मऊ निवासी एक युवक के फेफड़े में पटाखा फोड़ते समय लोहे का टुकड़ा चले जाने की वजह से उसकी हालत नाजुक बनी थी। परिजनों ने पहले मऊ में डॉक्टर को दिखाया फिर यहां से बीएचयू के लिए रेफर कर दिया, जहां कार्डियोथोरेसिक डिपार्टमेंट की टीम ने सर्जरी कर लोहे के टुकड़े को निकाला।
मऊ के मठ महमदपुर निवासी युवक(18) दीपावली के दिन लोहे के एक पाइप से में पटाखा लगाकर जला रहा था, तभी पटाखा जलाते समय ही लोहे का टुकड़ा उसके शरीर के अंदर चला गया। परिवार वालो ने उसे मऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया बाद में उसे बीएचयू रेफर कर दिया गया।
कार्डियोथोरेसिक डिपार्टमेंट के प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया के मुताबिक 14 नवंबर को ट्रामा सेंटर में आने के बाद मरीज की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि उसके फेफड़े में एक नुकीली धातु फंसी हुई है। अगले दिन उसकी सर्जरी की गई। चोट इतनी अधिक थी कि उसके दाहिने फेफड़े का ऊपरी हिस्सा पूरा जख्मी हो गया था।
इस वजह से ज्यादा खून का रिसाव हो रहा था। करीब 3 घंटे तक चली सर्जरी में उसके फेफड़े से लोहे के टुकड़े को निकाला गया और रक्तस्राव को भी नियंत्रित किया गया। मरीज अब पूरी तरह ठीक है। ऑपरेशन करने वाली टीम में प्रोफेसर सिद्धार्थ लखोटिया, डॉक्टर नरेंद्र नाथ दास, डॉक्टर एसके माथुर शामिल रहे।
मऊ निवासी एक युवक के फेफड़े में पटाखा फोड़ते समय लोहे का टुकड़ा चले जाने की वजह से उसकी हालत नाजुक बनी थी। परिजनों ने पहले मऊ में डॉक्टर को दिखाया फिर यहां से बीएचयू के लिए रेफर कर दिया, जहां कार्डियोथोरेसिक डिपार्टमेंट की टीम ने सर्जरी कर लोहे के टुकड़े को निकाला।
मऊ के मठ महमदपुर निवासी युवक(18) दीपावली के दिन लोहे के एक पाइप से में पटाखा लगाकर जला रहा था, तभी पटाखा जलाते समय ही लोहे का टुकड़ा उसके शरीर के अंदर चला गया। परिवार वालो ने उसे मऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया बाद में उसे बीएचयू रेफर कर दिया गया।
कार्डियोथोरेसिक डिपार्टमेंट के प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया के मुताबिक 14 नवंबर को ट्रामा सेंटर में आने के बाद मरीज की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि उसके फेफड़े में एक नुकीली धातु फंसी हुई है। अगले दिन उसकी सर्जरी की गई। चोट इतनी अधिक थी कि उसके दाहिने फेफड़े का ऊपरी हिस्सा पूरा जख्मी हो गया था।