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Punjab: police staff resolve marital disputes also need counselling
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Punjab: वैवाहिक विवादों को सुलझाने वाले पुलिस स्टाफ को ही काउंसिलिंग की जरूरत, विस कमेटी की रिपोर्ट में उल्लेख
अमित शर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 01 Apr 2023 04:59 PM IST
सार
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कमेटी ने डीजीपी को हिदायत दी है कि थानों में कम से कम 50 फीसदी स्टाफ तैनात किया जाए क्योंकि अब पुलिस में कई विंग गठित हो चुके हैं। ऐसे में मुलाजिमों की कमी को पूरा किया जाए।
पंजाब पुलिस द्वारा लोगों के वैवाहिक विवादों को सुलझाने का तरीका सही नहीं है। पुलिस द्वारा डरा धमकाकर घर बसाए जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि कुछ समय बाद ही फिर से रिश्तों में दरारें आने लगती हैं, साथ ही नौबत झगड़े तक पहुंच जाती है। सुनने में यह बात हैरान करने वाली लगती है, लेकिन बिल्कुल सच है। पंजाब विधानसभा की गृह विभाग से जुड़ी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस चीज का जिक्र किया है। साथ ही सुझाव दिया है कि वहां तैनात किए जाने वाला स्टाफ सॉफ्ट स्पोकन होना चाहिए। साथ ही उक्त स्टाफ की भी काउंसलिंग होनी चाहिए, ताकि वह वह अच्छी तरह से परिवारों के मामलों को सुलझा पाए।
विधानसभा कमेटी ने सुझाव दिया है कि जो भी पुलिस मुलाजिम काम कर रहे हैं, उन्हें मेडिटेशन की बहुत जरूरत है क्योंकि उनकी ड्यूटी बहुत लंबी होती है। इस वजह से वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे में मेडिटेशन से वह रिफ्रेश हो जाएंगे। दूसरा थानों व चौकियों में पुलिस मुलाजिमों की कमी को पूरा करने के लिए काम होगा। विभिन्न बटालियनों से सरप्लस स्टाफ की सूची मंगवाकर उन्हें थानों और चौकियों में तैनात किया जाएगा तो यह दिक्कत खत्म हो जाएगी।
राज्य के थानों में निर्धारित नफरी 34867 है, जबकि 23216 पद ही अभी तक भरे हुए हैं। यह भी देखते में आया है कि कुल मुलाजिमों में 30 फीसदी थानों में तैनात हैं, जबकि शेष फील्ड में हैं। कमेटी ने डीजीपी को हिदायत दी है कि थानों में कम से कम 50 फीसदी स्टाफ तैनात किया जाए क्योंकि अब पुलिस में कई विंग गठित हो चुके हैं। ऐसे में मुलाजिमों की कमी को पूरा किया जाए। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न जिलों में मुलाजिमों की कमी को पूरा करने के लिए मुलजिम भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
थानों में वेटिंग रूम तक नहीं
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि राज्य के थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर का बुरा हाल है। थानों में खुद मुलाजिम तक सुरक्षित नहीं हैं। इतना ही नहीं थानों में वेटिंग रूम की व्यवस्था भी नहीं है। लोगों को वहां जाने पर धक्के खाने पड़ते हैं। हवालात का भी बुरा हाल है।
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