चंडीगढ़। अपने हक की मांग करना अगर गलत या अपराध है तो पंजाब यूनिवर्सिटी को राजनीति, कानून और मानवाधिकार के विभागों को बंद कर देना चाहिए। जो छात्र प्रदर्शन पर बैठे हैं वे नियमित कक्षाएं भी लगाते हैं और कक्षाओं के बाद धरने पर आते हैं। पीयू प्रशासन अभिभावकों को छात्रों की लिखित में शिकायतें भेजकर तनाव दे रहा है। स्टूडेंट सेंटर पर छात्र संगठन सथ की ओर से वीरवार को आयोजित प्रदर्शन में सदस्य रिमरजोत सिंह ने यह बात कही। छात्रों की मुख्य मांग है कि कंपल्सरी डाइट को 30 से 15 रुपये किया जाए। पीयू प्रशासन सिर्फ एक-दो रुपये ही घटाने को तैयार है, इसे छात्रों ने ठुकरा दिया।
बता दें पंजाब यूनिवर्सिटी ने वीसी दफ्तर के बाहर मेस के बढ़े मूल्यों को लेकर सथ की ओर लगभग तीन हफ्तों से किए जा रहे प्रदर्शन को लेकर छात्रों के घर शिकायत भेज दी थी। छात्र जपजीत सिंह के घर भेजे पत्र में कहा गया है कि ये कक्षाएं लगाने की बजाय धरना दे रहा है। छात्र जपजीत ने कहा कि गांव में रहने वाले अभिभावकों को पीयू प्रशासन डरा रहा है कि उनके बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। पीयू प्रशासन विभाग में जाकर उपस्थिति देख सकता है। इसके साथ ही कक्षाओं में आयोजित अतिरिक्त गतिविधियों में हिस्सा लेते रहा हूं। पीयू को अभी शिकायत भेजने की बजाय मेस के मूल्य बढ़ाने से पहले अभिभावकों को पत्र भेजकर सलाह करनी चाहिए थी।
प्रदर्शन के बाद छात्रों ने अधिकारियों से की मुलाकात
प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं ने स्टूडेंट सेंटर पर डीएसडब्ल्यू से मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन वे बिना मुलाकात करे ही दफ्तर से चले गए। इसके बाद छात्रों ने दफ्तर के बाहर ही धरना दिया। लगभग डेढ़ घंटे बाद अधिकारियों ने छात्रों के साथ मुलाकात की। अधिकारियों ने कहा कि वे कंपल्सरी डाइट को 30 से 15 नहीं कर सकते। अगर आप चाहते हैं तो मूल्य में एक-दो रुपए की कमी की जा सकती है। छात्रों ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि डाइट को भी 30 से घटाकर 15 किया जाए। पीयू प्रशासन ने एक आदेश जारी किया है कि किसी भी धरने में शामिल होने वाले छात्रों के पास आईडी कार्ड होना चाहिए अन्यथा उन्हें विभाग से एक हफ्ते के लिए निष्कासित कर दिया जाएगा। इसके विरोध में वीरवार शाम को सभी पार्टियों ने मिलकर डीएसडब्ल्यू से मुलाकात की और इस आदेश का विरोध किया।