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बिशप की विशाल हृदयता

Yashwant Vyas Updated Wed, 30 May 2012 12:00 PM IST
एक बार फ्रांस के एक नगर का छोटा पादरी माइरिल किसी कार्य से पेरिस गए हुए थे। जब वह सड़क पर जा रहे थे, तो सम्राट नेपोलियन उधर से गुजरे। पादरी माइरिल उनकी वेश-भूषा देखकर रुके और गौर से उन्हें देखने लगे। सम्राट ने पूछा, आप कौन हैं, जो मेरी ओर देख रहे हैं। पादरी ने जवाब दिया, आप देख रहे हैं एक भले आदमी की ओर और मैं देख रहा हूं एक बड़े आदमी की ओर। पादरी के इन शब्दों ने ऐसा जादू किया कि सम्राट नेपोलियन ने उसका पता पूछा और कुछ दिन बाद नगर का बिशप नियुक्त करने संबंधी पत्र उनके पास भेजा।


पादरी माइरिल शुरू से ही विरक्त और सेवा भावी थे। उन्हें तो ईसा का संदेश जन-जन तक पहुंचाना था। वह अपने छोटे से परिवार के साथ पेरिस आ गए। बिशप के लिए बनाए गए विशाल महल में उन्हें ठहराया गया। इस महल के बगल में एक अस्पताल था। उन्होंने अस्पताल के आगे कुछ रोगियों को बैठे देखा। उन्होंने अस्पताल जाकर डॉक्टरों से जब इसका कारण पूछा, तो डॉक्टर ने बताया कि जगह की कमी के कारण न सिर्फ रोगियों को खुले में लेटना पड़ता है, बल्कि कई बार उन्हें वापस भी लौटा दिया जाता है।


यह सुनकर पादरी द्रवित हो उठे। उन्होंने तुरंत अपना महल अस्पताल को देते हुए कहा, ईसा सेवा को ही सच्चा धर्म बताते हैं। मैं कोई अनूठा काम नहीं कर रहा, बस प्रभु यीशु के उपदेशों पर चल रहा हूं। लोग बिशप की विशाल हृदयता देखकर श्रद्धावनत हो उठे।
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