लोग कहते हैं कि राजस्थान में कानून व्यवस्था की बदतर हालत की तरह अपराध नियंत्रण की स्थिति भी रसातल में पहुंच चुकी है। राजस्थान को जानने वाला हर एक शख्स हैरत में है। यह वही राजस्थान है, जहां की पुलिस के हत्थे चढ़ने के नाम पर बड़े-बड़े अपराधी कांप जाते थे।
पर्यटन प्रधान एक बेहद शांत से प्रदेश राजस्थान में अपराध नियंत्रण से बाहर हो गया है। कानून, व्यवस्था की स्थिति अपने सबसे निचले पायदान पर पहुंच गई है। दौसा-भीलवाड़ा, जोधपुर के हालिया साम्प्रदायिक फसादों ने जहां पहले ही कानून व्यवस्था को जख्मी कर रखा था, वहीं मंगलवार को उदयपुर में एक दर्जी कन्हैया लाल को सरेआम धमकी देकर, गर्दन धड़ से अलग करने की बर्बर घटना ने कानून और व्यवस्था को जैसे तार-तार कर दिया।
दरअसल, सभी एकमत हैं कि पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो यह हालात कदापि पैदा न होते। भाजपाई आरोप लगाते हैं कि राजस्थान पुलिस, सरकार की तुष्टिकरण की नीति की फॉलोवर हो गई। करौली, भीलवाड़ा और जोधपुर में हुए सांप्रदायिक फसादों में लोगों ने पुलिस का यह रवैया देखा। अब उदयपुर पुलिस ने एक नया उदाहरण पेश कर दिया।
सबसे हैरतंंगेज और हतप्रभ करने वाली बात यह थी कि पुलिस ने उदयपुर के नाजिम अहमद की शिकायत पर भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में दर्जी कन्हैयालाल को ही जेल भेज दिया। लेकिन, हत्या की धमकी मिलने पर कन्हैयालाल की जान के खतरे की गुहार को अनसुना कर दिया। नतीजा आज पूरे देश को हिला रहा है। एकदम शांत उदयपुर के बाशिंदे कर्फ्यू के घेरे में कैद हैं।
इधर, राज्यभर में इंटरनेट 24 घंटे से ठप्प है। किसी पर्यटन प्रधान प्रदेश के लिए इससे खराब क्या हो सकता है कि वहां की कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के सिस्टम इस निचले स्तर पर पहुंच जाए। दो महीने के भीतर यह चौथा मौका है, जब सांप्रदायिक उन्माद के चलते राज्य दहल चुका है। ऐसे में कोई पर्यटक इधर रुख क्यों करेगा?
प्रदेश में अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था की स्थिति सबसे निचले पायदान पर है।
हालांकि, उदयपुर की घटना में संलिप्त दोनों ही आरोपितों को वारदात के कुछ देर बाद ही पकड़ लिया गया। इसको लेकर पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार तत्परता से कार्रवाई का दावा भी करती है। कई भाजपा नेता और सोशलमीडिया पर तमाम पोस्ट डालने वाले सरकार के इस दावे पर निशाना साधते हुए कहते हैं-
तालिबानी स्टाइल में हत्या करने वालों के लिए, फिलहाल राजस्थान सरकार और पुलिस से बेहतर पनाहगाह कहां होगी?
लोग कहते हैं कि राजस्थान में कानून व्यवस्था की बदतर हालत की तरह अपराध नियंत्रण की स्थिति भी रसातल में पहुंच चुकी है। राजस्थान को जानने वाला हर एक शख्स हैरत में है। यह वही राजस्थान है, जहां की पुलिस के हत्थे चढ़ने के नाम पर बड़े-बड़े अपराधी कांप जाते थे।
वर्ष 2004 की बात है, गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने कुख्यात वन तस्कर संसार चंद को राजस्थान पुलिस को सौंपने का फैसला किया तो वह गिड़गिड़ा उठा कि उसे राजस्थान पुलिस को न सौंपा जाए, राजस्थान पुलिस, कानून की ऐसी मार मारती है, जिससे उबरना संभव नहीं होता।
वही पुलिस है, बस वक्त बदला है और छुटभैया अपराधी उसे अपने ठेंगे पर लिए हुए हैं। भीलवाड़ा में बजरी तस्कर, पुलिसकर्मियों को रौंदने में खौफ नहीं खा रहे हैं। बेगू विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी को कोटा के लाला गुर्जर ने धमकी दी है कि एक महीने के अंदर उनकी हत्या कर दी जाएगी।
बिधूड़ी अपने सरकार के ही खिलाफ बोलते हैं, जब विधायक ही सुरक्षित नहीं तो आम आदमी की क्या बिसात। राजधानी में भी अपराध अपने चरम पर है। अब जल्द से जल्द काम निपटाकर लोग घरों को लौट पड़ते हैं। यह वही शहर है, जहां फिल्म के रात्रिकालीन शो में सबसे ज्यादा भीड़ होती थी। अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि वे सरेराह किसी को भी उठा ले रहे हैं।
गुंडागर्दी का आलम यह है कि अपराधिक प्रवृत्ति के लोग दिनदहाड़े वारदात कर रहे हैं। रंगदारी वसूलने के विवाद में रविवार को श्यामनगर थाना इलाके में दो भाईयों पर घर के सामने हमला कर दिया गया। व्यापारियों की जान सांसत में है। उनको वसूली के संदेश मिल रहे हैं।
सबसे ताजी घटना में सिद्दू मूसेवाला की हत्या के आरोपी गोल्डी बरार के नाम पर राजापार्क के व्यापारी अरविंद सुखीजा से पांच लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। न देने पर बेटे को उठा लेने की धमकी दी जा रही है।
कब कहां किसके साथ क्या अपराध घटित हो जाए किसी को पता नहीं।
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