न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Wed, 13 Jan 2021 11:26 PM IST
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कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसान संगठन अब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ये किसान संगठन साल 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने का मन बना रहे हैं। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ इन दिनों आंदोलन कर रहे किसान संगठनों का विचार है कि कोई भी राजनीतिक दल किसानों की आवाज सुनने को तैयार नहीं है।
अब किसानों को खुद ही सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए। हालांकि किसान संगठनों का यह भी कहना है कि विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में मौजूदा आंदोलन समाप्त होने के बाद विचार किया जाएगा।
किसान संगठनों ने राज्यभर में 26 जनवरी को दिल्ली चलो अभियान के लिए घर-घर मुहिम चलाई है। संगठनों के कार्यकर्ता सभी ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी लोगों के घर-घर जाकर किसान आंदोलन से जुड़ने का आह्वान कर रहे हैं। भाकियू एकता डकोंदा, उगराहां और अन्य संगठन इस मुहिम में भी एकजुट हैं। इन संगठनों के नेताओं ने बताया कि किसानों की तरफ से यह मांग आ रही है कि जब कोई भी उनकी सुनने वाला नहीं है तो उन्हें खुद राजनीति में उतरना चाहिए।
इस संबंध में भाकियू एकता डकोंदा और भाकियू उगराहां का कहना है कि किसानों द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने की मांग तो आ रही है लेकिन इस समय संगठन का सारा ध्यान मौजूदा आंदोलन की कामयाबी पर है और इसी दिशा में सभी प्रयास भी किए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने और किसानों की घर वापसी के बाद किया जाएगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसान संगठन अब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ये किसान संगठन साल 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने का मन बना रहे हैं। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ इन दिनों आंदोलन कर रहे किसान संगठनों का विचार है कि कोई भी राजनीतिक दल किसानों की आवाज सुनने को तैयार नहीं है।
अब किसानों को खुद ही सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए। हालांकि किसान संगठनों का यह भी कहना है कि विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में मौजूदा आंदोलन समाप्त होने के बाद विचार किया जाएगा।
किसान संगठनों ने राज्यभर में 26 जनवरी को दिल्ली चलो अभियान के लिए घर-घर मुहिम चलाई है। संगठनों के कार्यकर्ता सभी ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी लोगों के घर-घर जाकर किसान आंदोलन से जुड़ने का आह्वान कर रहे हैं। भाकियू एकता डकोंदा, उगराहां और अन्य संगठन इस मुहिम में भी एकजुट हैं। इन संगठनों के नेताओं ने बताया कि किसानों की तरफ से यह मांग आ रही है कि जब कोई भी उनकी सुनने वाला नहीं है तो उन्हें खुद राजनीति में उतरना चाहिए।
इस संबंध में भाकियू एकता डकोंदा और भाकियू उगराहां का कहना है कि किसानों द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने की मांग तो आ रही है लेकिन इस समय संगठन का सारा ध्यान मौजूदा आंदोलन की कामयाबी पर है और इसी दिशा में सभी प्रयास भी किए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने और किसानों की घर वापसी के बाद किया जाएगा।