चंडीगढ़। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी कर सुखना कैचमेंट एरिया में किए गए निर्माण को हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 14 मार्च, 2011 को हाईकोर्ट द्वारा सुखना के कैचमेंट एरिया में निर्माण पर पूरी तरह रोक लगा दी थी, इन आदेशों को दरकिनार कर अगर किसी ने कैचमेंट एरिया में निर्माण किया है, तो उसे बिना नोटिस दिए तत्काल हटा दिया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएम कुमार एवं जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया का नक्शे में तय कैचमेंट एरिया ही मान्य होगा। खंडपीठ ने पंजाब, हरियाणा सरकार को निर्देश दिए कि सर्वे ऑफ इंडिया के तय नक्शे को ध्यान में रखते हुए अवैध कब्जों और निर्माण की सूची अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में पेश की जाए। हाईकोर्ट ने मामले की आगामी सुनवाई 23 मई के लिए निर्धारित की है।
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर सुखना लेक ही नहीं बची तो शहर का वजूद क्या रहेगा, इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को कैचमेंट एरिया को लेकर गंभीर होना होगा। खंडपीठ ने कहा कि इस पर तीनों की खींचतान बंद होना जरूरी है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि दोनों सरकारें और यूटी प्रशासन जान ले कि सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से सुखना लेक और कैचमेंट एरिया जो तय किया है, वही वास्तविक एरिया माना जाएगा। हाईकोर्ट ने कहा कि इस नक्शे के तहत पंजाब और हरियाणा के क्षेत्रों में पड़ने वाले सुखना के कैचमेंट एरिया में निर्माण अवैध माना जाएगा।
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पुनर्वास योजना चलाने के आदेश
खंडपीठ ने साफ किया है कि कैचमैंट एरिया को नए सिरे से परिभाषित करते हुए किसी नए नक्शे को बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं। खंडपीठ ने इसके साथ ही पंजाब एवं हरियाणा को पुनर्वास योजना चलाए जाने के भी आदेश दिए हैं, ताकि अवैध कब्जों को हटाकर उन्हें कहीं और पुनर्वास दिया जा सके। पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ को यह भी कहा गया है कि वे यह भी बताएं कि कैचमैंट एरिया में हुए निर्माण के साथ वह किस तरह से डील करेंगे।
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पंजाब को आपत्ति
हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त एमिक्स क्यूरे तनु बेदी ने कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से निर्धारित कैचमेंट एरिया पर पंजाब सरकार को अधिक आपत्तियां हैं। इस मामले में गठित कमेटी की बैठक में पंजाब रोष जता चुका है। हरियाणा एवं चंडीगढ़ पहले ही सर्वे आफ इंडिया के इस नक्शे पर अपनी सहमति दे चुके हैं।
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मीडिया कैंपेन चलाया जाए
हाईकोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में आम लोगाें को जागरूक करने के लिए मीडिया कैंपेन चलाया जाए। आम लोगों को कैचमैंट एरिया के प्रति जागरूकता एवं जानकारी बढ़ाए जाने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के तहत जानकारी दी जानी चाहिए। ताकि आम लोगों को पता चल सके कि सुखना का वास्तविक कैचमैंट एरिया क्या है, और उसे कैसे संरक्षित रखना है।
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सिटी ब्यूटीफुल की सुखना लेक ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों के भी पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाई है। अफसोस है कि अब यह पहचान खत्म होती जा रही है। सुखना सूख रही है। जहां कभी पानी होता था, आज वहां सूखी जमीन और धूल है। जहां पर बोटिंग होती थी, उस एरिया को रस्सियां लगाकर सीमित कर दिया गया है। पहले एक किलोमीटर तक लोग बोटिंग का आनंद लेते थे, अब डेढ़ सौ मीटर का ही दायरा बचा है। लेक के अलावा शहर के कई और पर्यटन स्थल भी अपनी खूबसूरती और पहचान खोते जा रहे हैं। इन पर्यटन स्थलों की हकीकत पर पहली किस्त।
पर्यटक क्यों आएं सिटी ब्यूटीफुल-सीरीज 1
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सुखना में न बोटिंग बची न ब्यूटी
-पहली बार बोटिंग का दायरा डेढ़ सौ मीटर तक किया गया
-इससे पहले एक किलोमीटर तक के दायरे में होती थी बोटिंग
-दूरदराज के शहरों से आ रहे सैलानियों को हो रही निराशा
आशीष तिवारी
चंडीगढ़। चंडीगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सुखना लेक में एक तरह से बोटिंग पर पाबंदी लगा दी गई है। ऐसा सुखना लेक के सूखने और जल स्तर कम होने की वजह से किया गया है। हालांकि दूरदराज से आने वाले पर्यटकों के लिए सुखना लेक के तकरीबन डेढ़ सौ मीटर के एक किनारे को जरूर खोला गया है। सोमवार को दक्षिण भारत से आए सैकड़ों पर्यटक सुखना में बोटिंग न कर पाने से निराश हुए। लेक का दायरा सीमित कर देने से यहां होने वाली बोटिंग पर भी असर पड़ा है।
चंडीगढ़ के कैंटोनमेंट मे तैनात फौजी नरेंद्र अवनी अपनी पत्नी के साथ सुखना लेक पर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि लेक पर उन्होंने बोटिंग तो की लेकिन मजा नहीं आया। उनकी पत्नी सरिता ने बताया कि पांच मिनट में ही वह लोग बोटिंग करके वापस आ गए। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि लेक में बोटिंग करने वाले इलाके को तो रस्सियों से सीमित कर दिया गया है। जगह बची नहीं है, ऐसे में बोटिंग कहां करें। लेक पर मौजूद पर्यटन विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि बोटिंग पर भी तीस से चालीस फीसदी का फर्क पड़ा है।
विभाग को मानसून से उम्मीद
सुखना के सिमटते दायरे से पर्यटन पर पड़ रहे असर को लेकर टूरिज्म विभाग के महाप्रबंधक एके मल्होत्रा को उम्मीद है कि आने वाले मानसून में लेक भर जाएगी। उन्होंने कहा कि लेक का जल स्तर इस कदर कम हुआ कि पहली बार लेक का दायरा बहुत कम करना पड़ा।
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ये है लेक की हकीकत
-जहां पर पहले पचासों फीट गहरा पानी होता था अब वहां पर महज दो से तीन फीट पानी रह गया है।
-लेक में बोटिंग के लिए पहले एक किलोमीटर से ज्यादा दायरा था, अब सिमट कर डेढ़ सौ मीटर तक रह गया है।
-लेक की सबसे खबसूरत जगह आईलैंड के किनारे अब नहीं जाया जा सकता। पहले बोटिंग करते हुए इसका चक्कर लगाया जा सकता था।
-पहले लोग लेक के किनारे बने पीपल के पेड़ के नीचे बोट को लगाकर छांव का आनंद लेते थे लेकिन अब वहां पर पानी खत्म होने के चलते रस्सियां लगा दी गई हैं।
-घटे दायरे से बोटिंग पर तीस से चालीस फीसदी का फर्क पड़ा है।
-कई बार बोटिंग करने वाले दलदल में फंस भी चुके हैं।
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रोइंग खिलाड़ी भी नाराज
रोइंग में अपने होम कोर्स सुखना लेक की हालत देखकर ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले खिलाड़ी मंजीत सिंह ने भी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि सुखना के सूखने से तो अपने शहर में रोइंग के खिलाड़ी ही नहीं निकल सकेंगे। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि सुखना को वापस उसके स्वरूप में लाने की कवायद की जाए ताकि रोइंग के खिलाड़ी अपने शहर से निकल सकें।