चंडीगढ़। अगर अपने बच्चे को बाल हिंसा से बचाना है तो सबसे पहले खुद को एक जिम्मेदार माता-पिता के रूप में तैयार करें ताकि बच्चा एक जिम्मेदार परवरिश का हिस्सा बने। ऐसा कर बच्चे की मन की बात जानने के साथ ही उसकी भावनाओं को समझने में आसानी होगी। फिर वे बच्चा परिवार के साथ रहकर भी खुद काे अकेला नहीं पाएगा। उसकी छोटी सी छोटी परेशानी को आप आसानी से समझ लेंगे और वह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक हिंसा का शिकार होने से बच जाएगा। यह बातें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंजेस के पूर्व मनोचिकित्सक व स्वास्थ्य मंत्रालय के संवाद योजना के सदस्य डॉ. शेखर शेषाद्री ने शनिवार को दी। वह पीजीआई मनोचिकित्सा विभाग की ओर से बाल उत्पीड़न पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद थे। डॉ. शेखर ने बताया कि अगर बच्चा हिंसक हो रहा है तो उसके व्यवहार पर फोकस होने की बजाय उसकी हिंसा के संदर्भ पर ध्यान देना होगा। हिंसा करने के पीछे की भावना जाननी होगी क्योंकि ज्यादातर मामलों में बच्चे उत्पीड़न का शिकार होकर हिंसा का रास्ता अपनाने लगते हैं। वे कुंठा को अपने अंदाज में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। इस अवसर पर डॉ. शेखर ने अलग अलग उम्र के बच्चों के परवरिश के दौरान बदली जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया। उनका कहना था कि 5 से 10 साल के बच्चों की परवरिश विशेष होती है। क्योंकि उस दौरान बच्चे का मानसिक और सामाजिक विकास तेजी से होता है।
5 से 10 साल तक के बच्चों की ऐसे करें परवरिश
-अपने बच्चों को हाइजीन का ख्याल रखने की शिक्षा अवश्य दें। खुद को अपने आसपास की स्थान को साफ रखने से वो स्वस्थ रहेंगे।
- इस उम्र के बच्चे में आहार संबंधी अच्छी आदतें भी डालें। बच्चे को संतुलित और सेहतमंद आहार का महत्व समझाएं।
- रनिंग, फुटबाल या अन्य खेल खेलना और साइकिल चलना जैसी शारीरिक गतिविधियों को अपने जीवन में शामिल करने को कहें ताकि वो वर्चुअल चीजों से दूर रहें।
- बच्चे को अपने काम खुद करने के लिए कहें जैसे अपना कमरा साफ करना, अपना होमवर्क खुद करना आदि।
- इस उम्र के बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में अवश्य बताएं ताकि वो सुरक्षित रहें। इसके साथ ही उसे उसकी सुरक्षा को लेकर भी सतर्क करें।
- बच्चे के लिए सोने का समय और उठने का समय निर्धारित कर लें। अगर इस उम्र में बच्चे जल्दी उठने और जल्दी सोने की आदत डालेंगे।
माता-पिता इसका रखें ध्यान
-बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएं और उन्हें हमेशा अच्छा करने के लिए प्रेरित करते रहें।
-गलती करने पर भी बच्चे को समझाएं और अच्छा करने के लिए उसका उत्साह बढ़ाएं।
-अनुशासन को बनाएं रखें और बच्चे को भी उनका पालन करने के लिए कहें, लेकिन अपने अनुशासन की सीमाओं को भी निर्धारित करें।
- अपने बच्चे के लिए हमेशा समय निकालें।
- छोटे बच्चे अपने माता-पिता को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। इसलिए उनके लिए एक अच्छा रोल मॉडल बने।
- अपने अनकंडीशनल प्यार को व्यक्त करना न भूलें। इससे बच्चे को अच्छा लगेगा और मनोबल बढ़ेगा।
- अभिभावक के रूप में अपनी जरूरतों और लिमिटेशन को न भूले।