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Chandigarh PGI found that brainstorm Neurocysticercosis disease can be diagnosed by blood and urine test
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Chandigarh: अब खून-यूरिन जांच से पता चलेगा... दिमाग में कीड़ा है या नहीं, PGI ने ईजाद की नई लूप तकनीक
वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 05 Jun 2023 12:58 PM IST
यश्वी ने बताया कि इस कीड़े के अंडे जब दिमाग में पहुंच जाते हैं तो मरीज को दौरे आने लगते हैं। ऐसे में मरीज की स्थिति का आकलन करने के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद लेनी पड़ती है। यह दोनों की प्रक्रियाएं काफी खर्चीली हैं और रिपोर्ट के लिए भी इंतजार करना पड़ता है।
दिमाग में पहुंचने वाले कीड़े की जांच के लिए चंडीगढ़ पीजीआई के परजीवी विज्ञान विभाग (पैरासिटोलॉजी डिपार्टमेंट) ने बेहद आसान तरीका ढूंढ निकाला है। अब दिमागी कीड़े से होने वाली बीमारी न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस की जांच मरीज के खून और यूरिन टेस्ट से भी की जा सकेगी जबकि अभी इसकी जांच के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद लेनी पड़ती है। परजीवी विज्ञान विभाग की पीएचडी छात्रा यश्वी मेहता ने पूर्व डीन अकादमिक डॉ. आरके सहगल के नेतृत्व में चार वर्षों के दौरान किए गए शोध के बाद यह सफलता प्राप्त की है।
यश्वी ने बताया कि इस कीड़े के अंडे जब दिमाग में पहुंच जाते हैं तो मरीज को दौरे आने लगते हैं। ऐसे में मरीज की स्थिति का आकलन करने के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद लेनी पड़ती है। यह दोनों की प्रक्रियाएं काफी खर्चीली हैं और रिपोर्ट के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। जबकि लूपमेडिएटेड इजोटेर्मल प्रवर्धन तकनीक यानी लूप विधि से मरीज के खून और यूरिन में परजीवी के डीएनए की जांच महज एक घंटे में की जा सकती है और इस जांच में महज 200 रुपये का खर्च आता है। यश्वी ने बताया कि पीजीआई की ओपीडी में पिछले चार वर्षों में इस मर्ज से ग्रस्त 140 मरीजों को इस शोध में शामिल किया गया, जिनमें से 80 प्रतिशत में इसकी रिपोर्ट सही पाई गई है।
टीनिया सोलियम नाम के परजीवी से होती है यह बीमारी
न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस दिमाग या नर्वस सिस्टम में संक्रमण से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जो शरीर में टीनिया सोलियम नाम के परजीवी या उसके अंडे के प्रवेश के कारण होता है। जब कोई व्यक्ति टेपवर्म के अंडे निगल लेता है तो यह बीमारी होती है। परजीवी के अंडे शरीर के मांसपेशियों और मस्तिष्क के ऊतकों में घुस जाते हैं और वहां सिस्ट का निर्माण करते हैं। जब ये अंडे मस्तिष्क में सिस्ट बना देते हैं, तो इससे न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस की स्थिति पैदा हो जाती है।
इन लक्षणों पर करें गौर
न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस मिर्गी के दौरे और अन्य न्यूरोलॉजिकल रोगों के अलावा कुछ अन्य लक्षणों से पहचानी जा सकती है। इनमें सिरदर्द, बोलने में परेशानी या जुबान लड़खड़ाना, आंखों की रोशनी कमजोर होना, बुखार, शरीर के कुछ अंग कमजोर महसूस होना, खासकर पैर और जोड़ों कमजोरी और दर्द आदि शामिल हैं।
कच्ची सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाएं
शोधकर्ता यश्वी ने बताया कि आमतौर पर यह कीड़ा सुअर के मांस से मनुष्यों में पंहुचता है। खासकर यदि मांस को अच्छे से पकाया न गया हो तब इसका खतरा ज्यादा होता है, लेकिन इस बीमारी से ग्रस्त लगभग 70 प्रतिशत लोग शाकाहारी पाए गए हैं। ऐसे में इस बीमारी का सबसे बड़ा वाहक पत्तेदार सब्जियां हैं, जैसे पालक, पत्ता गोभी, फूल गोभी इसलिए इन सब्जियों को अच्छे से धोकर और पकाकर ही खाना चाहिए। यह भी समझना होगा कि गंदे हाथ भी इस कीड़े के शरीर में पंहुचने के कारण बनते हैं।
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इन बातों का रखें ख्याल
हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं
फलों को अच्छे से धोकर और छील कर ही खाएं
सब्जी और मांस को अच्छे से धोकर और पकाकर खाएं
समय-समय पर बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा दें। आमतौर पर छः माह में एक बार
विभाग की शोध छात्रा द्वारा न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस के डायग्नोसिस के लिए इजात की गई लूप तकनीक बेहद कारगर साबित होगी क्योंकि इससे कम दर पर बेहद कम समय में रिपोर्ट प्राप्त की जा सकती है। - डॉ. आरके सहगल, पूर्व डीन अकादमिक पीजीआई
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