चंडीगढ़। लोगों की मेहनत की कमाई मिनटों में गायब हो रही है। कारण है- ऑनलाइन ठगी। डड्डूमाजरा निवासी बन्नी शर्मा (नाम बदला हुआ) ने अपना घर बनाने के लिए 80,000 रुपये की राशि जमा की थी जो जालसाजों के हाथ लग गई। फोन पे एप न चलने पर कस्टमर केयर को फोन करने के बजाय वह शातिरों के झांसे में आ गए। वर्तमान में एनी डेस्क, क्विक स्पॉट, टीम व्यूअर आदि एप को इंस्टॉल करने के हवाले से भी लोगों के साथ स्कैम हो रहे हैं। केस स्टडी 1
तकनीकी कारणों से जब बन्नी का फोनपे एप चलना बंद हुआ तो उन्होंने बैंक से संपर्क किया। अकाउंट में कोई दिक्क्त न होने से उन्हें एप के कस्टमर केयर से बात करने को कहा गया। इंटरनेट से कस्टमर का नंबर लेकर उन्होंने बात करना शुरू किया तो उन्हें एनी डेस्क एप इंस्टॉल करने के लिए कहा गया। जैसे ही उन्होंने एप इंस्टॉल किया पहले 1000, फिर 2000 और ऐसा करते करते उनके खाते से 80,000 रुपये निकल गए। काफी समय से पाई पाई जोड़ी कमाई 13 जनवरी को जालसाजों के हाथ लग गई। इतना ही नहीं जालसाजों ने उन्हें अगले दिन दोबारा कॉल किया और एनी डेस्क एप इंस्टॉल करने को कहा। अभी तक वह पैसे वापस नहीं आए।
केस स्टडी 2
क्रेडिट कार्ड अपडेट करने के चक्कर में गंवाए 49800 रुपये
सेक्टर 33 निवासी विष्णु बहादुर को बैंक से कस्टमर केयर का क्रेडिट कार्ड अपडेट करने के लिए फोन आया तो उन्हें भी फोन को लेकर आशंका हुई। परंतु कस्टमर केयर ने जब उनका नाम और उनकी गाड़ी का नंबर बताया तो उनकी सारी चिंता दूर हो गई। अधिक क्रेडिट कार्ड सीमा और अन्य फायदों का हवाला देकर विष्णु को बैंक का एप इंस्टॉल करने को कहा और नया कार्ड अप्लाई करने की प्रक्रिया करवाई। उनसे उनकी मां का नाम और ओटीपी पूछा, जिसके बाद उनके खाते से पैसे कटना शुरू हुए। विष्णु ने बात की पुष्टि करना चाही तो उन्हें बताया गया कि उनके पुराने कार्ड से पैसे कटकर नए कार्ड में आ जाएंगे। एक हफ्ते के समय में उनका नया कार्ड बनकर आ गया पर बिना पैसे डले। उन्होंने बैंक को संपर्क किया तो उन्हें उनके साथ हुए जालसाजी का आभास हुआ। पुलिस स्टेशन में अब वह अपने नए, पुराने कार्ड लेकर घूम रहे है जिससे पैसे कट चुके हैं।
केस-3
खाते में पैसे डालकर किया ब्लैकमेल
सेक्टर-30 निवासी रमेश कुमार को 2 मार्च को अज्ञात स्रोत से 1650 रुपये और 3 मार्च को 2475 रुपये डाले गए और उसके बाद शुरू हुआ मैसेज और कॉल पर ब्लैकमेलिंग का सिलसिला शुरू हो गया। रमेश को पहले फोन कर कहा गया कि उन्होंने बुल कैश से लोन लिया है वह समय रहते इसे वापस कर दें। जब उन्होंने कोई भी लोन लेने से इंकार किया तो उन्हें मैसेज पर अश्लील फोटो पर उनका चेहरा लगाकर उनके रिश्तेदारों को भेजने की धमकी दी। एक नहीं विभिन्न नंबरों से उन्हें मैसेज और कॉल पर भुगतान करने के लिए लिंक भेजा गया। रमेश ने बिना कोई लिंक क्लिक किए 22 मार्च को पुलिस को शिकायत दर्ज कराई।
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24 घंटे में शिकायत दर्ज करने पर निकासी को रोकने की अधिक संभावना
यदि स्कैम होने के 24 घंटे में हमारे पास शिकायत आ जाती है तो ट्रांसफर किए पैसों को फ्रीज कर पैसे वापस मिलने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए पैसों को लेकर साइबर स्कैम हो तो तुरंत पुलिस को शिकायत दर्ज करवाएं। आजकल क्रेडिट कार्ड अपडेट करने के हवाले से लोगों को ठगा जा रहा है। साइबर स्कैम तभी मुमकिन है जब व्यक्ति जानकारी साझा करे या कोई लिंक क्लिक करे। इसलिए कभी भी अपना खाता नंबर, एटीएम नंबर आदि जानकारी अन्य के साथ शेयर न करें। - रणजीत सिंह, एसएचओ, साइबर सैल
ऐसे बच सकते हैं जालसाज से
साइबर क्राइम से जुड़ी कोई भी शिकायत करने के लिए 1930 और 112 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
ऑनलाइन इस वेबसाइट पर जाकर साइबर क्राइम में पैसों की धोखादड़ी की शिकायत दर्ज की जाती है - hhps:ybercrime.gov.in/
&गूगल पर किसी भी वेबसाइट या फोन नंबर की पुष्टि किए बिना उसका उपयोग न करें और न ही कोई एक्सेस दें।
- सरकारी वेबसाइट एड्रैस में हमेशा.जीओवी.लिखा रहता है।
-किसी भी हालात में अपना ओटीपी, बैंक अकाउंट और आधार कार्ड की जानकारी साझा न करें।
-ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड अपडेट करने से बचें।
- बिना एप की पुष्टि के कोई भी लोन न लें और न ही उसे अपने फोन में एक्सेस दें।
-एनी डेस्क, क्विक स्पॉट और टीम व्यूअर एप को डाउनलोड न करें।
-अनजान वेबसाइट पर शॉपिंग करने से बचें और पहले वेबसाइट के प्रमाणिक होने की पुष्टि कर लें।
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डर और ऑफर्स के जाल में न फंसें
साइबर स्कैमरर्स आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते जब तक आप सतर्क हैं। क्रेडिट कार्ड सीमा बढ़ा देने के ऑफर्स या घर के सदस्यों को नुकसान पहुंचाने, अश्लील फोटो वायरल करने जैसी धमकियों में न आएं। साइबर जालसाज की धमकियां उन्हीं की तरह खोखली होती हैं। प्ले स्टोर पर कोई भी एप डाउनलोड करने से पहले उसका सत्यापन जरूर कर लें। - राजेश राणा, साइबर एक्सपर्ट
एप डाउनलोड करते वक्त यह चीजों रखें ध्यान
-कोई भी एप डाउनलोड करने से पूर्व जांच लें कि वह गूगल प्ले स्टोर द्वारा सत्यापित है या नहीं।
जाली एप को ज्यादा लोगों द्वारा डाउनलोड नहीं किया होता।
-किसी भी छोटे-मोटे एप को फोटो गैलरी का एक्सेस न दें।