न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sat, 18 Sep 2021 12:29 AM IST
अपनी सरकार के चुनावी वादे को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को उन 15 लाख परिवारों को भी मुफ्त सेहत बीमा सुविधा देने का एलान किया जो इससे पहले आयुष्मान भारत व सरबत सेहत बीमा योजना के दायरे में नहीं थे। मुख्यमंत्री ने इस फैसले का एलान शुक्रवार को पंजाब कैबिनेट की वर्चुअल बैठक के दौरान किया। यहां स्वास्थ्य विभाग ने इन परिवारों को इस स्कीम के तहत शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए लाभार्थियों को भी प्रीमियम के खर्चे के हिस्से का भुगतान करना पड़ता था। हालांकि, कैप्टन ने सुझाव दिया कि इन परिवारों को मुफ्त सेवा के दायरे में लाया जाए।
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बैठक के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस फैसले से अब सरकारी मुलाजिमों और पेंशनरों के परिवारों को छोड़कर राज्य में बाकी सभी 55 लाख परिवार इस स्कीम के दायरे में आ जाएंगे, क्योंकि सरकारी मुलाजिम और पेंशनर परिवारों सहित पहले ही पंजाब मेडिकल अटेंडेंस रूल्ज के दायरे में आते हैं। इसमें 55 लाख परिवारों को सूचीबद्ध सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए हर परिवार को पांच लाख रुपये का सेहत बीमा मुहैया होगा, जिससे राज्य सरकार अब सालाना 593 करोड़ रुपये का बोझ वहन करेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य के 39.38 लाख परिवार 20 अगस्त, 2019 से इस सुविधा का लाभ पहले ही ले रहे हैं और बीते दो साल में इन्होंने 913 करोड़ का नगदी रहित इलाज करवाया है। इन परिवारों में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के अंतर्गत पहचाने गए 14.64 लाख परिवार, स्मार्ट राशन कार्ड होल्डर वाले 16.15 लाख परिवार, 5.07 लाख किसान परिवार, निर्माण कामगारों के 3.12 लाख परिवार, 4481 मान्यता प्राप्त पत्रकारों के परिवार और 33096 छोटे व्यापारियों के परिवार शामिल थे।
आतंकवाद, दंगा पीड़ित परिवार और कश्मीरी प्रवासियों की मांग को पूरा करते हुए कैबिनेट ने इनके गुजारे भत्ते में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। अब यह भत्ता 5000 से बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। कश्मीरी प्रवासियों को राशन के लिए दी जाती वित्तीय सहायता 2000 से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह प्रति परिवार की गई है। इस फैसले से 5100 आतंकवाद/दंगा पीड़ित परिवारों और 200 कश्मीरी प्रवासियों को सालाना 6.16 करोड़ रुपये का लाभ होगा। इन परिवारों की वित्तीय सहायता में इससे पहले 2012 में वृद्धि की गई थी, जबकि कश्मीरी प्रवासियों की वित्तीय सहायता में 2005 में वृद्धि की गई थी।
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स्वामित्व स्कीम के तहत एतराज दाखिल करने की अवधि घटी
मिशन लाल लकीर को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए पंजाब कैबिनेट ने शुक्रवार को स्वामित्व स्कीम के तहत आपत्तियां दायर करने के समय को मौजूदा 90 दिन से घटाकर 45 दिन करने का फैसला किया है। वर्चुअल मीटिंग के दौरान मंत्रिमंडल ने पंजाब आबादी देह (अधिकारों का रिकॉर्ड) बिल -2021 को मंजूरी दे दी है, जिससे मौजूदा कानून की धारा 11 (1) में संशोधन किया जा सकता है। इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति जो सर्वेक्षण रिकॉर्ड में किसी भी सीमा की हदबंदी या सर्वेक्षण यूनिट में अधिकारों के स्थायी रिकॉर्ड में मिल्कियत के अधिकारों के संबंध में इंदराज से दुखी है, गांव के एक विशेष स्थान पर रिकॉर्ड प्रदर्शित करने के 90 दिन के अंदर एतराज दर्ज कर सकता है। पंजाब आबादी देह एक्ट राज्य भर में ‘मिशन लाल लकीर’ को लागू करने के लिए बनाया गया था क्योंकि लाल लकीर के अंदर जायदादों के लिए अधिकारों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इस वजह से ऐसी संपत्तियों को जायदाद के वास्तविक मूल्य के अनुसार मुद्रीकृत नहीं किया जा सकता और ऐसी संपत्तियों पर कोई गिरवीनामा आदि नहीं बनाया जा सकता।
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अपनी सरकार के चुनावी वादे को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को उन 15 लाख परिवारों को भी मुफ्त सेहत बीमा सुविधा देने का एलान किया जो इससे पहले आयुष्मान भारत व सरबत सेहत बीमा योजना के दायरे में नहीं थे। मुख्यमंत्री ने इस फैसले का एलान शुक्रवार को पंजाब कैबिनेट की वर्चुअल बैठक के दौरान किया। यहां स्वास्थ्य विभाग ने इन परिवारों को इस स्कीम के तहत शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए लाभार्थियों को भी प्रीमियम के खर्चे के हिस्से का भुगतान करना पड़ता था। हालांकि, कैप्टन ने सुझाव दिया कि इन परिवारों को मुफ्त सेवा के दायरे में लाया जाए।
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बैठक के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस फैसले से अब सरकारी मुलाजिमों और पेंशनरों के परिवारों को छोड़कर राज्य में बाकी सभी 55 लाख परिवार इस स्कीम के दायरे में आ जाएंगे, क्योंकि सरकारी मुलाजिम और पेंशनर परिवारों सहित पहले ही पंजाब मेडिकल अटेंडेंस रूल्ज के दायरे में आते हैं। इसमें 55 लाख परिवारों को सूचीबद्ध सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए हर परिवार को पांच लाख रुपये का सेहत बीमा मुहैया होगा, जिससे राज्य सरकार अब सालाना 593 करोड़ रुपये का बोझ वहन करेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य के 39.38 लाख परिवार 20 अगस्त, 2019 से इस सुविधा का लाभ पहले ही ले रहे हैं और बीते दो साल में इन्होंने 913 करोड़ का नगदी रहित इलाज करवाया है। इन परिवारों में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के अंतर्गत पहचाने गए 14.64 लाख परिवार, स्मार्ट राशन कार्ड होल्डर वाले 16.15 लाख परिवार, 5.07 लाख किसान परिवार, निर्माण कामगारों के 3.12 लाख परिवार, 4481 मान्यता प्राप्त पत्रकारों के परिवार और 33096 छोटे व्यापारियों के परिवार शामिल थे।