चंडीगढ़। भगवान न करे आपको कभी जनरल अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज कराने जाना पड़े, अगर ऐसी जरूरत पड़े भी अस्पताल की पूरी जानकारी करके ही जाइएगा, क्योंकि इस अस्पताल में मरीजों के डॉक्टरों से सीधे कुछ भी पूछने पर पाबंदी लगा दी गई है। यह पाबंदी उस इमरजेंसी में लगाई है, जहां मरीज के लिए एक-एक सेेंकेंड कीमती होता है। अस्पताल प्रशासन ने ऐसा तुगलकी फरमान तब चस्पां कराया है, जब कुछ महीने पहले इसी इमरजेंसी में सही जानकारी न मिलने पर कजेहड़ी के एक युवक के बच्चे की मौत हो गई थी।
प्रशासन के इस प्रमुख गवर्नमेंट मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मरीजों को अभी भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां पीडियाट्रिक इमरजेंसी के बाहर अस्पताल प्रशासन ने नो इंक्वायरी का नोटिस चिपका दिया है। सोमवार दोपहर को इमरजेंसी में अपने भतीजे का इलाज कराने पहुंचे रघुवीर कंवर ने बताया कि पीडियाट्रिक इमरजेंसी में मौजूद एक डॉक्टर ने उनको इलाज की बाबत कोई जानकारी नहीं दी। यहां कुछ नहीं बताया जाएगा, यह कहते हुए और इमरजेंसी के गेट पर लगे नोटिस की ओर इशारा करते हुए उक्त डॉक्टर ने उनको बाहर कर दिया। इसी तरह जब ‘अमर उजाला’ की टीम डेंटल ओपीडी में पहुंची तो वहां मौजूद एक डॉक्टर ने भी कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया।
‘देखेंगे, कैसे लगाया नोटिस’
मरीजों को हो रही इस तरह की परेशानी पर अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जी दीवान का कहना है कि इमरजेंसी में कई मरीज डॉक्टरों से गैर जरूरी बातें पूछने पहुंच जाते हैं। मरीजों को किसी भी तरह की जानकारी के लिए हेल्प डेस्क भी बनाई गई है। हालांकि उनका कहना है कि इमरजेंसी में मरीजों को हर तरह की मदद मिलनी चाहिए। वह देखेंगे कि इमरजेंसी के बाहर नो इंक्वायरी का नोटिस कैसे लगा दिया गया।
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