नई दिल्ली। चंडीगढ़ के रिहायशी इलाकों से मोबाइल टावर हटाने को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। वीरवार को सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने चंडीगढ़ प्रशासन और दूसरे पक्षकारों को नोटिस देकर चार सप्ताह में जवाब तलब भी किया है। रिहायशी इलाकों में टावर पर कड़े तेवर अपनाते हुए हाईकोर्ट ने 14 मई को इस मामले में आदेश जारी किया था। इसके बाद 22 मई को हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से पूरी स्थिति रिपोर्ट तलब करके सर्विस प्रोवाइटर आपरेटर्स को और मोहलत देने पर नाराजगी जताई थी।
जस्टिस दीपक वर्मा और जस्टिस सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय की पीठ के समक्ष वोडाफोन साउथ लिमिटेड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में दूरसंचार कंपनियों के पक्ष को ठीक से सुना नहीं है। इसके अलावा वैकल्पिक व्यवस्था की राह खोले बिना ही हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से रिहायशी इलाकों से मोबाइल टावर हटाने का आदेश दे दिया। जब प्रशासन ने अगली सुनवाई में कंपनियों को टावर हटाने दिए जाने की समयसीमा बढ़ाने की जानकारी दी तो हाईकोर्ट ने सख्ती बरतते हुए तत्काल अपने आदेश का अनुपालन किए जाने की हिदायत दे डाली। वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पंजाब और हरियाणा की सरकार हाईकोर्ट आदेश पर मोबाइल टावरों को हटाने को तैयार हैं, जबकि चंडीगढ़ प्रशासन यह खुद भी जानता है कि टावरों को वैकल्पिक स्थान दिया जाना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और चंडीगढ़ के मोबाइल उपभोक्ताओं को भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अधिवक्ता के तर्क से सहमति जताते हुए हाईकोर्ट के आदेशों पर यथास्थिति कायम रखने आदेश जारी करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन सहित सभी प्रतिपक्षियों से चार हफ्तों में जवाब तलब किया। हाईकोर्ट ने 14 मई रिहायशी इलाकों से मोबाइल टवार हटाने को कहा था। इस आदेश पर प्रशासन ने खुद हाईकोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि 18 मई तक यदि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां मोबाइल टावराें को नहीं हटाते हैं, तो प्रशासन खुद इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर देगा। इसके बाद हाईकोर्ट ने 22 को हुई सुनवाई में आश्वासन पर खरे न उतरने वाले प्रशासन से अवधि बढ़ाए जाने का कारण पूछते हुए इस मामले में स्थिति रिपोर्ट तलब कर ली। हाईकोर्ट ने कहा था कि टावर हटाने के मामले में समय बढ़ाए जाने की वजह प्रशासनिक अधिकारियाें को बतानी चाहिए, ताकि हाईकोर्ट यह साफ कर सके कि कहीं अधिकारियाें ने जानबूझकर 14 मई को जारी आदेशों की अवहेलना तो नहीं की।
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कमेटी रणनीति बनाती रही, नतीजा सिफर
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। अभी आपके मोबाइल की घंटी बजती रहेगी। न तो मोबाइल टावर के बिजली कनेक्शन आजकल में कटने वाले हैं और न ही उनको उतारा जाएगा। ये टावर जिस स्थिति में हैं उसी स्थिति में बने रहेंगे।
दरअसल, चंडीगढ़ प्रशासन ने सभी आपरेटरों को एक जून से पहले रिहायशी इलाकों में मोबाइल टावर्स को हटाने का नोटिस दिया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की फटकार के बाद एक्शन में आए चंडीगढ़ प्रशासन ने टावरों का कनेक्शन काटने का काम वीरवार से शुरू करने का फैसला किया और रणनीति भी बनाई। वीरवार को चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से बनाई गई कमेटी की एक बैठक बुलाई गई। इसी बैठक में तय किया गया कि किस तरह से तीनों एसडीएम के निर्देशन में चंडीगढ़ के रिहायशी इलाकों में लगे मोबाइल टावर्स को हटाया जाएगा। इसके लिए टीम में एस्टेट आफिस के अधिकारी, हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम के अधिकारियों को सारी जानकारी दे दी गई। जब यह रणनीति तैयार की जा रही थी तो मोबाइल टावर लगाने वाली कंपनियों के अधिकारी भी एस्टेट आफिस में खड़े थे। मीटिंग दोपहर बाद तक चलती रही, तभी एक प्रतिनिधि ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जानकारी दी। शाम होते ही मोबाइल आपरेटर्स ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश होने की जानकारी आते ही फिलहाल राहत की सांस ली।