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High Court orders arrest of Gurugram estate officer by 10 PM
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हाईकोर्ट सख्त: गुरुग्राम के एस्टेट अफसर पर शिकंजा, रात 10 बजे तक गिरफ्तार व सुबह 10 बजे तक पेश करने का आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Mon, 29 May 2023 11:26 PM IST
कोर्ट ने अब गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को रात 10 बजे तक गिरफ्तार किया जाए और मंगलवार सुबह 10 बजे तक गुरुग्राम की अदालत में पेश किया जाए। एक्शन के बारे में कोर्ट को सूचित भी किया जाए।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए एस्टेट अफसर को रात 10 बजे तक गिरफ्तार करने व मंगलवार सुबह 10 बजे तक संबंधित अदालत के सामने पेश करने का गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने संपत्ति विवाद में गुरुग्राम की अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
याचिका में बताया गया था कि गुरुग्राम कोर्ट ने 14 मई को आदेश सुनाते हुए एस्टेट अफसर को हिरासत में लेने का आदेश जारी कर दिया है। हाईकोर्ट ने पाया कि निचली अदालत के बार-बार आदेश जारी करने के बाद भी एस्टेट अफसर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। निचली अदालत ने इसके बाद एस्टेट अफसर को हिरासत में लेने का आदेश जारी कर दिया। इसे इस याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट ने याचिका पर कड़ा रुख अपनाते हुए एस्टेट अफसर को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि आदेश का पालन करने में देरी को लेकर याची को पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है। न्यायालय के प्रति उदासीन रवैए के कारण कई वर्ष बर्बाद हुए हैं। ऐसे में कोर्ट ने अब गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को रात 10 बजे तक गिरफ्तार किया जाए और मंगलवार सुबह 10 बजे तक गुरुग्राम की अदालत में पेश किया जाए। एक्शन के बारे में कोर्ट को सूचित भी किया जाए।
कोर्ट ने की टिप्पणी
न्यायालय का आदेश पारित हो जाने के बाद अनुपालन सही प्रकार से करना जरूरी है। अगर सरकारी अधिकारी की ओर से इस प्रकार की ढिलाई को स्वीकार कर लिया जाएगा तो कानून की प्रक्रिया के कोई मायने नहीं रह जाएंगे। कानून केवल सामान्य नागरिकों पर ही बाध्य नहीं है बल्कि इसका पालन करने की जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों पर अधिक होती है। सरकारी अधिकारियों के पास न्यायालय के आदेश का पालन न करने का कोई बहाना नहीं हो सकता। ऐसे में इस मामले में याचिकाकर्ता की न्यायालय के सामने उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कठोर आदेश की आवश्यकता है।
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