राज्यसभा के बाद लोकसभा में भी कॉपीराइट संशोधन विधेयक, 2010 को मंजूरी मिल गई है। यह एक ऐतिहासिक विधेयक है, जिसके जरिये 1957 के कॉपीराइट कानून में संशोधन कर उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया गया है। इस विधेयक के जरिये गीतकारों, संगीतकारों के सृजनात्मक कार्यों के कॉपीराइट और आर्थिक हितों की सुरक्षा की गई है। इस विधेयक के प्रावधानों के तहत सृजनात्मक कलाकार, लेखक को उनके कार्यों के लिए आजीवन रॉयल्टी मिलती रहेगी।
इस विधेयक में कुल सात संशोधन किए गए हैं। इसमें कॉपीराइट की परिभाषा को विस्तृत किया गया है और रचनाओं के प्रत्येक रेडियो-टेलीविजन प्रसारण पर भी रॉयल्टी देने का प्रावधान किया गया है। कॉपीराइट कानून का विस्तार कर इंटरनेट जैसे आधुनिक संचार माध्यमों को भी इसके दायरे में लाया गया है। अगर किसी गीत, संवाद या शेर का रिंगटोन बनाया जाएगा एवं उसका व्यावसायिक उपयोग किया जाएगा, तो उसकी रॉयल्टी भी गीतकारों, लेखकों को मिलेगी। इस विधेयक के तहत लोक कलाकारों को भी उनकी रचनाओं के इस्तेमाल पर आजीवन रॉयल्टी का प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक कलाकारों को भी सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें अपनी कला के साउंड एवं वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति प्रदान करता है। यह विधेयक नेत्रहीनों को विशेष स्वरूप में कॉपीराइट चीजों को अपने उपयोग के लिए तैयार करने की अनुमति देता है। इसमें छात्रों को शोध के उद्देश्य से किताबों की छायाप्रति करने की छूट प्रदान की गई है। पुस्तकों की पायरेसी में लिप्त पाए जाने पर जुर्माने के साथ दो वर्ष कैद की सजा का भी प्रावधान इसमें किया गया है।