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Panjab University: पीयू में बजट का अभाव, पंजाब और केंद्र से निराश यूनिवर्सिटी को अब हरियाणा से आस

कविता बिश्नोई, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 03 Jun 2023 03:25 PM IST
सार

पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से पंजाब सरकार के बजट से पहले भी ग्रांट के लिए पत्र लिखा गया था। इसमें पीयू प्रशासन ने सरकार की ओर से वर्ष 2018 से लागू हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद समझौते के मुताबिक वर्ष 2022-23 के प्रस्तावित बजट में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी नहीं करने की बात की थी।

Chandigarh Panjab University struggles with Lack of budget
Chandigarh panjab university

विस्तार
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चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में बजट को लेकर लंबे समय से समस्या आ रही है। क्योंकि पंजाब की ओर से पर्याप्त बजट नहीं दिया जा रहा है, वहीं केंद्र सरकार की ओर से भी बजट में पिछले सालों में खर्च के मुकाबले बढ़ोतरी नहीं की गई है। वहीं इस बार पीयू शिक्षकों के लिए सातवां पे कमीशन लागू करने के बाद एरियर्स इत्यादि देने के लिए बजट में बढ़ोतरी चाहिए। इसको लेकर पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन से लेकर वाइस चांसलर केंद्र और पंजाब दोनों से बजट के लिए मांग कर चुकी हैं। 


उपराष्ट्रपति के दौरे के दौरान भी पुटा ने संसोधित पे स्केल के लिए बजट को लेकर मांग की थी। पिछले सालों में पीयू के खर्च में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन आय नहीं बढ़ पाई है। इसलिए पीयू की ओर से अब हरियाणा की तरफ से बजट को लेकर आस लगाई जा रही है। पीयू में नियमित शिक्षक भर्ती, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, हॉस्टल निर्माण बहुत से कार्य बजट के अभाव में नहीं हो पा रहे हैं।


पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से पंजाब सरकार के बजट से पहले भी ग्रांट के लिए पत्र लिखा गया था। इसमें पीयू प्रशासन ने सरकार की ओर से वर्ष 2018 से लागू हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद समझौते के मुताबिक वर्ष 2022-23 के प्रस्तावित बजट में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी नहीं करने की बात की थी। वहीं 2021-22 में पंजाब सरकार की ओर से 6 प्रतिशत की बजाय 4.81 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ ही ग्रांट दी गई थी। इसलिए वर्ष 2021-22 के लिए 33 करोड़ 70 लाख की बजाय 34 करोड़ 8 लाख और वर्ष 2022-23 के लिए समझौते के अनुसार 33 करोड़ 70 लाख की बजाय 36 करोड़ 13 लाख रुपये की ग्रांट मांगी गई थी।

पंजाब सरकार की पीयू के लिए 2017 से 2022 तक ग्रांट
वर्ष                        ग्रांट लाख में                                प्रतिशत बढ़ोत्तरी

2017-18                 2700.00                                     आधार वर्ष
2018-19                 2862.00                                      6 प्रतिशत
2019-20                 3033.72                                      6 प्रतिशत
2020-21                 3215.75                                      6 प्रतिशत
2021-22                 3370.54                                    4.81 प्रतिशत
2022-23                 3370.54                                         निल

ऐसे शुरू हुआ पीयू और इसके बजट का सफर
यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसरों के अनुसार वर्ष 1882 में जब लाहौर में यूनिवर्सिटी बनाई गई तो उत्तर भारत के राजपूताना इलाके (हरियाणा, हिमाचल, पंजाब इत्यादि) के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ संबद्ध किया गया था। इससे पहले पूरे उत्तर भारत के कॉलेज कलकत्ता यूनिवर्सिटी से संबद्ध थे, उस दौरान यूनिवर्सिटी सिर्फ परीक्षा आयोजित करवाती थी और कॉलेजों को संबद्धता देती थी और बदले में फीस लेती थी। यूनिवर्सिटियों में अपने विभाग नहीं होते थे, जिससे यूनिवर्सिटी का बजट अच्छा होता था। 

आजादी के बाद वर्ष 1958-60 के बीच पीयू चंडीगढ़ स्थित परिसर में स्थापित की गई, इस दौरान तक भी पीयू का अपना कोई विभाग नहीं था। इसके साथ ही पीयू पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के दसवीं बोर्ड की परीक्षाएं भी करवाती थी, इन फीसों से यूनिवर्सिटी को अच्छा बजट मिलता था। इसके बाद 22 जुलाई, 1970 में हिमाचल प्रदेश में यूनिवर्सिटी बनने के बाद सरकार ने अपने कॉलेज एचपी यूनिवर्सिटी के साथ संबद्ध कर दिए। 

30 जून, 1974 को हरियाणा में बंसीलाल की सरकार के समय कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए हरियाणा ने भी पीयू से अपने कॉलेज अलग कर लिए। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने अपने दसवीं के बोर्ड पहले ही अलग कर दिए थे। इन सबके कारण यूनिवर्सिटी को बड़ा वित्तीय घाटा लगा। बाद में पंजाब ने भी पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर के साथ इनके नजदीकी क्षेत्रों के कॉलेजों को जोड़ दिया गया। पीयू के पास पंजाब के सेंट्रल एरिया के कॉलेज ही बचे रहे, इसमें मालवा क्षेत्र के अलावा लुधियाना और होशियारपुर के कॉलेज भी आते हैं। जिससे पीयू को लगातार वित्तीय घाटा लगता रहा और नए विभागों के बनने के कारण खर्च बढ़ता रहा। वर्ष 2005 में जब पाचवां पे कमीशन लगाना था तो पीयू के पास फंड नहीं था, उस दौरान तत्कालीन वीसी प्रो. सोबती केंद्र सरकार से 150 करोड़ की ग्रांट लेकर आए थे। वर्ष 2008 में केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के समय पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्र सरकार की ओर से भी बजट देने पर सहमति बनी। शुरूआत में फैसला लिया गया था कि सरकार हर साल बजट में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी करेगी। लेकिन बाद में यह 6 प्रतिशत हो गई।
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