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Women doing PhD in PU can get her research data transferred to other universities after Marriage
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Chandigarh: पीयू की पीएचडी महिला शोधकर्ताओं को राहत, शादी के बाद करवा सकेंगी शोध डाटा ट्रांसफर
कविता बिश्नोई, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 24 Mar 2023 01:38 PM IST
सार
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पीएचडी के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार शिक्षक की सेवानिवृत्ति में तीन वर्ष से कम समय रहने के बाद वह नए पीएचडी शोधार्थी को अपने अंतर्गत पंजीकृत नहीं करवा सकेगा। हालांकि वह शिक्षक शोधार्थी को सुपरवाइज और को-सुपरवाइज करना जारी रख सकेगा।
चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रही महिलाओं के लिए खुशखबरी है। पीयू ने पीएचडी दिशा-निर्देशों में यूजीसी के अनुसार और नई शिक्षा नीति के मद्देनजर बदलाव किए हैं। कमेटी ने पीएचडी दिशा-निर्देश - 2023 को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार अब अगर पीयू में कोई युवती पीएचडी के लिए भर्ती होती है और शोध के दौरान अगर उसकी शादी हो जाती है तो वह अन्य यूनिवर्सिटी में अपना रिसर्च डाटा ट्रांसफर करवा सकती है।
इसमें जो शोध युवती ने उस दौरान किया होगा, उसका श्रेय जिस यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए पंजीकृत है उस संस्थान और सुपरवाइजर को देना होगा। इस फैसले से महिलाओं को पीएचडी करने में राहत मिलेगी, कई बार सुदूर राज्यों में शादी होने के बाज महिलाओं को अपनी डिग्री बीच में छोड़नी पड़ती है।
पीएचडी के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार शिक्षक की सेवानिवृत्ति में तीन वर्ष से कम समय रहने के बाद वह नए पीएचडी शोधार्थी को अपने अंतर्गत पंजीकृत नहीं करवा सकेगा। हालांकि वह शिक्षक शोधार्थी को सुपरवाइज और को-सुपरवाइज करना जारी रख सकेगा। इसके लिए तय उम्र सीमा 70 वर्ष तक रखी गई है। वहीं कोई भी शिक्षक अपने और अपने जीवनसाथी के खून के रिश्ते में उम्मीदवार का पीएचडी गाइड नहीं बन सकता है।
पीयू में प्रवेश परीक्षा के आधार शोधार्थी को पीएचडी के लिए प्रवेश देना चाहिए। इसमें यूजीसी-सीएसआईआर नेट, जेआरएफ के उम्मीदवारों को पीयू प्रवेश परीक्षा में छूट मिलेगी। वहीं इसके अलावा पीएचडी के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फैलोशिप हासिल करने वाले और पंजाब यूनिवर्सिटी के नियमित शिक्षकों को भी प्रवेश परीक्षा से मुक्त रखा जाएगा। प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले उम्मीदवार को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। प्रवेश परीक्षा पीयू में पीएचडी में दाखिला लेने के लिए तीन साल तक ही मान्य रहेगी।
ये रहेंगे पीएचडी की अवधि के नियम
पीएचडी कार्यक्रम के लिए न्यूनतम समयावधि कोर्स वर्क को मिलाकर तीन वर्ष और अधिकतम उम्र सीमा दाखिले के बाद से 6 वर्ष तक की होगी। वहीं अगर दाखिले के 6 वर्ष के बाद उम्मीदवार अवधि के विस्तार की मांग करता है तो ऐसी स्थिति में उम्मीदवार को कारणों का स्पष्टीकरण देने के बाद दो साल तक का विस्तार मिल सकता है। इसके लिए चेयरपर्सन और सुपरवाइजर के जरिए डीयूआई से अनुमति लेनी होगी। वहीं उम्मीदवार को प्रति वर्ष 35 हजार फीस भी जमा करवानी होगी। वहीं यह फीस महिला और दिव्यांग उम्मीदवारों को छूट दी जाएगी।
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