{"_id":"2764","slug":"-Vinit-Narain-2764-","type":"story","status":"publish","title_hn":"फेसबुक का असली फेस","category":{"title":"Opinion","title_hn":"नज़रिया ","slug":"opinion"}}
फेसबुक का असली फेस
Vinit Narain
Updated Fri, 18 May 2012 12:00 PM IST
अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए 28 अक्तूबर, 2003 का दिन अन्य दिनों से बिलकुल अलग था। उस दिन उन्हें एक ऐसी वेबसाइट की जानकारी मिली, जिस पर खेला जाने वाला खेल 'हॉट ऐंड नॉट' उनके रोमांच को बढ़ा रहा था। इस खेल में वेबसाइट पर यूनिवर्सिटी के ही दो छात्रों की तसवीरें लगाई जाती थीं और पूछा जाता था कि उन दोनों में 'स्मार्ट' कौन है।
उस घटना का एक दिलचस्प पहलू यह भी था कि उस वेबसाइट को यूनिवर्सिटी के ही द्वितीय वर्ष के एक छात्र ने अपने तीन अन्य दोस्तों के साथ बनाया था। आज करीब नौ साल बाद वह वेबसाइट यूनिवर्सिटी से निकलकर पूरी दुनिया में फैल चुकी है और उसके सक्रिय सदस्यों की संख्या 80 करोड़ को भी पार कर गई है। यह वेबसाइट, युवा पीढ़ी की चहेती बन चुकी फेसबुक है और द्वितीय वर्ष के वह छात्र मार्क जुकरबर्ग हैं, जो पिछले चार वर्षों से टाइम पत्रिका की सुर्खियों में है और आज दुनिया में सबसे युवा अरबपति शख्सियत हैं। हाल में उन्होंने अपना 28वां जन्मदिन मनाया है।
कंप्यूटर से जुकरबर्ग को बचपन में ही प्रेम हो गया था। पिता एडवर्ड उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि जिस उम्र में दूसरे बच्चे वीडियो गेम खेला करते थे, 'जुक' वीडियो गेम बनाता था। यही वजह है कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की शिक्षा उन्हें अलग से दी गई। इसी शिक्षा का नतीजा था कि हाई स्कूल के दौरान ही जुकरबर्ग ने साइनप्स नामक ऐसा म्यूजिक प्लेयर बनाया, जो श्रोता के संगीत रुझान को जान सकता था। इस सॉफ्टवेयर को खरीदने का प्रयास माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी ने भी किया था और जुकरबर्ग के पास नौकरी का प्रस्ताव भी भेजा, पर शर्मीले जुक के लिए किसी कंपनी से बंधकर काम करना मुमकिन नहीं था, लिहाजा उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की राह पकड़ी।
सजग, पर सार्वजनिक जीवन से कमोबेश दूर रहने वाले जुकरबर्ग वर्णांधता के भी शिकार हैं और लाल और हरे में अंतर नहीं कर पाते। इसलिए जब फेसमेस (अब फेसबुक) के डिजाइन की बात आई, तो उन्हें गहरा नीला रंग पसंद आया, जो अब फेसबुक का लोगो भी है। यह भी दिलचस्प संयोग है कि जुकरबर्ग बिल गेट्स और दिवंगत स्टीव जॉब्स जैसे उन चंद अरबपतियों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कॉलेज की पढ़ाई भी छोड़ दी। छोटी-सी उम्र में ही प्रसिद्धि का शिखर चूम चुके जुकरबर्ग पर फिल्म भी बन चुकी है।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।