लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Chandigarh ›   Delay in Marriage making child a victim of Autism

Chandigarh: देरी से शादी बच्चों को दे सकती है ऑटिज्म की बीमारी, नाजुक होता है पुरुषों का डीएनए

वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sun, 02 Apr 2023 03:12 PM IST
सार

ऑटिज्म को मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहते हैं। यह एक विकास संबंधी गड़बड़ी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं।

Delay in Marriage making child a victim of Autism
autism child

विस्तार

विवाह में देरी से जहां एक ओर तमाम तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं वहीं यह विलंब होने वाले बच्चे को ऑटिज्म का शिकार बना रहा है। इतना ही नहीं ऑटिज्म के कारण में माता की बजाय पिता का उम्रदराज होना ज्यादा प्रभावी कारण के रूप में सामने आ रहा है। 



विशेषज्ञों के अनुसार इसका कारण महिला की तुलना में पुरुषों के डीएनए का ज्यादा नाजुक होना है। इसके कारण पिता के डीएनए की जरा सी गड़बड़ी बच्चे में मर्ज का कारण बनकर सामने आता है। वहीं इस मर्ज से लड़कियों की तुलना में लड़के ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसका भी सीधा संबंध डीएनए से ही है। यह जानकारी पीजीआई के मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. अखिलेश शर्मा और डॉ. निधि चौहान ने दी।


उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। इसलिए इस पर काबू के प्रयास के साथ ही ऐसे बच्चों के पुनर्वास पर व्यापक स्तर पर काम करने की जरूरत है। डॉ. निधि ने बताया कि ज्यादा उम्र में विवाह कई तरह की समस्या का कारण बन रहा है। इसलिए युवाओं को अपने कॅरिअर और अन्य आवश्यकताओं के साथ ही विवाह जैसी जिम्मेदारी को पूरा करने को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। उन्हें यह बात समझनी होगी कि विवाह करने के बाद भी अपने कॅरिअर और अन्य चीजों को आगे बढ़ाया जा सकता है।

ऑटिज्म वाले बच्चों के माता-पिता को प्रशिक्षित करना जरूरी
डॉ. अखिलेश ने बताया कि ऑटिज्म वाले बच्चों के इलाज में दवाओं से ज्यादा उनके माता-पिता को प्रशिक्षित करना जरूरी है जिससे वे अपने बच्चों के पुनर्वास में सफल हो सकें। इसके लिए उनका विभाग पिछले तीन वर्षों से ऑनलाइन मोड पर विशेष काम कर रहा है, जिसमें प्रत्येक शनिवार को ऐसे 15 माता-पिता को ऑनलाइन मंच के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। उस दौरान मनोचिकित्सक, बालरोग विशेषज्ञ के साथ ही स्पीच थैरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थैरेपिस्ट, मनोवैज्ञानिक, बिहैवियर ट्रेनर उन्हें प्रशिक्षित करते हैं। अब तक ऐसे 500 अभिभावकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

आप भी जान लें ऑटिज्म
ऑटिज्म को मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहते हैं। यह एक विकास संबंधी गड़बड़ी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं। ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जिससे पीड़ित व्यक्ति का दिमाग अन्य लोगों के दिमाग की तुलना में अलग तरीके से काम करता है। वहीं, ऑटिज्म से पीड़ित लोग भी एक दूसरे से अलग होते हैं।

ये कारण हैं प्रमुख
- दिमाग के विकास को नियंत्रित करने वाले जीन में कोई गड़बड़ी होना।
-सेल्स और दिमाग के बीच संपर्क बनाने वाले जीन में गड़बड़ी होना।
- गर्भावस्था में वायरल इंफेक्शन या हवा में फैले प्रदूषण कणों के संपपर्क में आना।

इनको खतरा ज्यादा
ऐसे माता-पिता के बच्चे जिनका पहले से कोई बच्चा ऑटिज्म का शिकार हो।
समय से पहले पैदा होने वाले यानि प्रीमैच्योर बच्चे।
कम बर्थ वेट यानि जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा होने वाले बच्चे।
उम्रदराज माता-पिता के बच्चे।
जेनेटिक/ क्रोमोसोमल कंडीशन जैसे, ट्यूबरस स्केलेरोसिस या फ्रेज़ाइल एक्स सिंड्रोम।
प्रेगनेंसी के दौरान खाई गईं कुछ दवाइयों का साइड इफैक्ट।

बच्चों में इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने से बचना।
- अकेले रहना।
- खेलकूद में हिस्सा ना लेना या रुचि ना दिखाना
- किसी एक जगह पर घंटों अकेले या चुपचाप बैठना, किसी एक ही वस्तु पर ध्यान देना या कोई एक ही काम को बार-बार करना।
- दूसरों से संपर्क ना करना।
- अलग तरीके से बात करना जैसे प्यास लगने पर ‘मुझे पानी पीना है’ कहने की बजाय ‘क्या तुम पानी पीओगे’ कहना।
- बातचीत के दौरान दूसरे व्यक्ति के हर शब्द को दोहराना।
- सनकी व्यवहार करना।
- किसी भी एक काम या सामान के साथ पूरी तरह व्यस्त रहना।
- खुद को चोट लगाना या नुकसान पहुंचाने के प्रयास करना।
- गुस्सैल, बदहवास, बेचैन, अशांत और तोड़-फोड़ मचाने जैसा व्यवहार करना।
- किसी काम को लगातार करते रहना जैसे, झूमना या ताली बजाना।
- एक ही वाक्य लगातार दोहराते रहना।
- दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं को ना समझ पाना।
- किसी विशेष प्रकार की आवाज, स्वाद और गंध के प्रति अजीब प्रतिक्रिया देना।
- पुरानी स्किल्स को भूल जाना।

इन बच्चों की राह ऐसे बनाए आसान
- बच्चों के साथ कम्युनिकेशन को आसान बनाएं।
- बच्चों के साथ धीरे-धीरे और साफ आवाज में बात करें।
- ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जो समझने में आसान हो।
- बच्चे से बातचीत करते समय बार-बार बच्चे का नाम दोहराएं ताकि बच्चा यह समझ सके कि आप उसी से बात कर रहे हैं।
-बच्चे को आपकी बात समझने और फिर उसका जवाब देने के लिए पर्याप्त समय लेने दें।
-बातचीत के दौरान हाथों से इशारे करें और तस्वीरों की मदद भी ले सकते हैं।
-आप किसी स्पीच थेरेपिस्ट की सहायता भी ले सकते हैं।

इलाज में इन तकनीक का होता है उपयोग
- प्ले थेरेपी।
- बेहवियरल थेरेपी।
- ऑक्यूपेशनल थेरेपी।
- स्पीच थेरेपी।
- फिजिकल थेरेपी।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed