न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Wed, 25 Nov 2020 01:34 AM IST
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मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को अचानक नवजोत सिद्धू को 25 नवंबर को लंच का न्योता देकर सभी को चौंका दिया। कैप्टन ने इस संबंध में एक ट्वीट कर कहा कि वे सिद्धू के साथ राज्य और देश के राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। इसके बाद पंजाब कांग्रेस और सरकार में सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि उन्हें कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कैप्टन और सिद्धू के बीच बीते तीन साल से चल रही खींचतान किसी से छिपी नहीं है। लंच के इस न्योते से माना जा रहा है कि कैप्टन ने पार्टी आलाकमान के इशारे पर ही सिद्धू के साथ सारे मनमुटाव भुलाते हुए सुलह का माहौल बनाने के लिए कदम उठाया है।
हाल ही में आलाकमान ने पार्टी में उठ रहे असंतोष के सुरों को शांत करने के लिए अनेक नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। वहीं, सिद्धू लंबे समय से पंजाब में बड़ी जिम्मेदारी की मांग करते रहे हैं और ऐसा न होने के कारण वे पार्टी और सरकार से तटस्थ हो चुके हैं। वैसे राहुल गांधी की तरफ से सिद्धू को यह भरोसा दिया गया था कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
कैप्टन से मनमुटाव के कारण ही सिद्धू ने पिछले साल जुलाई में मंत्री पद त्याग दिया था। उसके बाद से सिद्धू सरकार और सियासत के किनारा करके बैठ गए थे। दरअसल, सिद्धू उस समय उप मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे थे। हाल में वे विधानसभा के विशेष सत्र में दिखाई दिए और उन्होंने कैप्टन सरकार के किसानों के समर्थन में उठाए गए कदमों का समर्थन किया था।
कैबिनेट में फेरबदल के कयास
दूसरी ओर, मंत्री पद का इंतजार कर रहे कई नेता कयास लगाने लगे हैं कि कैप्टन जल्दी ही सिद्धू को फिर से कैबिनेट में लाएंगे और इसके लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है। ऐसे में कुछ नए चेहरों को मौका मिल सकता है। दरअसल, सिद्धू के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद उस सीट को अब तक भरा नहीं गया है।
हरीश रावत के प्रयास
पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने भी पद संभालते हुए सबसे पहले सिद्धू के घर जाकर लंबी बैठक की थी। रावत ने ही यह घोषणा की थी कि सिद्धू पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और पार्टी उन्हें अनदेखा नहीं कर सकती। रावत ने यह भी इशारा किया था कि सिद्धू को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब कांग्रेस को एकजुट करने का भी एलान किया था। करीब डेढ़ साल बाद इस महीने विधानसभा सत्र में पहुंचे सिद्धू की अचानक सियासी सक्रियता को रावत का प्रयास ही माना गया था। अब कैप्टन का सिद्धू को आमंत्रित करना भी, हरीश रावत के प्रयासों के एक हिस्से को तौर पर भी देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को अचानक नवजोत सिद्धू को 25 नवंबर को लंच का न्योता देकर सभी को चौंका दिया। कैप्टन ने इस संबंध में एक ट्वीट कर कहा कि वे सिद्धू के साथ राज्य और देश के राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। इसके बाद पंजाब कांग्रेस और सरकार में सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि उन्हें कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कैप्टन और सिद्धू के बीच बीते तीन साल से चल रही खींचतान किसी से छिपी नहीं है। लंच के इस न्योते से माना जा रहा है कि कैप्टन ने पार्टी आलाकमान के इशारे पर ही सिद्धू के साथ सारे मनमुटाव भुलाते हुए सुलह का माहौल बनाने के लिए कदम उठाया है।
हाल ही में आलाकमान ने पार्टी में उठ रहे असंतोष के सुरों को शांत करने के लिए अनेक नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। वहीं, सिद्धू लंबे समय से पंजाब में बड़ी जिम्मेदारी की मांग करते रहे हैं और ऐसा न होने के कारण वे पार्टी और सरकार से तटस्थ हो चुके हैं। वैसे राहुल गांधी की तरफ से सिद्धू को यह भरोसा दिया गया था कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
सिद्धू ने पिछले साल छोड़ दिया था मंत्री पद
कैप्टन से मनमुटाव के कारण ही सिद्धू ने पिछले साल जुलाई में मंत्री पद त्याग दिया था। उसके बाद से सिद्धू सरकार और सियासत के किनारा करके बैठ गए थे। दरअसल, सिद्धू उस समय उप मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे थे। हाल में वे विधानसभा के विशेष सत्र में दिखाई दिए और उन्होंने कैप्टन सरकार के किसानों के समर्थन में उठाए गए कदमों का समर्थन किया था।
कैबिनेट में फेरबदल के कयास
दूसरी ओर, मंत्री पद का इंतजार कर रहे कई नेता कयास लगाने लगे हैं कि कैप्टन जल्दी ही सिद्धू को फिर से कैबिनेट में लाएंगे और इसके लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है। ऐसे में कुछ नए चेहरों को मौका मिल सकता है। दरअसल, सिद्धू के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद उस सीट को अब तक भरा नहीं गया है।
हरीश रावत के प्रयास
पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने भी पद संभालते हुए सबसे पहले सिद्धू के घर जाकर लंबी बैठक की थी। रावत ने ही यह घोषणा की थी कि सिद्धू पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और पार्टी उन्हें अनदेखा नहीं कर सकती। रावत ने यह भी इशारा किया था कि सिद्धू को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब कांग्रेस को एकजुट करने का भी एलान किया था। करीब डेढ़ साल बाद इस महीने विधानसभा सत्र में पहुंचे सिद्धू की अचानक सियासी सक्रियता को रावत का प्रयास ही माना गया था। अब कैप्टन का सिद्धू को आमंत्रित करना भी, हरीश रावत के प्रयासों के एक हिस्से को तौर पर भी देखा जा रहा है।