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Punjab two bills related to sacrilege did not get President assent
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Punjab News: बेअदबी से जुड़े दो विधेयक लंबित, पंजाब ने किया उम्रकैद का प्रावधान, केंद्र ने कहा- यह सजा अधिक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Mon, 29 May 2023 12:06 AM IST
मान ने पत्र में लिखा कि मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों द्वारा एक जीवित गुरु माना जाता है और उसी के अनुसार उनका सम्मान किया जाता है, इसलिए प्रस्तावित सजा अत्याधिक नहीं है।
पंजाब के सीएम भगवंत मान।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी (फाइल फोटो)
पंजाब सरकार ने बेअदबी की घटनाओं के दोषियों को उम्रकैद की सजा देने का प्रावधान वाले दो बिल पारित कर राष्ट्रपति की मंजूरी को भेजे थे लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में पंजाब सरकार को जवाबी पत्र लिखकर कहा है कि पारित बिलों में सजा का प्रावधान कुछ ज्यादा प्रतीत होता है। केंद्र सरकार की इस आनाकानी के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा और पंजाब सरकार द्वारा पांच साल पहले बेअदबी के मामले में पारित दोनों बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी दिलाने का आग्रह किया।
गौरतलब है कि पंजाब में 2018 में तत्कालीन सरकार ने बेअदबी के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान करते हुए दो बिलों को मंजूरी दी थी। विधानसभा में मंजूरी के बाद दोनों बिल राज्यपाल के पास भेजे। इन्हें पुनः राज्य सरकार के आग्रह के बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजे दिया। उसी समय से ये बिल लंबित हैं। इन बिलों में राज्य सरकार ने बेअदबी के दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया था।
मुख्यमंत्री मान ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। इस संदर्भ में यह महसूस किया गया था कि धार्मिक ग्रंथों के बेअदबी के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 295 और 295-ए के तहत निर्धारित सजा अपर्याप्त है इसलिए पंजाब विधानसभा ने दो बिल- ‘द इंडियन पैनल कोड (पंजाब संशोधन) बिल 2018’ और ‘द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (पंजाब संशोधन) बिल 2018’, जिनमें लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद्भगवत गीता, पवित्र कुरान और पवित्र बाइबल की बेअदबी, नुकसान पहुंचाने या फाड़ने की घटनाओं के दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया था।
मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी लिखा, ‘उक्त बिलों के जरिये किए गए संशोधन हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप है। ये बिल अक्तूबर 2018 से राष्ट्रपति की सहमति के लिए लंबित हैं। हालांकि अब हमें आपके मंत्रालय से यह कहते हुए प्रतिक्रिया मिली है कि प्रस्तावित सजा अत्यधिक प्रतीत होती है।’
जीवित गुरु के रूप में होता है सम्मान, सजा ज्यादा नहीं: मान
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि ‘इस संदर्भ में, मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों द्वारा एक जीवित गुरु माना जाता है और उसी के अनुसार उनका सम्मान किया जाता है, इसलिए प्रस्तावित सजा अत्याधिक नहीं है। सीमावर्ती राज्य होने के कारण पंजाब में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इसे बिगाड़ने की कोशिश करने वाले अपराधियों को रोकने के लिए कड़ी सजा की आवश्यकता है। इस वजह से उक्त विधेयकों पर यथाशीघ्र राष्ट्रपति की स्वीकृति दिलाई जाए।’
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