण्य नष्ट हो जाते हैं। जो व्यक्ति अभद्र अथवा कटु भाषा का इस्तेमाल करता है, वह इहलोक के साथ-साथ परलोक में भी दुख पाता है। कहा भी गया है, मीठी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय...। आचार्य रामानुज धर्मशास्त्रों के गंभीर अध्येता तथा प्रकांड विद्वान थे। कई विद्वानों को उन्होंने अपने अकाट्य तर्कों से निरुत्तर किया था। इष्टदेव श्रीरंग भगवान की उपासना वह इतना तन्मय होकर करते थे कि उन्हें समाधि लग जाती थी।


आचार्य एक दिन श्रीरंग जी के पावन स्मरण में साधनारत थे। उन्हें लगा कि भगवान श्रीविग्रह की पीठ पर फोड़ा निकल आया है। यह देखकर उनकी आंखों से अश्रु झरने लगे। उन्होंने पूछा, भगवन, यह क्या हुआ? श्रीरंग जी ने कहा, रामानुज, दूसरों का खंडन करने के लिए तुम्हारे छोड़े गए वाग्वाणों से हमारी पीठ पर यह घाव लगा है।

आचार्य जी ने कहा, महाराज, हम खंडन तो अधर्मियों का करते हैं। भगवान बोले, यह तो ठीक है, किंतु हमारी पूजा-सेवा करने वाले भक्त की वाणी मधुर तो होनी ही चाहिए। उसे अपनी विद्वता के अहंकार में पड़कर किसी पर कटु वचनों की बौछार नहीं करनी चाहिए।

यह सुनकर रामानुजाचार्य रोने लगे। भगवान ने कहा, अब तुम किसी का खंडन-मंडन न करना। सरलता के साथ भजन में लगे रहना। विनम्रता से लोगों को सदाचार का उपदेश देकर उनका कल्याण करना। रामानुजाचार्य ने ऐसा ही करने का संकल्प लिया।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Independence day

अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर

Next Article

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

app Star

ऐड-लाइट अनुभव के लिए अमर उजाला
एप डाउनलोड करें

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
X
Jobs

सभी नौकरियों के बारे में जानने के लिए अभी डाउनलोड करें अमर उजाला ऐप

Download App Now

अपना शहर चुनें और लगातार ताजा
खबरों से जुडे रहें

एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed

Reactions (0)

अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं

अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें