आतंकियों के तार जुड़े होने को लेकर चर्चा में रहे पुराना बेतवा घाट बुधवार रात फिर चर्चा में आ गया। यहां रात करीब नौ बजे नीले कलर की लखनऊ के नंबर की गाड़ी आने से लोग चौकन्ने हो गए।
गाड़ी से उतरे दो अधिकारी करीब एक घर में 45 मिनट तक रुके। पूछने पर बोले किसी काम के सिलसिले में आए हैं। इस मामले को लेकर मोहल्ले के लोगों में तरह तरह की चर्चाएं तेज रहीं।
पिछले आठ मार्च को लखनऊ में आतंकी सैफुल्ला क ो एटीएस मार गिराया था और कानपुर में फैजल उर्फ फैजान को पकड़ा था। कानपुर में पकडे़ गए आतंकी फैजल उर्फ फैजान के पिता नसीम अहमद खां मुख्यालय के पुराना बेतवाघाट मोहल्ला निवासी रहे हैं। वह मुख्यालय के इस्लामियां इंटर कालेज में शिक्षक पद पर तैनात थे।
पिछले 2010 में सेवानिवृत्त होने मकान बेचकर कानपुर में रहने लगे। इसके पूर्व नसीम के भाई सरताज भी कानपुर के जाजमऊ में रहने लगे। आतंकवादी सैफुल्ला के मारे जाने व फैजल के पकड़े जाने के बाद जिला मुख्यालय में संदिग्धों के होने की संभावना बढ़ गई है। पिछले नौ मार्च को एटीएस टीम ने मुख्यालय से दो युवकों को हिरासत में लिया था।
इसके बाद 28 मार्च को एनआईए टीम चार वाहनों में दो आतंकवादियों को साथ लेकर आई थी। तब टीम के अधिकारी मुख्यालय के चौरादेवी मंदिर के पास स्थित पहलवान शाह बाबा की मजार पर आतंकवादियों को लेकर पहुंचे थे। जहां उन्होंने मजार की देखभाल करने वाले फकीर अशरफ खान को पकड़े गए एक आतंकी से बातचीत भी कराई थी।
इसके बाद टीम दोनों आतंकियों को लेकर सिटी फारेस्ट के जंगलों में भी ले गई थी। बुधवार को यूपी 32 बीएन 4371 नंबर की नीले कलर की सूमो गाड़ी में चालक के अलावा दो अन्य लोग फाइलें लेकर आए। उसी घर में करीब 30 मिनट तक बातचीत कर फाइलों में फोटो दिखाते रहे। इधर मोहल्ले के लोग भी इन लोगों की गतिविधियों की जानकारी लेते रहे।
पिछले महीनों आतंकवादियों के पकड़े जाने पर एक बार फिर चर्चाएं तेज हैं। कोतवाल पीके सिंह ने इस मामले में कहा कि उन्हें इस मामले में किसी प्रकार की सूचना नहीं है।
आतंकियों के तार जुड़े होने को लेकर चर्चा में रहे पुराना बेतवा घाट बुधवार रात फिर चर्चा में आ गया। यहां रात करीब नौ बजे नीले कलर की लखनऊ के नंबर की गाड़ी आने से लोग चौकन्ने हो गए।
गाड़ी से उतरे दो अधिकारी करीब एक घर में 45 मिनट तक रुके। पूछने पर बोले किसी काम के सिलसिले में आए हैं। इस मामले को लेकर मोहल्ले के लोगों में तरह तरह की चर्चाएं तेज रहीं।
पिछले आठ मार्च को लखनऊ में आतंकी सैफुल्ला क ो एटीएस मार गिराया था और कानपुर में फैजल उर्फ फैजान को पकड़ा था। कानपुर में पकडे़ गए आतंकी फैजल उर्फ फैजान के पिता नसीम अहमद खां मुख्यालय के पुराना बेतवाघाट मोहल्ला निवासी रहे हैं। वह मुख्यालय के इस्लामियां इंटर कालेज में शिक्षक पद पर तैनात थे।
पिछले 2010 में सेवानिवृत्त होने मकान बेचकर कानपुर में रहने लगे। इसके पूर्व नसीम के भाई सरताज भी कानपुर के जाजमऊ में रहने लगे। आतंकवादी सैफुल्ला के मारे जाने व फैजल के पकड़े जाने के बाद जिला मुख्यालय में संदिग्धों के होने की संभावना बढ़ गई है। पिछले नौ मार्च को एटीएस टीम ने मुख्यालय से दो युवकों को हिरासत में लिया था।
इसके बाद 28 मार्च को एनआईए टीम चार वाहनों में दो आतंकवादियों को साथ लेकर आई थी। तब टीम के अधिकारी मुख्यालय के चौरादेवी मंदिर के पास स्थित पहलवान शाह बाबा की मजार पर आतंकवादियों को लेकर पहुंचे थे। जहां उन्होंने मजार की देखभाल करने वाले फकीर अशरफ खान को पकड़े गए एक आतंकी से बातचीत भी कराई थी।
इसके बाद टीम दोनों आतंकियों को लेकर सिटी फारेस्ट के जंगलों में भी ले गई थी। बुधवार को यूपी 32 बीएन 4371 नंबर की नीले कलर की सूमो गाड़ी में चालक के अलावा दो अन्य लोग फाइलें लेकर आए। उसी घर में करीब 30 मिनट तक बातचीत कर फाइलों में फोटो दिखाते रहे। इधर मोहल्ले के लोग भी इन लोगों की गतिविधियों की जानकारी लेते रहे।
पिछले महीनों आतंकवादियों के पकड़े जाने पर एक बार फिर चर्चाएं तेज हैं। कोतवाल पीके सिंह ने इस मामले में कहा कि उन्हें इस मामले में किसी प्रकार की सूचना नहीं है।