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HPSC adopted code system for confidentiality to prevent fraud in HCS recruitment
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Haryana: HCS भर्ती में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए HPSC का बड़ा बदलाव, गोपनीयता के लिए अपनाया कोड सिस्टम
सोमदत्त शर्मा, अमर उजाला ब्यूरो, चंडीगढ़
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Tue, 07 Feb 2023 09:01 AM IST
सार
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अभ्यर्थियों और साक्षात्कार कमेटी की व्यक्तिगत पहचान को गुप्त रखा गया है। न तो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार कमेटी के बारे में कोई जानकारी मिल सकी और न ही कमेटी को अभ्यर्थियों के बारे में उनका रोल नंबर और नाम का पता चल सका।
नौकरियों में फर्जीवाड़े को लेकर सुर्खियों में रहे हरियाणा लोक सेवा आयोग ने अपनी साख बचाने के लिए इस बार एचसीएस (कार्यकारी शाखा) भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। पहली बार आयोग ने गोपनीयता को बनाए रखने के लिए रोल नंबर के स्थान पर कोड सिस्टम अपनाया है। इस माध्यम से न तो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार कमेटी के बारे में कोई जानकारी मिल सकी और न ही कमेटी को अभ्यर्थियों के बारे में उनका रोल नंबर और नाम का पता चल सका। साक्षात्कार कमेटी ने इसी कोड नंबर के आधार पर ही अंक दिए।
एचसीएस की मुख्य परीक्षा करने वाले 425 अभ्यर्थियों को आयोग ने 30 जनवरी से 6 फरवरी तक साक्षात्कार के लिए बुलाया। नए प्रयोग के तहत, जैसे ही अभ्यर्थी आयोग में पहुंचे तो वहां पर उन्हें रोल नंबर के स्थान पर एक कोड दिया गया। बकायदा मिलान के बाद अभ्यर्थी के हस्ताक्षर लिए गए। इसके बाद साक्षात्कार कमेटी के पास जाने से पहले चार-चार अभ्यर्थियों को बुलाया गया और चार डिब्बों में रखी पर्चियां उठाने के लिए कहा।
अलग-अलग डिब्बों में ए, बी, सी और डी नाम की कमेटियों की पर्ची थी। जिस नाम की पर्ची निकली, वह लेकर अभ्यर्थी उसी कमेटी के पास चला गया। खास बात ये भी रही कि पहले से ही निर्देश थे कि न तो अभ्यर्थी अपना नाम और रोल नंबर बताएगा और न ही इस बारे में कोई सवाल करेगा।
कमेटी में होते हैं पांच सदस्य, सभी देते हैं अलग-अलग अंक
साक्षात्कार कमेटी में एचपीएससी का एक सदस्य और पांच अन्य एक्सपर्ट होते हैं। इनमें पूर्व मुख्य सचिव, पूर्व वीसी और डीजीपी और एडीजीपी स्तर के अधिकारी शामिल रहे। ये सभी अपने अपने विषय के विशेषज्ञ होते हैं। किसी भी एक सदस्य के पास पूरे अंक देने का अधिकार नहीं है। सभी सदस्य अलग-अलग अंक देकर अलग-अलग लिफाफों में सील कर उसे सचिव के पास भेजा गया। इसके बाद आयोग ने सभी के दिए गए अंकों को जोड़ा गया।
पहले अभ्यर्थी और कमेटी को होती थी पूरी जानकारी
इससे पहले, एचपीएससी की ओर से जब अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता था तो शेड्यूल में बताया जाता था कि किस तारीख को उसे संबंधित कमेटी के पास आएं। इस प्रक्रिया में अभ्यर्थी को पहले पता होता था कि उसे किस कमेटी के पास जाना है और कमेटी को पता होता था कि उसके पास कौन-कौन से रोल नंबर के अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए आएंगे। इसमें पहले से ही सिफारिश की आशंका रहती थी और कई बार ऐसे मामले सामने भी आ चुके हैं।
साख बचाने को किए बदलाव
एससीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कराने के मामले में नवंबर 2021 में विजिलेंस ने हरियाणा लोक सेवा आयोग के उप सचिव अनिल नागर को लाखों रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में खुलासा हुआ था कि 20-20 लाख रुपये लेकर एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कराई गई थी। इस मामले के बाद से खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सख्ती करते हुए आदेश दिए थे कि भर्तियों में गड़बड़ी बर्दास्त नहीं की जाएगी। इसके लिए जितने भी सख्त कदम उठाने पड़ें उठाएं। उसी के बाद से एचपीएससी ने यह फैसले लिए हैं।
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एचपीएससी में ही वीडियोग्राफी में चेक कराए पेपर
एचसीएस की लिखित परीक्षा के पेपरों को चेकिंग के लिए बाहर नहीं भेजा गया। आयोग के पास आई उत्तर पुस्तिकाओं को आयोग के अंदर ही रखा गया और परीक्षक को बाहर से बुलाया गया। साथ ही वीडियोग्राफी के अंदर पेपरों को चेक कराया गया। इससे पहले पेपरों को चेक करने के लिए बाहर भेजा जाता था और सेटिंग की जाती थी।
परीक्षा से लेकर साक्षात्कार प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है। गोपनीयता के लिए साक्षात्कार के समय अभ्यर्थियों और कमेटियों की पहचान न हो सके और कोई किसी को अप्रोच न कर सके, इसलिए रोल नंबर के स्थान पर कोड सिस्टम अपनाया गया है। निष्पक्षता और परीक्षा का पवित्रता के लिए भविष्य में और भी कड़े फैसले लिए जाएंगे। -डा. यश गर्ग, सचिव, एचपीएससी।
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