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Chandigarh: आयोडीन को छोड़ पहाड़ी और सेंधा नमक अपना रहे लोग, PGI में बढ़ रही थायरायड मरीजों की संख्या

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 28 Jan 2023 05:08 PM IST
सार

हमारे शरीर को प्रतिदिन संतुलित मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। क्योंकि उसके बिना थायरोग्लैंड ठीक से काम नहीं कर पाता। ऐसे में इससे बनने वाले हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और थायरायड जैसा मर्ज सामने आता है।

Trend of eating rock salt making thyroid victims, number of patients increasing in endocrinology OPD of PGI
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : iStock

विस्तार

पहाड़ी और सेंधा नमक खाने का ट्रेंड थायरायड का शिकार बना रहा है। पीजीआई की इंडोक्राइनोलॉजी की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिन्होंने सेहत बनाने के लिए आयोडीन युक्त नमक के बजाय दूसरे नमक का सेवन शुरू किया और फार्मूला उल्टा पड़ गया। ओपीडी में ऐसे कई मामले आ चुके हैं जिसमें एक ही परिवार के लगभग सभी सदस्य आयोडीन नमक न खाने से थायरायड का शिकार होकर अस्पताल पहुंचे हैं। विभाग के प्रमुख प्रो. संजय भडाडा का कहना है कि सेंधा या अन्य पहाड़ी नमक खाने का चलन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। परिणाम धीरे-धीरे गंभीर रूप में सामने आने लगा है इसलिए सचेत होने की जरूरत है। ओपीडी में मरीजों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है।



प्रो. संजय ने बताया कि हमारे शरीर को प्रतिदिन संतुलित मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। क्योंकि उसके बिना थायरोग्लैंड ठीक से काम नहीं कर पाता। ऐसे में इससे बनने वाले हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और थायरायड जैसा मर्ज सामने आता है। इसलिए नमक बदलने की आदत पर लगाम लगाना होगा। यह समझना बेहद जरूरी है कि हमारे भोजन में नमक के अलावा और कोई माध्यम आयोडीन का नहीं है। इसलिए आयोडीन युक्त नमक का ही सेवन करें। क्योंकि ऐसा न करने पर 6 महीने के अंदर समस्या मर्ज के रूप में सामने आने लगती है। प्रो. संजय का कहना है कि व्रत में भी आयोडीन नमक ही खाएं।


थायरॉयड ग्रंथि का रोल अहम
थायरॉइड गले में पाई जाने वाली एक ग्रंथि होती है। ये सांस की नली के ऊपर होती है। यह मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अंतःस्रावी ग्रंथियों में से एक होती है। इसी थायरॉइड ग्रंथि में गड़बड़ी आने से ही इससे संबंधित रोग होते हैं। यह ग्रंथि थ्योरिकसिन नाम का हार्मोन बनाती है। ये हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और बॉडी में सेल्स को नियंत्रित करने का काम करता है।

शरीर और मन पर रखता है नियंत्रण

  • यह हमारे शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
  • यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल और फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
  • यह हड्डियों, पेशियों, लैंगिक और मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  • हृदयगति और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
  • महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।


इन लक्षणों पर रखें नजर
घबराहट, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, हाथों का कांपना, अधिक पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ना, बालों का पतला होना एवं झड़ना, मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना, अत्यधिक भूख लगना, वजन का घटना, महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, ओस्टियोपोरोसिस से हड्डी में कैल्शियम तेजी से खत्म होना।


ये बन सकते हैं मर्ज का कारण
अव्यवस्थित लाइफस्टाइल, खाने में आयोडीन कम या अधिकता, ज्यादा चिंता करना, वंशानुगत, गलत खानपान और देर रात तक जागना, डिप्रेशन की दवाइयां लेना, डायबिटीज, भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल।

बचाव के लिए ये है जरूरी
भोजन में आयोडीन की संतुलित मात्रा का सेवन, रोजाना योग करना, वर्कआउट या शारीरिक श्रम, धूप में बैठना, पर्याप्त मात्रा में नींद लेना, ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें।

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