शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन जून के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है, पर बीजिंग में होने वाले इस सम्मेलन से पहले इस संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हाल ही में संपन्न हुई है। इस बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति की चर्चा तो की गई, परोक्ष रूप से भारत और पाकिस्तान को इस संगठन की पूर्ण सदस्यता देने संबंधी बातचीत भी हुई।
शंघाई सहयोग संगठन एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसका गठन 2001 में शंघाई में किया गया। इसका उदय 1966 में गठित शंघाई पांच संगठन से हुआ, जिसके सदस्य चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान थे। वर्ष 2001 में उज्बेकिस्तान को भी इसमें शामिल कर लिया गया और संगठन का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन रख दिया गया।
इसके अतिरिक्त बतौर पर्यवेक्षक भारत, पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया भी इसमें शामिल हैं। ये सभी देश जुलाई, 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में आयोजित इसकी पांचवीं बैठक में पहली बार शामिल हुए थे। भारत चूंकि भविष्य में रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण देश की भूमिका निभा सकता है, इसलिए भारत को पूर्ण सदस्यता देने की कोशिश रूस कर रहा है। इस संगठन की आधिकारिक भाषा चीनी और रूसी है।
इस संगठन का मुख्य कार्य मध्य एशिया में स्थिरता को मजबूत बनाना है, पर यह आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध को प्रगाढ़ करने की दिशा में भी काम करता है। आपदा के समय सदस्य देशों में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना, एक-दूसरे को विशेष उपकरण उपलब्ध कराना, नागरिक सुविधाओं में एक-दूसरे की मदद करना, वित्तीय-आर्थिक-सामरिक और मानवीय सहायता देना भी इसके महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल है।