चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और डीजीपी सुमेध सिंह सैनी सहित विभिन्न राजनीतिज्ञों, आईएएस-आईपीएस अधिकारियों जैसे रसूखदारों द्वारा नया गांव में खरीदी गई जमीन मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएम कु मार और जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिए कि इस संबंध में हाईकोर्ट की अन्य अदालतों में चल रहे सभी मामलों को इसी दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा जाए।
वीरवार को हाईकोर्ट में जब सरकार द्वारा जताई जा रही आपत्तियों के मुद्दे पर सुनवाई शुरू हुई तो अदालत की जानकारी में यह बात लाई गई कि कुछ अन्य खंडपीठों के समक्ष भी इस प्रकार के मामले लंबित पड़े हैं। पूर्व महाधिवक्ता एमएल सरीन को भी कुछ मामलों में अदालत को सहयोग देने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया जा चुका है। उन्होंने भी बताया कि इसी प्रकार की जमीनों के विवाद अन्य अदालतों में लंबित हैं। खंडपीठ ने आदेश दिया है कि रसूखदारों की जमीनों से संबंधित अन्य मामले भी उन्हीं के समक्ष रखे जाएं। मामले पर अगली सुनवाई 28 मई को होगी।
पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने इस प्रकार के आयोग के गठन का विरोध करते हुए कहा कि केवल एक पुलिस अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आयोग के गठन की बात कही जा रही है, जबकि पंजाब सरकार के राजस्व विभाग ने पूरी जांच कर रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष रखी है। इसलिए हम ऐसे किसी भी आयोग के गठन का विरोध करते हैं। खंडपीठ ने इस बात को स्पष्ट किया कि इन जमीनों की जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट के पूर्व जस्टिस कुलदीप सिंह ने सहमति व्यक्त कर दी है तो हमें कम से कम एक कारण तो बताया जाए कि किस वजह से इस आयोग के गठन की जरूरत नहीं।
इससे पहले उक्त मामले पर सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी अरुण जैन ने मामले की जांच के लिए आयोग गठित करने की सिफारिश की थी कि सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित किया जा सकता है।