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लुट रहे अभिभावक: लचर नियमों का फायदा उठा रहे निजी स्कूल, अलग-अलग गतिविधियों के नाम पर वसूलते हैं पैसे

प्रियंका ठाकुर, संवाद न्यूज, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 05 Jun 2023 02:33 PM IST
सार

हाल ही में नव बाल निकेतन स्कूल में अभिभावक द्वारा की शिकायत विभाग की लापरवाही को दर्शाती है। स्कूल ने इस सत्र में लॉन्च किए अपने एप के लिए परिजनों को 2000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था। इस पर आपत्ति जताते हुए एक अभिभावक ने प्रश्न उठाया कि जब वह बच्चे की फीस दे रहे हैं तो उनसे एप के पैसे क्यों लिए जा रहे हैं।

Private schools collect fees from parents under countless activities in Chandigarh
निजी स्कूलों की मनमानी - फोटो : प्रतीकात्मक

विस्तार
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डायरी, एप, शैक्षणिक गतिविधियों सहित न जाने कितनी ही अनगिनत गतिविधियों के तहत निजी स्कूल अभिभावकों से फीस वसूलते हैं। सीबीएसई के दिशानिर्देशों के अनुसार स्कूल केवल उन मदों पर ही फीस ले सकते हैं जो शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित किए हों। लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक विभाग ने ऐसे कोई मद निर्धारित ही नहीं किए जिससे अभिभावक को पता चल सके कि उनसे स्कूल जायज शुल्क ले रहा है या नहीं।


सीबीएसई के फीस को लेकर जारी दिशा-निर्देश
सीबीएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज में उल्लिखित है कि फीस शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मदों के अनुसार ली जाएगी। परंतु चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने ऐसे मद निर्धारित नहीं किए हैं जिनके आधार पर निजी स्कूल फीस ले सकें और परिजनों को पता रहे कि उनसे जायज फीस ली जा रही है या नहीं। प्रवेश या किसी भी मद के अंतर्गत कोई भी फीस सरकार के प्रावधानों के अनुसार ही ली जा सकती है।


हाल ही में नव बाल निकेतन स्कूल में अभिभावक द्वारा की शिकायत विभाग की लापरवाही को दर्शाती है। स्कूल ने इस सत्र में लॉन्च किए अपने एप के लिए परिजनों को 2000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था। इस पर आपत्ति जताते हुए एक अभिभावक ने पैसे देने से इनकार कर दिया और प्रश्न उठाया कि जब वह बच्चे की फीस दे रहे हैं तो उनसे एप के पैसे क्यों लिए जा रहे हैं। वह एप इस्तेमाल नहीं करना चाहते पर स्कूल ने एप के अलावा कहीं और होमवर्क देने से मना कर दिया जिससे बच्चे की पढ़ाई बाधित हुई। क्योंकि विभाग ने कोई मद निर्धारित नहीं किए हैं इसलिए उनके पास शिकायत का कोई स्पष्ट समाधान नहीं है कि इस शुल्क को अनिवार्य समझा जाए या परिजनों पर बोझ।

2018 में गठित की फी रेग्युलेशन कमेटी ठंडे बस्ते में
2018 में मनमानी फीस वसूलने पर सीबीएसई ने स्कूलों को सरकार के नियम, कानून का पालन करने के आदेश दिए थे। उसी साल चंडीगढ़ शिक्षा विभाग द्वारा पंजाब रेगुलेशन ऑफ फीस ऑफ अनएडिड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट एक्ट 2016 को अपनाया गया था। एक्ट के तहत पूर्व शिक्षा सचिव बीएल शर्मा के नेतृत्व में सात सदस्यीय फी रेग्युलेशन कमेटी बनाई गई थी। समिति का उद्देश्य फीस को लेकर परिजनों की शिकायतों का समाधान करना था जिसमें शिक्षा सचिव, स्कूल शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य सदस्य सम्मिलित हैं। समिति बनने के पांच साल बाद भी परिजन इससे परिचित नहीं हैं और फीस की समस्याओं को लेकर परेशानी का सामना कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग की लापरवाही में हो रहा अभिभावकों का शोषण
सीबीएसई के दिशानिर्देश अनुसार निजी स्कूल केवल उन्हीं मदों पर फीस ले सकते हैं जो शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित हों। लेकिन विभाग ने ऐसी कोई सूची जारी ही नहीं की है जिसका फायदा उठाकर स्कूल मनमाने मदों पर फीस वसूलते हैं जिससे लगातार अभिभावकों का शोषण हो रहा है। - नितिन गोयल, चंडीगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष

समिति बनाने का लक्ष्य परिजनों की समस्याओं का निवारण करना

2018 में हमने पंजाब फीस रेग्युलेशन एक्ट को अपनाया था। एक्ट के तहत अभिभावकों की फीस संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए समिति का गठन किया था। उस समय की समिति की बैठकें भी हुई थीं और उसका मूल उद्देश्य यही था कि परिजनों का फीस को लेकर कोई शोषण न हो। -बीएल शर्मा, पूर्व शिक्षा सचिव
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सरकारी प्रवाधानों को संज्ञान में लेकर की जा रही जांच

मेरे कार्यकाल के तहत अभी तक मदों की कोई सूची नहीं बनाई गई है। अभिभावक द्वारा की शिकायत के मामले में सरकारी प्रवाधानों को संज्ञान में लेकर जांच की जा रही है। -हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़, स्कूल शिक्षा निदेशक
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