नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सुखना कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माण तोड़ने के हाईकोर्ट के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 14 मई को दिए आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ (यूटी) प्रशासन और सभी संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करके चार हफ्ते में पक्ष रखने को कहा है। शीर्षस्थ अदालत में मोहित गावरी और कुमार रियलेटर्स की ओर से दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं।
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में कई पक्षों पर गौर नहीं किया है। इस मामले में प्रशासन अपनी मनमानी कर सकता है। दरअसल हाईकोर्ट ने 14 मई के अपने आदेश में सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे में तय कैचमेंट एरिया पर मुहर लगाते हुए 14 मार्च, 2011 के बाद वहां हुए सभी निर्माण बिना नोटिस गिराने के आदेश पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन को दिए थे। इस कैचमेंट एरिया में पंजाब के कांसल और नयागांव के हिस्से, हरियाणा (पंचकूला) के मनसा देवी कांपलेक्स, सकेतड़ी और महादेवपुर के हिस्से, चंडीगढ़ के कैंबवाला और खुड्डा अली शेर का इलाका आता है। हालांकि हरियाणा सरकार का कहना है कि सुखना कैचमेंट एरिया में उनके इलाके में अवैध निर्माण नहीं हुआ है। पंजाब ने मोहाली के हिस्से और चंडीगढ़ प्रशासन ने कैंबवाला में अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। हाईकोर्ट ने नयागांव निवासी डॉ. बी सिंह की याचिका पर अवैध निर्माण को बिना नोटिस गिराने और नए निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया था। याचिका में सुखना के कैचमेंट एरिया में बेहिसाब बढ़ते निर्माण कार्य से सुखना के सूखने के खतरे को हाईकोर्ट के समक्ष रखा था। उन्होंने कहा था कि इस पर काबू नहीं पाया गया तो कुछ सालाें में ही सुखना पूरी तरह सूख जाएगी। मंगलवार को पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की गुजारिश की, जिस पर अदालत ने सहमति जताते हुए आदेश जारी कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश में ये इलाके शामिल थे...
1. मोहाली का कांसल और नया गांव का कुछ हिस्सा
2. चंडीगढ़ का कैंबवाला और खुड्डा अली शेर
3. पंचकूला में महादेवपुर और सकेतड़ी का हिस्सा