विकास सैनी, अमर उजाला, रोहतक
Updated Thu, 03 Dec 2020 11:17 AM IST
दिल्ली किसान आंदोलन : बाइक पर दिल्ली जाते दर्शन सिंह ढिल्लों व उनकी पत्नी परमजीत कौर।
- फोटो : अमर उजाला
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पंजाब के जिला बरनाला से दिल्ली की 310 किलोमीटर की दूरी और बाइक सवार ढिल्लो दंपती। बरनाला के गांव दिलवान के किसान दर्शन सिंह ढिल्लो व उनकी पत्नी परमजीत कौर ढिल्लो के मन में किसान आंदोलन को समर्थन देने की ऐसी हूक उठी कि दोनों दिलवान से बाइक पर दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर आ पहुंचे। पचास की उम्र पार कर चुके ढिल्लो दंपती का कहना है कि अब वे तब तक अपने घर नहीं लौटेंगे जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती।
किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए यह दंपती बुधवार अल सुबह अपनी बाइक से निकले। दोपहर करीब ढाई बजे दंपती खरावड़ पहुंचा। यहां शिविर में कुछ खा-पीकर खुद को तरोताजा किया और फिर आगे बढ़ गए। दर्शन सिंह ने कहा कि अपना घर, खेत खलिहान सब छोड़कर आए हैं। दिल्ली जाना है और कृषि कानूनों को रद्द कराना है। चाहे कितने भी दिन क्यों न लग जाएं। अब तभी वापस जाएंगे, जब ये काले कानून रद्द हो जाएंगे।
कनाडा में रहते हैं दोनों बेटे
ढिल्लो दंपती ने कहा कि अच्छी पढ़ाई लिखाई के बाद भी बच्चों को देश में बेहतर करियर नहीं मिला। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद भी बेटे को अच्छी नौकरी नहीं मिली। इस कारण दोनों बेटे कनाडा चले गए। अब वहीं रहते हैं। हम पति-पत्नी यहीं रह कर खेतीबाड़ी करते हैं। अपना काम खुद करते हैं।
बरबाद कर देगा नया कृषि कानून
ढिल्लो दंपती ने कहा कि अब तक खेतीबाड़ी कर अपना जीवन अच्छे चलाते आ रहे हैं। सरकार के तीन नए काले कृषि कानून सब छीन लेंगे। ये कानून हमसें खेती का ही नहीं, अपनी जमीन का अधिकार तक छीन लेंगे। हमें पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनकर रहना पड़ेगा।
पंजाब के जिला बरनाला से दिल्ली की 310 किलोमीटर की दूरी और बाइक सवार ढिल्लो दंपती। बरनाला के गांव दिलवान के किसान दर्शन सिंह ढिल्लो व उनकी पत्नी परमजीत कौर ढिल्लो के मन में किसान आंदोलन को समर्थन देने की ऐसी हूक उठी कि दोनों दिलवान से बाइक पर दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर आ पहुंचे। पचास की उम्र पार कर चुके ढिल्लो दंपती का कहना है कि अब वे तब तक अपने घर नहीं लौटेंगे जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती।
किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए यह दंपती बुधवार अल सुबह अपनी बाइक से निकले। दोपहर करीब ढाई बजे दंपती खरावड़ पहुंचा। यहां शिविर में कुछ खा-पीकर खुद को तरोताजा किया और फिर आगे बढ़ गए। दर्शन सिंह ने कहा कि अपना घर, खेत खलिहान सब छोड़कर आए हैं। दिल्ली जाना है और कृषि कानूनों को रद्द कराना है। चाहे कितने भी दिन क्यों न लग जाएं। अब तभी वापस जाएंगे, जब ये काले कानून रद्द हो जाएंगे।
कनाडा में रहते हैं दोनों बेटे
ढिल्लो दंपती ने कहा कि अच्छी पढ़ाई लिखाई के बाद भी बच्चों को देश में बेहतर करियर नहीं मिला। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद भी बेटे को अच्छी नौकरी नहीं मिली। इस कारण दोनों बेटे कनाडा चले गए। अब वहीं रहते हैं। हम पति-पत्नी यहीं रह कर खेतीबाड़ी करते हैं। अपना काम खुद करते हैं।
बरबाद कर देगा नया कृषि कानून
ढिल्लो दंपती ने कहा कि अब तक खेतीबाड़ी कर अपना जीवन अच्छे चलाते आ रहे हैं। सरकार के तीन नए काले कृषि कानून सब छीन लेंगे। ये कानून हमसें खेती का ही नहीं, अपनी जमीन का अधिकार तक छीन लेंगे। हमें पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनकर रहना पड़ेगा।