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Enquiry ordered in chandigarh administration meeting minutes by Administrator Banwarilal Purohit
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Chandigarh: अधिकारी का कमाल...जिस मुद्दे पर बैठक में विस्तृत चर्चा नहीं, उसे ही रिपोर्ट में जोड़ दिया
रिशु राज सिंह, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 03 Jun 2023 01:23 PM IST
एटीआर के रूप में लिखा गया कि विभाग ने अपनी तरफ से सारी कार्रवाई कर दी है। आरोप है कि इसके बाद मिनट्स में लिख दिया गया कि विस्तृत चर्चा के बाद तय हुआ है कि इस एजेंडे को डिस्पोज्ड ऑफ किया जा सकता है।
चंडीगढ़ प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप है कि बैठक की रिपोर्ट (मिनट्स ऑफ मीटिंग) में वह एजेंडा जोड़ दिया, जिस पर बैठक में विस्तृत चर्चा ही नहीं हुई थी। इससे नाराज पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
27 जून 2022 को पुराने यूटी सचिवालय में सुबह 11 बजे प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की बैठक हुई थी। बैठक में पहले से तय चार एजेंडे थे। एक टेबल एजेंडा (पांचवां एजेंडा) भी लाया गया, जिसमें तीन सब-एजेंडे भी थे।
सारा विवाद एजेंडा नंबर-5सी को लेकर है जिसे चंडीगढ़ और मोहाली के छह प्रोजेक्ट के वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस को लेकर पिछली बैठकों में हुई चर्चा की समीक्षा और एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) के रूप में प्रस्तुत किया गया था। इसमें पंजाब के चार और चंडीगढ़ के दो बड़े प्रोजेक्ट के वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस से जुड़े छह आइटम है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में एक आदेश दिया था कि किसी भी वन्यजीव अभयारण्य से 10 किमी के एरिया को ईको सेंसिटिव जोन माना जाना चाहिए। हालांकि राज्य व यूटी अपने अनुसार एरिया नोटिफाई कर सकते थे। जैसे चंडीगढ़ ने 2017 में 2.75 किमी अधिसूचित किया है। प्रशासन ने रिपोर्ट दी कि 2017 के बाद उल्लंघन का कोई मामला नहीं है, लेकिन एक कमेटी ने कहा कि 2009 से 2017 के बीच जो निर्माण हुए हैं, ते तो उल्लंघन है जिसमें इंडस्ट्रियल एरिया के दो बड़े कॉमर्शियल प्रोजेक्ट आते हैं।
इसमें एक प्रोजेक्ट पर सीपीसीसी ने 2015 में केस किया था, जिसके बाद मामला अब हाईकोर्ट में है। दूसरे पर क्या कार्रवाई की जा सकती है, इसे लेकर प्रशासन ने अक्तूबर 2016 में केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा था, जिसका अब तक जवाब नहीं आया है।
एटीआर के रूप में लिखा गया कि विभाग ने अपनी तरफ से सारी कार्रवाई कर दी है। आरोप है कि इसके बाद मिनट्स में लिख दिया गया कि विस्तृत चर्चा के बाद तय हुआ है कि इस एजेंडे को डिस्पोज्ड ऑफ किया जा सकता है। इस पर प्रशासक ने आपत्ति जताई है कि बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा हुई ही नहीं थी। ऐसा क्यों किया गया, इसे लेकर ही जांच शुरू की गई है। उधर, इस मामले को लेकर केंद्रीय एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं।
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बंद कमरे में बैठक की भी हुई वीडियो रिकॉर्डिंग
सूत्रों के अनुसार 22 मई 2023 को प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में मिनट्स को लेकर स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ की बैठक हुई थी, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई। सूत्रों ने बताया कि यह पहली बार है, जब प्रशासक के स्तर पर अधिकारियों के साथ बंद कमरे में हुई बैठक की भी वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई। अब तक यूटी एडवाइजरी काउंसिल की बैठकों की ही वीडियोग्राफी होती है। बताया जा रहा है कि इस मामले के सामने आने के बाद आई विश्वास की कमी को लेकर ऐसा किया गया। हालांकि, संबंधित अधिकारी का कहना है कि यह सब एक कंफ्यूजन की वजह से हुआ था, जिसको दूर करने के लिए विशेष बैठक हो गई है। अब कोई असमंजस नहीं है।
इन प्रोजेक्ट्स के वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस का मामला
मोहाली में गमाडा की ओर से समूह आवास, वाणिज्यिक, आवासीय एवं संस्थागत स्थल के निर्माण के लिए वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस, गमाडा के ही एक अन्य प्रोजेक्ट, मुल्लांपुर के निजी एक कॉमर्शियल प्रोजेक्ट, चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया के दो बड़े कॉमर्शियल प्रोजेक्ट और निजी कंपनी के इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट के वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस का मामला शामिल है।
स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ का अब होगा पुनर्गठन
यूटी प्रशासन अब स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ का पुनर्गठन भी करने जा रहा है। इसके लिए प्रशासन के वन विभाग की तरफ से एक पब्लिक नोटिस भी निकाल दिया गया है और वन्यजीव पारिस्थितिकी से जुड़े और जो संस्थाएं इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, उनसे आवेदन मांगे गए हैं। प्रशासन के मुख्य वन संरक्षक की तरफ से जारी एक पब्लिक नोटिस में कहा गया है कि 15 जून शाम साढ़े पांच बजे तक वन्य जीव पारिस्थितिकी के विशेषज्ञ, इससे जुड़े एनजीओ, विशिष्ट व्यक्ति और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् आवेदन कर सकते हैं। विभाग की वेबसाइट पर एक फॉर्मेट डाला गया है, जिसे भरने के बाद विभाग की ईमेल forestchandiqarh@gmail.com पर भेजना होगा।
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