चंडीगढ़। रिहायशी इलाकों से मोबाइल टावर हटाने के मामले में हाईकोर्ट के कड़े तेवर बरकरार हैं। मामले की सुनवाई के दौरान कार्यवाहक चीफ जस्टिस एमएम कुमार और जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी तो यूटी सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल ने कहा कि प्रशासन ने मोबाइल टावर हटाने के लिए एक जून तक का समय दिया है। प्रशासन के इस जवाब पर हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट के आदेशाें के बावजूद प्रशासन ने सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को एक जून तक तक समय कैसे दे दिया? खंडपीठ ने कहा कि प्रशासन ने इसकी जानकारी कोर्ट को मुहैया करवाने में भी कोई जिम्मेवारी नहीं समझी।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान प्रशासन ने खुद हाईकोर्ट को आश्वस्त किया था कि 18 मई तक अगर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां मोबाइल टावराें को नहीं हटाती हैं, तो प्रशासन खुद इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर देगा। खंडपीठ ने यहां तक कहा कि अवधि बढ़ाए जाने के पीछे क्या कारण रहे, इसका जवाब प्रशासनिक अधिकारियाें को देना चाहिए, ताकि हाईकोर्ट यह साफ कर सके कि कहीं अधिकारियाें ने जानबूझकर 14 मई को जारी आदेशों की अवहेलना तो नहीं की है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि उस प्रशासनिक अधिकारी का नाम हाईकोर्ट को बताया जाए, जिसने मोबाइल कंपनियाें को टावर हटाने के लिए समय की मोहलत की है। खंडपीठ ने प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी करते हुए सुनवाई टाल दी। मामले की आगामी सुनवाई 31 मई के लिए निर्धारित की गई है।
उधर, पंजाब सरकार ने पहल दिखाते हुए टावर हटाने के मामले में कार्रवाई तेज कर दी है। राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में पेश किए गए हलफनामे में कहा है कि कपूरथला जिला में रिहायशी इलाकों में लगाए गए टावराें से बिजली कनेक्शन हटा दिए गए हैं। साथ ही, राज्य के सभी नगर निगम को निर्देश जारी किए हैं कि नियमाें की अनदेखी बरतने वाली सर्विस प्रोवाइडर कंपनियाें को नोटिस जारी कर कार्रवाई शुरू कर दी जाए। उधर, हरियाणा सरकार द्वारा इस मामले में बरती जा रही ढील पर हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएम कुमार एवं जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए एक सप्ताह में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए हैं।