चंडीगढ़। यूटी प्रशासन के सबसे बड़े सरकारी जनरल अस्पताल में महीनों से आधी से ज्यादा एक्सरे मशीनें बंद पड़ी हैं। इस सेक्टर-16 के जनरल अस्पताल की इमरजेंसी में भी एक साल से एक्सरे मशीन को ठीक नहीं करवाया गया और वहां पर ताला लटका हुआ है। ओपीडी के मरीजों के लिए लगाई गई दो मशीनें भी बंद पड़ी हैं। इस अस्पताल की पांच एक्सरे मशीनों में से तीन मशीनें बूढ़ी हो चुकी हैं और इनको बदलना है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इस ओर कतई ध्यान नहीं दे रहा।
एक्सरे करवाने को खाते रहे धक्के
अस्पताल में सोमवार रात को सेक्टर सात के गवर्नमेंट हाउस निवासी अमन बदहवाशी की हालत में अपने घायल भाई को अस्पताल लेकर आए। इमरजेंसी में एक्सरे करवाने की जरूरत पड़ी तो उसे पता चला कि यहां तो एक्सरे होता ही नहीं। उनको मेन बिल्डिंग के कमरा नंबर 12 में भेजा गया तो पता चला वहां की मशीन भी बंद है। अमन ने कहा कि उनको फिर इसी बिल्डंग के 8 नंबर कमरे में भेजा गया, वहां भी मशीन खराब मिली।
सेक्टर-22 अस्पताल में भी नहीं एक्सरे
सेक्टर 22, सरकारी अस्पताल में पिछले डेढ़ साल से एक्सरे मशीन बंद पड़ी है। यहां आने वाले मरीजों को सेक्टर-16 के जनरल अस्पताल से एक्सरे कराने को कहा जाता है। चूंकि वहां पर पहले से मशीनें बंद पड़ी हैं, इसलिए मरीजों को प्राइवेट लैब पर एक्सरे कराना पड़ रहा है।
टेंडर के माध्यम से लगेंगी मशीने
नई एक्सरे मशीने लगवानी हैं। टेंडर के माध्यम से इनको दोबारा लगाया जाएगा। प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कोशिश है कि जल्द ही मशीनें लग जाएं।
- डॉ. जी दीवान, उपचिकित्सा अधीक्षक, जनरल अस्पताल
छह महीने तक और हो सकती है परेशानी
टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से इन मशीनों को लगवाने में कम से कम छह महीने का वक्त लग जाएगा। ऐसे में इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को इतने दिनों तक परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
काम कम, टांग खिंचाई ज्यादा
अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यहां मरीजों की सुविधा कम आपस में टांग खींचने पर ज्यादा जोर रहता है। इस अस्पताल में दो ग्रुप हैं, जो एक-दूसरे की काट करने में ही लगे रहते हैं।