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Three employees of transport department arrested in VIP number registration scam
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Haryana: VIP नंबर पंजीकरण घोटाले में परिवहन विभाग के तीन कर्मचारी गिरफ्तार, 45,31,621 रुपये की धोखाधड़ी का आरोप
अमर उजाला ब्यूरो, चंडीगढ़
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Wed, 08 Feb 2023 02:33 AM IST
सार
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37 वाहनों के पंजीकरण शुल्क को सरकारी खजाने में नहीं जमा कराने व 45,31,621 रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। सेक्टर 17 स्थित हरियाणा परिवहन आयुक्त कार्यालय का मामला है।
चंडीगढ़ सेक्टर-17 स्थित हरियाणा परिवहन विभाग में हुए वाहनों के वीआईपी नंबर पंजीकरण घोटाले में यूटी पुलिस ने तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। वर्ष 2013 में हुए इस घोटाले में आरोपियों ने 37 वाहनों का पंजीकरण कराकर सरकारी खजाने को 45,31,621 रुपये का चूना लगाया था। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शिव कुमार निवासी मोहाली, विनय ढल निवासी सालारा मोहल्ला रोहतक, राजिंदर सिंह निवासी अर्बन हाउस सेक्टर-70 गुरुग्राम के रूप में हुई है।
मुख्यमंत्री फ्लाइंग स्क्वॉयड की डीएसपी पूर्णिमा सिंह की शिकायत पर 24 जनवरी 2017 को आरोपियों के खिलाफ पुलिस स्टेशन-17 में मामला दर्ज किया गया था। मामला उजागर होने के बाद आरोपियों द्वारा सारी राशि सरकारी खजाने में जमा भी करवा दी गई थी।
इससे पहले मामले में आरोपियों को चंडीगढ़ सत्र न्यायाधीश की अदालत से अग्रिम जमानत मिली थी। पुलिस की तरफ से बताया गया कि मामले की शिकायत सबसे पहले वर्ष 2014 में चंडीगढ़ के सेक्टर 19 में रहने वाले रविंद्र सिंह ने पुलिस महानिरीक्षक व हरियाणा के मुख्यमंत्री फ्लाइंग स्क्वॉयड को दी थी।
कई कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ घोटाला
शिकायत में बताया गया था कि हरियाणा परिवहन आयुक्त कार्यालय में वीआईपी नंबरों के पंजीकरण शुल्क में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी चल रही है। हरियाणा सरकार की अधिसूचना के अनुसार, नए वाहनों के पंजीकरण नंबर 001 से 0100 तक अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन फीस लेकर जारी किए गए हैं। मगर यह पैसे सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाए गए। कम्प्यूटरीकृत पंजीयन 1 मार्च 2013 से प्रारम्भ किया गया था। अक्तूबर 2013 तक कुल 2400 वाहनों का कम्प्यूटर के माध्यम से पंजीयन किया गया।
इनमें से वाहन स्वामियों से पैसे लेकर 37 वाहनों की फर्जी रसीद जारी की गई मगर सरकारी खजाने में जमा नहीं हुए और आरोपियों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी कर दिए। इन 37 वाहनों के पंजीकरण शुल्क की कुल राशि 45,31,621 रुपये पाई गई। विनय कुमार ढल उस समय में हरियाणा परिवहन विभाग चंडीगढ़ में सहायक के पद पर तैनात थे। जांच पाया कि विनय कुमार ढल ने शिव कुमार (कंप्यूटर आपरेटर) और राजिंदर कुमार (कैशियर) की मिलीभगत से उपरोक्त राशि का गबन किया।
ऑडिट में उजागर हुआ मामला
पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि आरोपियों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से साजिश रची और वाहनों की वीआईपी पंजीकरण संख्या जारी करने के खिलाफ बड़ी रकम ली, लेकिन उसी राशि को सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाया। उन्होंने खुलासा किया कि कैशियर राजिंदर सिंह भी उनकी सहायता करते हैं और राशि को उनके बीच समान रूप से विभाजित किया गया था। मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब विभाग में ऑडिट कराया गया था।
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