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चंडीगढ़। पाकिस्तानी सेना के लेफ्टीनेंट जनरल द्वारा किया गया यह खुलासा कोई नया नहीं है। यह जरूर विचारणीय बात है कि पाकिस्तानी अफसर ने ऐसा बयान अब क्यों दिया। जरा सोंचिए...वो एक रिटायर्ड अफसर हैं। उनका यह बयान अब सामने आया है और भारत में युद्ध से जुड़े फौजियों ने तो इसपर किताब तक लिख डाली है। वास्तव में कारगिल युद्ध का सच अब तक सामने नहीं आया है। सैन्य अफसर के बयान और पाकिस्तान की हालिया नापाक हरकतों को जोड़कर देखें तो विजन क्लीयर हो सकता है। हाल ही में जम्मू कश्मीर में दो भारतीय जवानों के सर कलम किए गए। उसके बाद पाकिस्तान फौजियों द्वारा की जाने वाली फायरिंग से पाक के नापाक इरादे स्पष्ट है। जहां तक पाकिस्तानी सरकार और सेना का सवाल है तो ज्यादा ताकतवर सेना है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी फौज पूरी तरह से ड्रेस में थी। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान अपने फौजियों को आतंकवादी बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश भी कर रहा था। अब जरा पाकिस्तान की मानसिकता और उसकी उल्टी सीधी हरकतों को देखें तो सबकुछ समझ में आ जाएगा। 1948 में पाकिस्तान ने ऐसे ही बयान जारी किए...फिर 1965 मेें पैराट्रूपर्स भेजे उसके बाद 1971 में तो भारतीयों ने अपना दम दिखा दिया। पाकिस्तान हर जंग के बाद खुद को बचाने के लिए फौजियों को आतंकी ही बताता रहा है। यह कायरता की निशानी है। पाकिस्तान को फौज कंट्रोल करती है। कारगिल में पाकिस्तानी सेना जिस तैयारी के साथ उतरी थी वह युद्ध के लिए की गईं थीं।
चंडीगढ़। पाकिस्तानी सेना के लेफ्टीनेंट जनरल द्वारा किया गया यह खुलासा कोई नया नहीं है। यह जरूर विचारणीय बात है कि पाकिस्तानी अफसर ने ऐसा बयान अब क्यों दिया। जरा सोंचिए...वो एक रिटायर्ड अफसर हैं। उनका यह बयान अब सामने आया है और भारत में युद्ध से जुड़े फौजियों ने तो इसपर किताब तक लिख डाली है। वास्तव में कारगिल युद्ध का सच अब तक सामने नहीं आया है। सैन्य अफसर के बयान और पाकिस्तान की हालिया नापाक हरकतों को जोड़कर देखें तो विजन क्लीयर हो सकता है। हाल ही में जम्मू कश्मीर में दो भारतीय जवानों के सर कलम किए गए। उसके बाद पाकिस्तान फौजियों द्वारा की जाने वाली फायरिंग से पाक के नापाक इरादे स्पष्ट है। जहां तक पाकिस्तानी सरकार और सेना का सवाल है तो ज्यादा ताकतवर सेना है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी फौज पूरी तरह से ड्रेस में थी। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान अपने फौजियों को आतंकवादी बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश भी कर रहा था। अब जरा पाकिस्तान की मानसिकता और उसकी उल्टी सीधी हरकतों को देखें तो सबकुछ समझ में आ जाएगा। 1948 में पाकिस्तान ने ऐसे ही बयान जारी किए...फिर 1965 मेें पैराट्रूपर्स भेजे उसके बाद 1971 में तो भारतीयों ने अपना दम दिखा दिया। पाकिस्तान हर जंग के बाद खुद को बचाने के लिए फौजियों को आतंकी ही बताता रहा है। यह कायरता की निशानी है। पाकिस्तान को फौज कंट्रोल करती है। कारगिल में पाकिस्तानी सेना जिस तैयारी के साथ उतरी थी वह युद्ध के लिए की गईं थीं।