चंडीगढ़। हाइकोर्ट की सख्ती और प्रशासन के नोटिस के बाद रिहायशी इलाकों से मोबाइल टॉवर हटने तय हैं। लेकिन, ऑपरेटर्स ने अभी तक अपने करीब दो लाख ऑपरेटर्स को सेवाएं और सिग्नल देने की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की है। इससे शहर के मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ने वाली है। इस समय रिहायशी इलाकों के मोबाइल टावर्स के जरिए करीब दो लाख उपभोक्ताओं को कनेक्शन मिलता है।
मोबाइल टावर्स लगाने वाली कंपनियों के अनुसार सिग्नल स्ट्रेंथ बढ़ा भी दी जाए तो भीतरी इलाकों में ज्यादा सिग्नल नहीं मिलेंगे। चंडीगढ़ में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, टाटा डोकोमो, रिलायंस, एयरसेल के लिए टावर्स लगे हैं। रिहायशी इलाकों में कुल 174 टावर्स हैं। मोबाइल टावर्स के एक तकनीकी जानकार के अनुसार टावर्स के हटाने का प्रभाव यह भी हो सकता है कि इससे आसपास लगे मोबाइल टावर्स पर बोझ बढ़ जाए। चंडीगढ़ में यदि सेक्टरों की स्थिति देखें तो औसतन एक सेक्टर एक किलोमीटर स्क्वायर फुट में है। एक पावरफुल टावर से एक किलोमीटर तक एरिया कवर कर सकते हैं। यह निर्भर करता है टावर की फ्रीक्वेंसी पर। चंडीगढ़ में 800 मेगा हर्ट्ज, 900 मेगा हर्ट्ज और 1800 मेगा हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर टावर चल रहे हैं। कम फ्रीक्वेंसी का टावर ज्यादा पावरफुल है और ज्यादा एरिया कवर करता है। ज्यादा फ्रीक्वेंसी का टावर कम रेंज कवर करता है। चंडीगढ़ में उपभोक्ता उसी कंपनी के ज्यादा हैं। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी उनके लिए होगी। अधिकारी के अनुसार टावर हटने के बाद सिग्नल एससीओ पर लगे टावरों से मिल सकता है लेकिन ऐसे में ट्रैफिक जाम की स्थिति होगी। जहां तक वैकल्पिक व्यवस्था का सवाल है तो सिग्नल स्ट्रैंथ बढ़ाकर ही कुछ किया जा सकता है।
अब तो हटाने ही पड़ेंगे टावर
स्विच से बिजली कनेक्शन काटकर टावर का कामकाज बंद करने का विचार करने वाले प्रशासन के अधिकारियों को अब टावर हटाने की व्यवस्था ही करनी होगी। उनका काम सिर्फ बिजली कनेक्शन काटकर नहीं चलेगा। जो निर्देश हैं उनके अनुसार रेजीडेंशियल इलाके में लगाए गए टावरों को हटाना जरूरी है।