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Special Interview of Haryana Women and Child Development Minister Kamlesh Dhanda
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Haryana: महिला सशक्तिकरण के लिए ढांचागत विकास मजबूत करेगी सरकार, वन स्टॉप सेंटर-महिला आश्रम होंगे स्थापित
नसीब सैनी, संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल (हरियाणा)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 06 Feb 2023 01:22 PM IST
सार
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महिलाओं के पोषण और उनके स्वास्थ्य को लेकर दो बड़े प्रयास बीते तीन साल में हुए हैं। मुख्यमंत्री दूध उपहार योजना के माध्यम से तीन लाख महिलाओं और नौ लाख बच्चों को पूरक पोषक आहार के तौर पर नियमित दूध उपलब्ध कराया है।
कन्या भ्रूण हत्या, किशोरियों-महिलाओं में कुपोषण, असुरक्षा की भावना और हिंसा की शिकार महिलाओं को सहारा, ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो महिला सशक्तीकरण की राह में हमेशा बाधा बने हैं। इनके साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों की समस्याओं व महिलाओं के विकास को लेकर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने अपनी कार्ययोजना साझा की। उनका मानना है कि इन सवालों के समाधान के लिए जो दिशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनी है, आज हरियाणा उस दिशा में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। राज्यमंत्री का दावा है कि वर्ष 2023 बेटियों से लेकर महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और कौशल विकास के लिए ढांचागत बदलाव को समर्पित होगा। राज्य मंत्री कमलेश ढांडा से विशेष बातचीत के प्रमुख अंश...
कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए 500 शिशु गृह स्थापित करने के लिए लक्ष्य आज तक अधूरा है?
500 शिशु गृह में से 183 शुरू किए जा चुके हैं। इनमें 30 मॉडल शिशु गृह हैं। वर्ष 2021 में कोरोना महामारी के चलते इसमें देरी हुई। उस दौरान हमने बाकी 317 नए शिशु गृह स्थापित करने के लिए जगह चिह्नित करने के साथ हरियाणा शिशु गृह नीति भी बनाई। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां शिशु गृह नीति मंजूर हो चुकी है। इस साल में हम गैर संगठित क्षेत्र से लेकर कॉरपोरेट सेक्टर की कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए 317 शिशु गृह स्थापित करेंगे। इससे 10 से 12 हजार कामकाजी महिलाओं के बच्चों को सुरक्षित आवासीय सुविधा और तीन समय का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
तीन साल में आपके विभाग की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है और किस तरह की योजनाएं बनीं?
महिलाओं के पोषण और उनके स्वास्थ्य को लेकर दो बड़े प्रयास बीते तीन साल में हुए हैं। मुख्यमंत्री दूध उपहार योजना के माध्यम से तीन लाख महिलाओं और नौ लाख बच्चों को पूरक पोषक आहार के तौर पर नियमित दूध उपलब्ध कराया है। इससे उनके पोषण स्तर में सकारात्मक बदलाव हुए हैं। मुख्यमंत्री महिला एवं किशोरी सम्मान योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार की महिला व किशोरियों को सैनेटरी पैड निशुल्क उपलब्ध कराने से उनकी निजी स्वच्छता का ख्याल रखा गया है। कोरोना संक्रमण से माता-पिता को खो चुके बच्चों के पालक के तौर पर सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। विषम परिस्थितियों में बाल देखरेख संस्थान में पल रहे बच्चों को हरिहर योजना के माध्यम से उनकी शिक्षा से लेकर रोजगार की चिंता का निवारण विभाग करता है।
कैथल के एक कस्बे में कचरे में आंगनबाड़ी में सप्लाई किए जाने वाले सूखे दूध के पैकेट मिले, बच्चों का हक मारने वालों पर क्या कार्रवाई की गई?
स्किम्ड मिल्क पहुंचाने में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जहां तक कैथल में पात्र की जगह कचरे में दूध के पैकेट मिलने को गंभीरता से लिया है। अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं और प्रारंभिक तौर पर सीडीपीओ, सर्कल सुपरवाइजर, आंगनगाड़ी वर्कर को कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है। जो भी दोषी होगा, निश्चित तौर पर कड़ी कार्रवाई होगी।
आपके हलके कलायत में कई लोगों की शिकायत है कि आपसे आमजन का संपर्क नहीं हो पाता, आप या आपके स्टॉफ से फोन पर भी बात नहीं हो पाती?
