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पाकिस्तान में कोरोना से कोहराम: इमरान खान के इन फैसलों से जनता ही नहीं दुनिया भी हैरान

Rajesh Badal राजेश बादल
Updated Sun, 29 Mar 2020 01:03 PM IST
coronavirus in pakistan imran khan government challenges and problems
पाकिस्तान- कोरोना वायरस से हालात बहुत ज्यादा खराब हैं. - फोटो : social media

पाकिस्तान में पहले ही कोरोना से कोहराम मचा है। उस पर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के रोज़-रोज़ बदलते फ़ैसले अवाम का सिरदर्द बन गए हैं। अब तक डेढ़ हज़ार से ज़्यादा कोरोना के मरीज़ पाए गए हैं। मौतों का आंकड़ा दहाई अंक पार कर गया है। एक सप्ताह पहले इमरान ख़ान ने मुल्क में सौ फ़ीसदी लॉक डाउन से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि इससे गरीब और कमज़ोर तबका बेमौत मारा जाएगा। अब  वे लॉक डाउन के लिए ज़बरदस्त फौजी दबाव का सामना कर रहे हैं।



कल शुक्रवार को जुमे के मद्देनजर पहले तो उन्होंने सामूहिक नमाज़ की इजाज़त दे दी, लेकिन नमाज़ से चंद घंटे पहले पाबंदी लगा दी। ज़ाहिर है अवाम ने इस बंदिश की धज्जियां उड़ा दीं। लोगों ने कहा कि जब हुकूमत के पास उन्हें  सेहतमंद रखने का हौसला नहीं है तो ख़ुदा की इबादत करते हुए मरना बेहतर है। सरकार अपने फ़रमान की पुड़िया बनते देखती रही।


दरअसल, पाकिस्तानी हुकूमत कोरोना के मामले में शुरू से ही भ्रम में रही है। पहले तो वह विदेशों में फंसे पाकिस्तानियों को अपने वतन लाने को राज़ी नहीं थी। इस बरताव की चौतरफ़ा निंदा हुई तो उसने रवैया बदला। देर से जागने या बीमारी को गंभीरता से नहीं लेने के कारण लोग संक्रमित होते गए और अस्पतालों में इलाज़ के इंतजाम नहीं थे। चीन से अगर मास्क,कोरोना किट,आइसोलेशन उपकरण वगैरह नहीं आए होते तो अधिक भयावह तस्वीर होती। पाकिस्तान में जो परदेसी मुसाफ़िर और नागरिक फंसे हुए थे,उन्हें भेजने के इंतजाम भी मुकम्मल नहीं थे।

पहले तो विदेश मंत्रालय सोचता रहा कि संबंधित देश अपने लोगों की चिंता करेंगे। जब ऐसा नहीं हुआ और विदेशियों के संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ने लगा तो बदनामी के डर से अब प्रीमियम किराए पर उन्हें भेजने का फ़ैसला लिया गया। आपदा में वहां की एयरलाइंस लोगों की जेब ढीली करने में लगी है। 

सबसे अधिक पंजाब ,सिंध और ख़ैबरपख्तूनवा में कोरोना पीड़ित हैं। बलूचिस्तान और पाकिस्तान के क़ब्जे वाले कश्मीर में संख्या कम है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वहां बीमारी नहीं फैली है, बल्कि इन इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर है इसलिए वहां की हकीक़त तो पता ही नहीं लग रही। 

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इमरान खान ना तो ठीक से फैसला ले पा रहे हैं ना प्रबंधन कर पा रहे हैं। - फोटो : एएनआई
शुक्रवार को प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने संवाददाताओं से माना कि मुल्क में इस बीमारी से लड़ने के ख़राब प्रबंध हैं। ईरान से सटे इलाक़े की एक सरकारी रिपोर्ट उन्होंने देखी तो वे चौंक गए। वहां ख़राब इंतजाम होने की कौन कहे,वहां तो कोई इंतजाम ही नहीं है। इसी तरह बलूचिस्तान के हाल भी बदतर हैं। अवाम का सवाल यह है कि अगर वहां कोई सुविधाओं का ढांचा ही नहीं है तो दो बरस से इमरान ख़ान क्या कर रहे हैं ?

इस देश की धड़कनों पर नियंत्रण रखने वाली फ़ौज इन दिनों केवल अपना ख्याल रख रही है। कश्मीर सीमा पर अंतराल के बाद छुटपुट पटाख़ेनुमा गोलीबारी छोड़कर वह क्या काम कर रही है - यह पाकिस्तान में किसी को नहीं पता। सेना से लोग बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे थे कि वह अपने अस्पताल, दवाएं,संसाधन और सैनिक उनकी मदद के लिए झौंक देगी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अब नागरिक फौज को कोस रहे हैं। हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स पर भरोसा करें तो खबर है कि कोरोना के मसले पर सेना और इमरान ख़ान के बीच गंभीर मतभेद उभरे हैं ।इमरान संपूर्ण लॉक डाउन के पक्ष में नहीं हैं और फ़ौज ऐसा चाहती है। इसलिए अब फ़ौज सरकार के आदेश के बिना ही सड़कों पर उतरने का फ़ैसला कर चुकी है। वह अब लॉक डाउन कराएगी। 

दरअसल नीति विकलांगता पाकिस्तान का स्थाई भाव है। चाहे जंग के दरम्यान हो या किसी बड़ी आफ़त का मुक़ाबला करना हो। देश को आगे ले जाने वाली तरकीबें हों या फिर भारत के साथ रिश्तों का सिलसिला। हर मामले में इस देश ने बुद्धिहीन होने का परिचय दिया है। हिंदुस्तान से नफ़रत भाव पाकिस्तान का चरित्र है,जो उससे ऊपर उसे कभी उठने नहीं देता। कोरोना के मामले में भी यही हुआ है।
 
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
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