विस्तार
दादी और नानी के जमाने का भारतीय सुपर फूड अब विदेशों में भी धमाल मचाएगा। भारत में पैदा होने वाले रागी और बाजरे जैसे मिलेट यानि मोटे अनाज की खूशबू अब सात समंदर पार तक महकेगी। हालांकि देश से मोटे अनाज का निर्यात पिछले कुछ सालों से किया जा रहा है, लेकिन 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाए जाने के बाद भारत ने इस पर और ध्यान केंद्रित किया है।
चंडीगढ़ में जी-20 देशों के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में मिलेट को लेकर आयोजित विशेष सत्र में कई देशों ने भारत में पैदा होने वाले इस सुपर फूड को न केवल सराहा है, बल्कि इसकी मांग भी की है। इससे उत्साहित भारत ने इसके उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाने की तैयारी की है। भारत सरकार कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रवीण सैम्यूल ने बताया कि अभी तक भारत में 18 मिलियन टन मिलेट का उत्पादन हो रहा है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भारत से 64.28 मिलियन यूएस डॉलर मूल्य का 1,59,332 मीट्रिक टन मोटा अनाज निर्यात किया गया। इस वर्ष इस लक्ष्य को और बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
यह भी पढ़ें : Raghav Parineeti Marriage: पंजाब के सांसद के घर जल्द बजेगी शहनाई, इस सिंगर ने दी मुबारकबाद
उन्होंने बताया कि मोटे अनाज की गुणवत्ता और उत्पादन में भारत शीर्ष पर है। जी-20 की बैठक में विदेशों से पहुंचे सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को खास तौर पर मिलेट से बने व्यंजन परोसे गए। साथ ही इसके फायदों पर एक विशेष सत्र भी रखा गया, जिसमें विदेशी प्रतिनिधियों ने भरतीय मिलेट की सराहना की है। उम्मीद है कि इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स-2023 में भारत मोटे अनाज के उत्पादन और निर्यात में अहम भूमिका निभाएगा।
पीएम मोदी के मन की बात में मोटे अनाज के लाभ
पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष कार्यक्रम मन की बात में मोटे अनाज के लाभ को लेकर प्रकाशित विशेष बुकलेट का भी जी-20 की बैठक में वितरण किया गया। 2023-इंटनरेनशल ईयर ऑफ मिलेट्स के कवर पेज वाली इस पुस्तक में मोेटे अनाज के तीन विशेष लेख मिलेट : इंडियाज हंबल सुपर फूड, मिलेट भाकरी अ डे, कीप्स डलनेस अवे और मिलेट्स: गुड फॉर एनवायरनमेंट एंड हेल्थ शामिल किए गए हैं। चंडीगढ़ में चल रही जी-20 समिट में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सह साहित्य उपलब्ध कराया गया।