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सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने मंगलवार को 1138.14 करोड़ का वार्षिक बजट पेश किया है। पंजाब और हरियाणा के बीच गुरुद्वारों के प्रबंधन को लेकर चल रही खींचतान का असर इस बजट में भी दिखाई दिया। एसजीपीसी ने हरियाणा के गुरुद्वारों के लिए 57.11 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो पिछले साल के मुकाबले 106.5 करोड़ कम है।
एसजीपीसी के महासचिव भाई गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बजट पेश करते हुए बताया कि गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए 855.39 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। वहीं, गुरमति प्रचार व शिक्षा आदि के लिए करीब 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बजट बैठक के दौरान श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी व अन्य पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे।
अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि एसजीपीसी के बजट में पिछले साल की तुलना में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष का बजट करीब 988 करोड़ रुपये था। पारित बजट में एसजीपीसी धर्म प्रचार कमेटी, धारा-85 के तहत आने वाले ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब, शैक्षणिक संस्थान, प्रिंटिंग प्रेस आदि सभी शामिल हैं। पूरे बजट का आधार गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं की ओर से भेंट किया जाने वाला चढ़ावा है।
धामी ने हरियाणा के गुरुद्वारों के बजट में कटौती पर कहा कि हालांकि, इन गुरुद्वारों का प्रबंधन सरकारों की नापाक मंशा के चलते हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपने हाथ में ले लिया है लेकिन फिर भी शिरोमणि कमेटी ने इसके लिए बजट रखा है। ये सभी गुरुद्वारा साहिब अभी भी सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 की भावना के तहत अधिसूचित हैं। सरकार को इसका प्रबंधन एसजीपीसी को वापस करना चाहिए।