ऐसा नहीं है। कलायत में दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान होते देखकर उन लोगों के पेट में दर्द होता है, जिन्हें अपना राजनीतिक भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। ऐसे लोग ही दुष्प्रचार करके ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। जनता के बीच में रहने और उनकी समस्याओं का निवारण करने के लिए मैं पूरी तरह से उपलब्ध हूं। जहां तक बात फोन को लेकर है, तो हमने लोगों के फोन आने, उनकी समस्या और उसके समाधान की सूचना तक दोबारा देने की व्यवस्था कर रखी है।
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आप कैथल में रहती हैं। कलायत में जनसमस्याओं व लोगों से मुलाकात के लिए कार्यालय न होने पर सवाल उठते हैं?
कलायत मेरा परिवार है। हलके के गांवों के साथ-साथ कलायत व राजौंद कस्बे में सुख-दुख में जाने से लेकर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याओं का समाधान करना मेरी प्राथमिकता रहती है। कोरोना काल के बाद पिछले महीने से जनता दरबार का सिलसिला शुरू किया है। जल्द ही राजौंद में भी जनता दरबार लगाऊंगी।
कलायत हलके में बतौर मंत्री आपकी ओर से अब तक कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया गया है क्या?
कलायत हलके का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, उसका विकास मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मेरे कार्यकाल के दौरान 100 करोड़ रुपये से ज्यादा विकास कार्यों पर खर्च हो चुके हैं और इस साल 300 करोड़ रुपये के विकास कार्य शुरू होने जा रहे हैं। राजौंद में महिला कॉलेज शुरू हो चुका है और राजौंद नगर पालिका के पास जगह की कमी थी इसलिए अब बीर बांगड़ा में इसके भवन निर्माण के लिए जगह निर्धारित हो चुकी है। दशकों से कलायत में गंदे पानी की निकासी, पीने के पानी की किल्लत, सिंचाई की बदहाल व्यवस्था को सुधारने के लिए आज जनस्वास्थ्य और सिंचाई विभाग के प्रोजेक्टों के टेंडर लगाए जा चुके हैं।
भाजपा-जजपा में गठबंधन के बावजूद जजपा नेता जिला परिषद चुनाव हो या अन्य अवसर, आप पर हमलावर रहते हैं, आपका क्या कहना है?
भाजपा-जजपा गठबंधन की प्रदेश में सरकार है और हमें गठबंधन धर्म निभाना आता है। मेरी प्राथमिकता इलाके का विकास है। न कि किसी पर राजनीतिक या निजी टिप्पणियां करना। राजौंद पालिका में प्रधान, उपप्रधान, कलायत, राजौंद व कैथल पंचायत समिति में प्रधान, उपप्रधान व जिला परिषद में उपप्रधान भाजपा का बना है। हो सकता है इससे किसी को परेशानी हो। मेरे काम को ही मेरा जवाब समझेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा।
प्रदेश में घरेलू हिंसा से लेकर यौन हिंसा की शिकार महिलाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बार-बार शिकायतें मिलती हैं कि ऐसी महिलाओं को सखी केंद्रों के माध्यम से पूरी सुविधाएं नहीं मिल पाती?
ऐसा नहीं है। केंद्र सरकार ने किसी भी हिंसा की शिकार महिला को एक ही स्थान पर आवास, खान-पान, चिकित्सा और कानूनी सहायता देने के लिए सखी केंद्र (वन स्टॉप सेंटर) स्थापित किए हैं। हरियाणा में सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर शुरू किए जा चुके हैं। अब तक सात जिलों में सखी केंद्र अपने भवन में शिफ्ट हो चुके हैं, जबकि चार जिलों में अगले दो से तीन महीने में शिफ्ट हो जाएंगे। इसके साथ-साथ वर्ष 2023 में सिरसा, जींद, नारनौल, झज्जर, चरखी दादरी, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, मेवात, पलवल, पानीपत और कैथल में नए भवनों का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए छह करोड़ 60 लाख रुपये की राशि मंजूर हो चुकी है।
कामकाजी महिलाओं की लगातार संख्या बढ़ रही है और उतनी ही तेजी से उनके आवास संबंधी चुनौती भी बढ़ती जा रही है, क्या इसके समाधान के लिए भी विभाग कुछ कदम उठा रहा है?
प्रदेश में महिलाएं अलग-अलग क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इससे उनकी संख्या में बढ़ोतरी होना लाजमी हैं। विभाग ने कामकाजी महिलाओं की सहूलियत बढ़ाने के लिए फरीदाबाद, गुरुग्राम और पंचकूला में कामकाजी महिला हॉस्टल बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। धीरे-धीरे अन्य जिलों में भी कामकाजी महिला हॉस्टल स्थापित किए जाएंगे।
बेटियों, महिलाओं को लेकर विभाग इस साल क्या-कुछ नए कदम उठाने जा रहा है?
बेटियों, महिलाओं की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग इस साल ढांचागत विकास पर जोर दे रहा है। निराश्रित महिलाओं की आवासीय समस्याओं के समाधान के लिए नारनौल, सिरसा और रेवाड़ी में महिला आश्रम स्थापित होंगे। किसी भी प्रकार की पीड़ित महिलाओं को रखने के लिए फरीदाबाद में स्वर्ण जयंती नारी आश्रय कौशल कुंज स्थापित किया जा चुका है। चरखी दादरी में नारी निकेतन प्रस्तावित है। पानीपत के सिवाह में स्वदामिनी केंद्र का निर्माण अंतिम चरण में है। जहां बेटियों को कंप्यूटर, मोबाइल रिपेयरिंग, कटिंग-टेलरिंग जैसे प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। हिसार के बीड और सोनीपत के जाजी के बाद अब अंबाला और गुरुग्राम में कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहे बच्चों के लिए एकीकृत संस्थान स्थापित करने को मंजूरी दी जा चुकी है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करनाल में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए बाल देखरेख संस्थान स्थापित किया जाएगा, जो प्रदेश का पहला संस्थान होगा।
बेटियों, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात होती है, लेकिन ऐसा धरातल पर होता नजर नहीं आता?
प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो प्रयास हमने किए हैं, उसमें बड़ी सफलता मिल रही है। गांवों में लघु उद्योग स्थापित करने से लेकर बाजार की जरूरतों के अनुरूप उन्हें माहौल देने के लिए हरियाणा मातृशक्ति उद्यमिता योजना चलाई जा रही है। इसके माध्यम से 50 हजार महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है। बेटियों को चालक व आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल्द ही गुरुग्राम में ई-ऑटो प्रशिक्षण के बैच शुरू होंगे। इन्हें धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में करवाया जाएगा।
आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल में बदला जा रहा है, लेकिन उनमें न सुविधाएं हैं और न ही आंगनबाड़ी वर्करों को प्रशिक्षण?
हरियाणा देश में सबसे तेजी से आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल के तौर पर स्थापित कर रहा है। इन प्ले स्कूलों के लिए बच्चों व स्टॉफ के लिए कुर्सी, मेज, अलमारी, वाटर प्यूरीफायर, तौलिए केंद्रों में भेजे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर परचेज कमेटी से बच्चों के लिए पठन सामग्री की खरीद को मंजूरी दी जा चुकी है, जो जल्द ही सप्लाई कर दी जाएगी। रही बात स्टाफ की तो प्रदेश में 4000 प्ले स्कूल ही नहीं, बल्कि सभी 25 हजार 965 आंगनबाड़ी केंद्रों की आंगनबाड़ी वर्कर व हेल्पर का प्रशिक्षण विभाग की ओर से करवाया जा चुका है। इस साल हम 10 हजार अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल के तौर पर विकसित करने पर काम कर रहे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों, महिलाओं के पोषण में सुधार लाने के लिए विभाग क्या कदम उठा रहा है? क्या बाजरे को बच्चों के खान-पान में शामिल करने की योजना है?
प्रदेश की 67 प्रतिशत आबादी महिलाएं और बच्चे हैं। इनके लिए यह साल अहम होने जा रहा है। वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्ष 2023 को अंत्योदय आरोग्य वर्ष के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से लाभार्थियों को बाजरा को पूरक पोषक आहार में मुहैया करवाएंगे। विभाग माताओं, बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र पर ही नियमित तौर पर 200 एमएल दूध पिलाने की व्यवस्था करेगा।
अब हाजिरी ऑनलाइन की जा रही है, इससे आंगनबाड़ी वर्कर व बच्चों को क्या लाभ होगा?
एमआईएस प्लेटफार्म के माध्यम से जहां आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर से जुड़ी अड़चनें दूर होंगी, वहीं लाखों लाभार्थियों की उपस्थिति से लेकर उनको दिए जाने वाले आहार और अन्य विभागीय योजनाओं के बारे में जागरूकता होना सुनिश्चित किया जाएगा। हमारा मकसद व्यवस्था को पारदर्शी बनाते हुए हर लाभार्थी तक पहुंचना है।
हरियाणा में महिलाओं को और क्या मिलना चाहिए, जिसकी मांग आप सीएम से बजट सत्र में करेंगी?
आप आठ साल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के शासन को देखिए। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आत्मनिर्भरता के साथ-साथ राजनीतिक तौर पर उन्होंने महिला सशक्तीकरण की दिशा में जितना प्रयास किया है, उतना पहले नहीं हुआ है। अभी हम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए स्वरोजगार और उनकी आत्मनिर्भरता से जुड़े विषयों पर मंथन कर रहे हैं। इसका प्रभाव आप आगामी बजट में जरूर देखेंगे।
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