चंडीगढ़। हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी अरुण जैन ने नयागांव में वीवीआईपी और वीआईपी के अवैध कब्जों के मामलों की गहन जांच की सिफारिश की है। उन्हाेंने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह के नेतृत्व में जांच आयोग गठित करने का सुझाव भी दिया है। इस पर कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएम कुमार एवं जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने कहा कि एमिकस क्यूरी जांच के सभी लिखित संदर्भ हाईकोर्ट में पेश करें। साथ ही, इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह सहमत होते हैं, तो तत्काल हाईकोर्ट को सूचित किया जाए।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि अगर रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह की सहमति नहीं मिलती है, तो कुछ और नाम सुझाए जा सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में गठित होने वाले जांच आयोग में रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज को शामिल करना भी जरूरी लग रहा है। इस मामले की पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार द्वारा हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, डीजीपी सुमेध सिंह सैणी के अलावा 53 लोगाें को क्लीन चिट दे दी गई थी। राज्य सरकार के मुख्य सचिव राकेश सिंह द्वारा यह एफिडेविट हाईकोर्ट में पेश किया गया। उन्होंने सरकारी भूमि, पंचायत, शामलात, वन भूमि और नजूल पर अवैध कब्जाें के लिए 7 वीआईपी पर आरोप लगाए हैं। एफिडेविट दायर होते ही हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले की जांच के लिए ट्रिब्यूनल गठित करने या रिटायर्ड जस्टिस से जांच करवाने का समय आ गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण जैन को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया और अगली सुनवाई में अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।
सोमवार को सुनवाई के दौरान अरुण जैन ने अदालत में कहा कि पंजाब सरकार द्वारा इस मामले में दी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुई हैं, इसलिए जांच आयोग गठित करने के लिए उन्होंने अपनी सहमति दी है। मामले की आगामी सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
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शराब के ठेकाें के लिए ही जमीन क्याें दी!
सड़क किनारे कृत्रिम भवनाें पर ठेकों को लेकर सवाल बरकरार
चंडीगढ़ प्रशासन नहीं रख पाया पुख्ता दलील
याचिकाकर्ता ने जड़े गैर जिम्मेदाराना रवैये के आरोप
हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखा
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। यूटी में सड़क के किनारे कृत्रिम भवनों में चल रहे ठेकाें के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएम कुमार एवं जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले पर दोनाें याचिकाकर्ता और चंडीगढ़ प्रशासन की दलीलों को सुना। जमीन ठेकाें के लिए ही क्यों आवंटित की गई, इस सवाल पर चंडीगढ़ प्रशासन को पुख्ता दलील नहीं पेश कर पाया। दूसरी तरफ याचिकाकर्ता ने ठेकों के लिए आवंटित की गई जमीन को लेकर प्रशासन पर जमकर निशाना साधा। दलीलाें को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से पूछा कि ऐसा कौन सा नियम है कि जमीन महज शराब ठेकों को ही दी जाए और दूसरे कारोबारियों को नहीं।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दक्षिणी और पूर्वी सेक्टराें में प्रशासन ने यह ग्रीन बेल्ट पर यह जमीन आवंटित की है। सेक्टर-49, 43 46, 54 के राउंड अबाउट पर इन ठेकों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि सेक्टर-26 से लेकर कालका रोड तक थोड़ी थोड़ी दूरी में यह ठेके देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि नियमों के तहत इन ठेकाें के साथ चल रहे अहातों में सीवरेज कनेक्शन होने चाहिए, लेकिन प्रशासन यह जिम्मेवारी तक नहीं समझी। इससे यहां दिनोंदिन गंदगी बढ़ रही है। उन्हाेंने कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था में सबसे ज्यादा इनका असर देखा जा सकता है। यहां तक सड़क के किनारे लगे पत्थर तक उखाड़े जा चुके हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान इन ठेकों की मौजूदा स्थिति के फोटोग्राफ भी हाईकोर्ट में पेश किए। इसके जवाब में चंडीगढ़ प्रशासन के सीनियर स्टैडिंग काउंसिल ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2006 से यह ठेेके सड़काें के किनारे चल रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन ने जब 2011-12 की एक्साइज पॉलिसी में ठेकेदारों के नेक्सस को तोड़ने का प्रयास किया, तो याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर दी। उन्होंने कहा कि याचिका दायर करने के पीछे क्या मकसद रहा होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्हाेंने कहा कि इन ठेकाें से कोई भी ट्रैफिक दिक्कतें नहीं हो रही है और चंडीगढ़ पुलिस आए दिन सड़क के किनारे खड़े वाहनों का चालान काट रही है।