लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Columns ›   Opinion ›   All sense of compassion in heart

सभी के हृदय में दया भावना

Yashwant Vyas Updated Thu, 17 May 2012 12:00 PM IST
सच्चे संत पापी से घृणा नहीं करते। वह उसे पाप कर्म से हटाकर सच्चा इनसान बनाने का प्रयास करते हैं। प्रत्येक प्राणी के कल्याण की कामना किया करते हैं।


सूफी संत वायजीद सदाचरण का उपदेश देते हुए एक गांव में पहुंचे। सराय के प्रबंधक ने कहा, आप अच्छे आदमी हैं, इसके लिए एक गवाह चाहिए। तभी सराय में रुकने की स्वीकृति मिलेगी। संत वायजीद ने सोचा कि सामने वृक्ष के नीचे बैठकर ही रात गुजारी जाए।

अचानक एक व्यक्ति आता दिखाई दिया। संत ने उससे कहा, मुझे रात भर सराय में रुकना है। क्या तुम मेरी सिफारिश कर सकते हो? वह व्यक्ति बोला, मैं चोर हूं। अपने धंधे के लिए घर से निकला हूं। सराय वाले मुझे जानते हैं। वे मेरी गवाही पर आपको सराय में क्यों रहने देंगे?


चोर संत के चेहरे का तेज देखकर समझ गया कि यह खुदा के बंदे फकीर हैं। उसने कहा, बाबा आप मेरे घर चलें। वह उन्हें अपने घर ले आया। घर पर उन्हें छोड़कर वह अपने धंधे पर लौट गया। उस रात उसका कहीं दांव नहीं चला। खाली हाथ सवेरे लौट आया।

वापस लौटने पर चोर ने देखा कि संत वायजीद आंखें बंद करके खुदा से प्रार्थना कर रहे हैं, सभी गलत काम करने वालों को सद्बुद्धि दो। इस घर के मालिक के हृदय में दया भावना है। उसके गुनाह को माफ कर उसे सद्बुद्धि दो। चोर ने फकीर के वचन सुने, तो उसका हृदय भावुक हो उठा। उसने उसी समय बुरा कर्म छोड़ने का संकल्प ले लिया।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed